बैंकिंग क्षेत्र और इससे जुड़े लोगों को कृत्रिम मेघा (एआई) से पैदा होने वाले कानूनी, साइबर जोखिमों और कौशल की कमी जैसे जोखिमों के प्रति सचेत रहना चाहिए. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर टी रवि शंकर ने शुक्रवार को यह बात कही. उन्होंने कहा कि एआई और जेन'एआई को अपनाने के साथ कानूनों को फिर से परिभाषित किया जाना है. 

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

उद्योग को यह ध्यान देना चाहिए कि डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (डीपीडीपी) अधिनियम के नियम जल्द ही आने वाले हैं, और हो सकता है कि बैंक इनमें से कुछ का उल्लंघन कर दें. इसलिए तैयारी महत्वपूर्ण है. उन्होंने मुंबई में भारतीय बैंक संघ (आईबीए) के द्वारा आयोजित 19वें वार्षिक बैंकिंग प्रौद्योगिकी सम्मेलन में कहा कि बैंकों को ग्राहक सुविधा के बारे में सोचने और उसके अनुसार सेवाएं देने की जरूरत है. 

उन्होंने कहा, "हम जब नियम बनाते हैं, तो हमें इसे ग्राहकों के लिए सुविधाजनक बनाने के बारे में सोचना चाहिए और इसमें लगातार सुधार करना चाहिए." शंकर ने कहा कि हर नई तकनीक ने कुछ नौकरियां खत्म की हैं, लेकिन नई नौकरियां पैदा भी की हैं. ऐसे में कार्यबल को प्रशिक्षित करने की जरूरत है.