करीब 3.5 लाख करोड़ रुपये या 3.9 प्रतिशत दबाव वाले कॉरपोरेट कर्ज को बैंकों के खातों में अभी तक ‘पहचान’ नहीं दी गई है और इसमें से 40 प्रतिशत के सितंबर, 2020 तक डूबा कर्ज बनने की संभावना है. एक रिपोर्ट में इस बारे में आगाह किया गया है. ये खाते सितंबर, 2018 तक कुल दबाव वाले 19.3 प्रतिशत या 13.5 से 14 लाख करोड़ रुपये तक के कॉरपोरेट ऋण का हिस्सा हैं. 

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अभी तक ‘सामान्य’ कर्ज बना हुआ है

इंडिया रेटिंग्स के सहायक निदेशक (बैंकिंग एवं वित्तीय संस्थान) जिंदल हरिया ने मंगलवार को यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘कॉरपोरेट के 19.3 प्रतिशत दबाव वाले कर्ज का 3.9 प्रतिशत बैंकों के खातों में अभी तक ‘सामान्य’ कर्ज बना हुआ है. इसमें से डेढ़ से दो लाख करोड़ रुपये का कर्ज 2019-20 की दूसरी छमाही तक गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) में बदल सकता है.’’ 

इतने ही ऋण की हुई है पहचान

इस 13.5 से 14 लाख करोड़ रुपये के दबाव वाले ऋण में से सितंबर, 2018 तक सिर्फ 10 लाख करोड़ रुपये के ऋण की ही ‘पहचान’ की गई है. जिंदल ने कहा कि बैंकों को इस डेढ़ से दो लाख करोड़ रुपये के ऋण के लिए 40,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त प्रावधान करने की जरूरत हो सकती है. 

 

फाइल फोटो

उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ सालों से बैंक एनपीए की गंभीर चुनौती का सामना कर रहे हैं. एक अनुमान के मुताबिक एनपीए राशि का आंकड़ा 12 लाख करोड़ रुपये से भी अधिक जा पहुंचा है. हालांकि हाल में बैंकों के प्रयास से इसमें सुधार देखने को मिल रहा है.

 

(इनपुट एजेंसी से)