Unclaimed amount with banks & insurance companies: देश की बैंकों और इंश्योरेंस कंपनियों के पास करीब 50 हजार करोड रुपया ऐसा पड़ा है जिसका कोई दावेदार नहीं है. सरकार की तरफ से खुद यह जानकारी संसद में दी गई है. अब सरकार की तरफ से इस रकम का इस्‍तेमाल डिपॉजिटर्स को जागरूक करने के लिए किया जा सकता है. 

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लोकसभा में एक सवाल का जवाब देते हुए वित्त राज्य मंत्री भागवत कराड ने संसद को बताया कि 31 मार्च 2020 तक रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक देश की  बैंकों में 24,356 करोड़ रुपये की रकम है, जिसका दावा नहीं किया गया है.

इसी तरह इंश्योरेंस कंपनियों के लिए वित्त वर्ष 2020 के अंत तक बिना किए दावे की राशि 24,586 करोड़ रुपये है. इसका मतलब यह है कि बैंकों या इंश्‍योरेंस कंपनियों के पास इन पैसों को क्‍लेम करने वाला कोई नहीं है. वित्त राज्य मंत्री ने बताया कि रिजर्व बैंक के नियमों के मुताबिक बैंकों में बिना दावा किया गए रकम का डिपॉजिटर्स के हितों के प्रचार के लिए किया जा सकता है. 

क्‍या कहते हैं IRDAI के नियम 

इंश्योरेंस रेगुलेटर IRDAI के नियमों के मुताबिक, अगर किसी इंश्योरेंस कंपनी के पास पॉलिसीहोल्डर्स के बिना दावे की राशि 10 साल से ज्यादा की अवधि को पार करती है, तो उसे इंश्योरेंस कंपनी को सीनियर सिटीजन वेलफेयर फंड (SCWF) में ट्रांसफर करना होता है. रिजर्व बैंक ने भी बैंकों से अकाउंट में पड़े अनक्‍लेम्‍ड अमाउंट को अकाउंट होल्डर या उनसे जुड़े नॉमिनी तक पहुंचाने के लिए ठोस कदम उठाने के लिए समय-समय पर पर निर्देश दिए हैं. 

 

दरअसल, कई बार होता है कि कोई व्‍यक्ति बैंक या इंश्‍योरेंस में डिपॉजिट कर देता है. जिसके बारे में उसकी फैमिली के किसी मेम्‍बर या करीबी को कोई जानकारी नहीं होती है. साथ ही साथ डिपॉजिट करने वाले व्‍यक्ति की ओर से नॉमिनी भी नहीं किया गया होता है. ऐसे में अगर डिपॉजिटर की मृत्‍यु हो जाती है, तो उस रकम का कोई दावेदार नहीं रहता है. यह रकम अनक्‍लेम्‍ड अमाउंट के रूप में पड़ी रहती है.