कोरोना वायरस (Coronavirus) की वजह से लगे लॉकडाउन में कामधंधा फिलहाल मंदा है. कई बिजनेस पूरी तरह रुक गए हैं, कोई अपनी नौकरी पर नहीं जा रहे है. ऐसे में जिन लोगों ने बैंकों से कर्ज लिया है उनका क्या होगा? रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने इसे देखते हुए पहले तो रेपो रेट में कटौती की है. फिर बैंकों को EMI में छूट देने की सलाह दी. कुछ बैंकों ने भी ग्राहकों को फायदा पहुंचाते हुए EMI का बोझ 3 महीने तक टाल दिया. लेकिन, बैंकों की तरफ से 3 महीने तक EMI की छूट का मतलब क्या होता है. क्या सही में आपको EMI नहीं चुकानी चाहिए. इसके नियम क्या होते  हैं. आइये समझते हैं...

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क्या आपको 3 महीने के लिए टालनी चाहिए EMI?

लॉकडाउन में सबसे जरूरी सवाल यही है कि क्या आपको EMI टालनी चाहिए? जवाब है नहीं. कोशिश करें कि EMI बिल्कुल न टालें. बड़ी वित्तीय आपदा हो तो ही EMI टालने की कोशिश करें. क्योंकि ऐसा करने से लोन का बोझ बढ़ते हुए दिखेगा. सबसे बड़ी गलतफहमी कि EMI 3 महीने तक नहीं देनी है. आरबीआई की तरफ से 1 मार्च से 1 मई के बीच 3 महीने की EMI चुकाने की मोहलत दी गई है. यह कोई छूट नहीं है. सिर्फ प्रिंसपल अमाउंट पर मोहलत मिली है. ब्याज जुड़ता रहेगा. EMI में मोहलत देने का अधिकार सिर्फ बैंक के पास होता है. 3 महीने की EMI टालने आप पर बोझ कितना बढ़ता दिखेगा.

उदाहरण के लिए समझें

मान लीजिए 50 लाख का लोन है, अवधि 10 साल की है. ब्याज दर 8.50 फीसदी तक है. 1 अप्रैल से अगर EMI टाली तो लोन पर ब्याज 35000 रुपए होगा. अप्रैल अंत तक आपके लोन की राशि 50 लाख 35 हजार रुपए हो जाएगी. मई में अगर EMI टाली तो लोन पर ब्याज 36 हजार रुपए होगा. वहीं, लोन की राशि 50 लाख 71 हजार रुपए हो जाएगी. जून अंत तक लोन की राशि 51 लाख 7 हजार रुपए हो जाएगी. मतलब ये कि 3 महीने EMI टालने पर 1 लाख 7 हजार रुपए का अतिरिक्त ब्याज चुकाना होगा. 

EMI टालने के बाद क्या विकल्प होगा?

  • आपके लोन की मियाद 3 महीने बढ़ जाएगी.
  • आपको अपनी EMI बढ़ानी पड़ेगी. 
  • 1 लाख 7 हजार रुपए ब्याज का एकमुश्त भुगतान करना होगा. 
  • लोन राशि नहीं बढ़ेगी. 

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क्या करें

अगर आपके पास पैसा है तो EMI का भुगतान जरूर करें. क्योंकि, ब्याज तो आपको देना ही पड़ेगा. क्योंकि, ऐसा नहीं करने पर कई तरह के झंझटों का भी सामना करना पड़ेगा. यहां सिर्फ आपको टाइम मिल रहा है. ऐसा नहीं कि आपको ब्याज पर छूट मिल रही है या फिर प्रिंसिपल अमाउंट नहीं देना है. दोनों का भुगतान करते रहना पड़ेगा.