SpiceJet-Maran Dispute: दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को कम किराए वाली एयरलाइन स्पाइसजेट (SpiceJet Airlines) को अपने पूर्व प्रमोटर, सन ग्रुप के कलानिधि मारन (Kalanithi Maran) को 380 करोड़ रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया. अदालत ने एयरलाइन को चार सप्ताह के भीतर संपत्ति का एक हलफनामा प्रस्तुत करने को कहा है. दिल्ली हाईकोर्ट का ये ऑर्डर स्पाइसजेट एयरलाइन के लिए एक झटका है. हालांकि एयरलाइन को दिसंबर तिमाही में आय में चार गुना वृद्धि के साथ 106.8 करोड़ रुपये दर्ज किया. 

अदालत ने दिया स्पाइसजेट को आदेश

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स्पाइसजेट (SpiceJet) को अदालत ने मई तक पूर्व मालिक मारन को कम से कम 75 करोड़ रुपये का भुगतान करने के लिए कहा था और ऐसा करने में विफल रही है. अब मारन ने 380 करोड़ रुपये के पूर्ण बकाया भुगतान के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है.

SpiceJet के प्रवक्ता ने बताया, "स्पाइसजेट पहले से ही कलानिधि मारन (Kalanithi Maran) और उनकी फर्म के साथ व्यापक समाधान के लिए चर्चा कर रही है. इसे पारस्परिक रूप से हल करने का विश्वास है क्योंकि हमने पहले ही आर्बिट्रल ट्रिब्यूनल द्वारा दिए गए ₹578 करोड़ की पूरी मूल राशि का भुगतान कर दिया है."

क्या है कलानिधि मारन और स्पाइसजेट विवाद

सन ग्रुप के कलानिधि मारन और स्पाइसजेट विवाद 2015 से चल रहा है. उस समय मारन और उनकी फर्म केएएल एयरवेज (KAL Airways) ने SpiceJet के मौजूदा चेयरमैन अजय सिंह (Ajay Singh) को अपने पास रखे शेयरों का 58.46 प्रतिशत स्थानांतरित कर दिया था. अजय सिंह, जो एयरलाइन के सह-संस्थापक थे, ने एयरलाइन की देनदारियों पर ₹ 1,500 करोड़ की देनदारी ली थी. 

इस शेयर-हस्तांतरण समझौते के जरिए मारन को वारंट और तरजीही शेयर जारी किए जाने थे और इसके लिए उन्होंने 679 करोड़ रुपये का भुगतान किया था. 2017 में, मारन ने यह कहते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया कि उन्हें न तो सहमति के अनुसार वरीयता शेयर जारी किए गए थे और न ही उनके द्वारा भुगतान किया गया पैसा वापस किया गया था.

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