अंडमान और लक्षद्वीप में सी-प्लेन परिचालन के लिए सात द्वीपों की पहचान की गई है. साथ ही इन दो द्वीप-समूहों में पर्यटन आधारित परियोजनाओं के लिए निजी क्षेत्र को भी आमंत्रित किया गया है. गृहमंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई द्वीप विकास एजेंसी (आईडीए) की पांचवी बैठक में यह निर्णय किया गया. बैठक में ‘द्वीप-समूहों का सर्वांगीण विकास’ कार्यक्रम की प्रगति समीक्षा भी की गई.

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बैठक के बाद मंत्रालय द्वारा जारी बयान में बताया गया कि सी-प्लेन के परिचालन के लिए अंडमान में स्वराज द्वीप, शहीद द्वीप, हुटबे द्वीप और लॉन्ग द्वीप को और लक्षद्वीप में कवरत्ती, अगत्ती और मिनिकॉय को चुना गया है. सी-प्लेन, समूद्र में उतरने में सक्षम होते हैं.

इसके अलावा प्रमुख अवसंरचना परियोजनाओं को भी मंजूरी दी गई. इसमें दिगलीपुर हवाईअड्डे को जन-परिचालन के लिए खोलना, मिनिकॉय द्वीप में नए हवाईअड्डे को निर्माण को सरकार ने उच्च प्राथमिकता दी है. वहीं अंडमान ट्रंक रोड पर ‘मध्य जलडमरूमध्य पुल’ निर्माण के लिए तटीय नियमन जोन (सीआरजेड) मंजूरी भी प्रदान की गई है. इन सभी से द्वीप-समूहों के भीतर संपर्क बेहतर होगा.

अंडमान एवं निकोबार द्वीप-समूह में स्मिथ द्वीप और लॉन्ग द्वीप में दो पर्यावरण-पर्यटन परियोजनाओं और एवेस द्वीप में तंबू शहर परियोजना के लिए पहले ही निजी क्षेत्रों से आवेदन मंगाए जा चुके हैं. इसके अलावा नील द्वीप में एक और परियोजना के लिए बोलियां जल्द मंगायी जाएंगी.

लक्षद्वीप में भी तीन परियोजनाओं के लिए बोलियां आमंत्रित किए जाने का निर्णय किया गया है. यह तीन पर्यटन परियोजनाएं कदमत, मिनिकॉय और सुहेली चेरियाकारा द्वीप में स्थापित की जानी हैं.

बता दें कि भारत में सी-प्लेन सर्विस को बड़े स्तर पर फैलाने के लिए पिछले साल केंद्र सरकार ने एक योजना को मंजूरी दी थी. इस योजना के तहत देश के विभिन्न राज्यों में सी-प्लेन के अड्डे बनाने की सैद्धांतिक मंजूरी दे दी गई थी. दिसंबर, 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात में सी-प्लेन की सवारी की थी. इस सवारी के बाद प्रधानमंत्री ने सी-प्लेन योजना को अमलीजामा पहनाया था.