अक्सर किसी प्राकृतिक आपदा या दुर्गम इलाके में दवा के न पहुंचने से लोगों की जान पर बन आती है. लेकिन इस समस्या का हल अब ड्रोन के रूप में खोज लिया गया है. अब ड्रोन से दवा की डिलिवरी आसानी से की जा सकेगी. बेंगलुरु में इसका सफल परीक्षण भी किया गया है. इस परीक्षण को UDAN (Ude Desh Ka Aam Nagrik) और Throttle Aerospace Systems(TAS) ने मिलकर किया है.

DGCA की देखरेख में हुआ ट्रायल

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15 किलोमीटर के दायरे में किए गए इस ट्रायल रन को Beyond Visual Line of Sight(BVLOS) कहा जाता है. जिसमें ड्रोन नजर न आनेवाली लाइन के पार पहुंच जाता है. इस ड्रोन उड़ान का ट्रायल DGCA(Director General of Civil Aviation) की देखरेख में पूरा हुआ.

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दुर्गम इलाकों और आपदा में बनेगा वरदान

ये ट्रायल इसलिए अहम माना जा रहा है क्योंकि दिखाई न दे सकनेवाले प्वाइंट से भी क्या ड्रोन से दवाओं की डिलिवरी सटीक जगह पर की जा सकती है या नहीं. इस परीक्षण के सफल होने से अब दवाओं को ऐसे स्थल पर भी आसानी से पहुंचाया जा सकेगा जहां पहुंचना आसान न हो, रोड कनेक्टिविटी न हो या फिर शहरी इलाकों के घनी आबादी और ट्रैफिक जाम लगा हो. आपात हालात में ये सेवा जीवन दायनी साबित हो सकती है. इसी तरह किसी कुदरती कहर, महामारी या आपदा के अवसर पर भी इसी बिना किसी खास इंफ्रास्ट्रक्चर या लॉजिस्टिक चुनौतियों के पहुंचाया जा सकता है.

2-7 मिनट में 3.5 किमी

इस ट्रायल पायलट में दो तरह के ड्रोन को उड़ाया गया. पहला Medcopter X4 और दूसरा Medcopter X8. इसमें 2 से 7 किलोमीटर के दायरे में 2 किलो के पेलोड के मेडिसिन की डिलिवरी कई जगहों से टेस्ट की गई. जिसमें औसत 3.5 किलोमीटर के दायरे में ड्रोन डिलिवरी 2-7 मिनट के भीतर की गई. इसमें मेडिसिन पेलोड को ड्रोन से बांध कर और ड्रोन को लैंड कर इन दो मोड्स पर टेस्ट किए गए.

लास्ट माइल डिलिवरी के लिए अहम

TAS और UDAN इस परीक्षण के दम पर वर्ल्ड क्लास मेडिसिन डिलिवरी चेन पूरे देश भर में शुरू करने की दिशा में उठाया गया बड़ा कदम माना जा रहा है. UDAN के प्रोडक्ट इंजीनियर कहते हैं कि ये प्रयोग सप्लाय चेन ईकोसिस्टम में लास्ट माइल डिलिवरी के लिए अहम साबित होंगे. केवल यही नहीं ये ट्रायल रन वितरण और लॉजिस्टिक्स के क्षेत्र में अहम होगा. भारत के दुर्गम इलाकों के किराणा, केमिस्टों, दुकानदारों, MSME के लिए भी एक सॉल्युशन के तौर पर देखा जा सकता है.