संकट में फंसी निजी विमानन कंपनी जेट एयरवेज (Jet Airways) के 1000 से अधिक पायलटों ने एक अप्रैल से विमान नहीं उड़ाने के अपने फैसले पर अडिग रहने का निर्णय किया है. पायलटों ने यह निर्णय ऐसे समय किया जब एयरलाइन शुक्रवार को बैंकों से धन प्राप्त करने में नाकाम रही. अगर ऐसा होता है तो इससे जेट एयरवेज के यात्रियों पर बड़ी आफत आ सकती है. 

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जेट एयरवेज के करीब 1100 पायलटों के प्रतिनिधित्व का दावा करने वाले संगठन ‘नेशनल एविएटर्स गिल्ड’ ने पिछले सप्ताह घोषणा की थी कि अगर उनके बकाये वेतन का भुगतान नहीं किया गया और 31 मार्च तक पुनर्जीवन योजना पर स्थिति स्पष्ट नहीं की जाती है तो वे एक अप्रैल से विमान नहीं उड़ाएंगे. इसके कुछ दिन बाद, ऋण से उबारने की योजना के तहत एयरलाइन प्रबंधन एसबीआई नीत बैंक संघ के हाथों में चला गया था.

जेट को संकट से उबारने के लिए एसबीआई के नेतृत्व वाले बैंक समूह ने 51 फीसदी हिस्सेदारी खरीद ली है. अब वह नए मालिक की तलाश कर रहा है. जेट को खरीदने के लिए टाटा समूह, इंडिगो, एतिहाद, डेल्टा दौड़ में हैं. उन्‍हें 9 अप्रैल तक बोली लगाने के लिए आवेदन करना होगा. 

जेट के अध्यक्ष नरेश गोयल भी बोर्ड से इस्‍तीफा दे चुके हैं. बैंक के एक अधिकारी के अनुसार जेट को पूरी क्षमता से चलाने कके लिए कम से कम 4500 करोड़ रुपये की जरूरत होगी.