सिविल एविएशन मंत्री सुरेश प्रभु ने बुधवार को कहा कि कैश संकट से जूझ रही एयरलाइंस जेट एयरवेज की मदद के लिए किसी हस्तक्षेप से इनकार किया. उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं लगना चाहिए कि सरकार किसी एयरलाइंस की मदद कर रही है. कर्ज समाधान योजना के तहत कर्जदाताओं द्वारा जेट एयरवेज का कंट्रोल लेने के प्रस्ताव के बारे में सुरेश प्रभु ने कहा कि बैंक इस मामले में सीधे भागीदार हैं और वे एयरलाइंस के वाणिज्यिक मामले से निपट रहे हैं, जिसमें मंत्रालय को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए. सुरेश प्रभु ने कहा, 'मंत्रालय को किसी तरह के वाणिज्यिक लेनदेन में शामिल नहीं होना चाहिए. मैंने ऐसा ही रेलवे या दूसरे मामलों में किया है. मामला बैंक और प्रबंधन के बीच है.' 

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इससे पहले खबर आई थी कि जेट एयरवेज के घरेलू पायलटों के यूनियन नेशनल एवियटर्स गिल्ड (NAG) ने कहा कि पायलटों के विमान उड़ाने के लिहाज से मौजूदा स्थिति 'आदर्श' नहीं है. उन्होंने कहा कि पायलट को समय पर वेतन नहीं मिल रहा है और उन्हें अपने ईएमआई और अन्य वित्तीय प्रतिबद्धताएं पूरी करने में दिक्कत आ रही है.

जेट एयरवेज के 15 से भी कम विमान अब परिचालन में हैं. इससे जेट एयरवेज देश की सबसे छोटी एयरलाइन बन गई है. इससे वह अंतरराष्‍ट्रीय रूट पर भी परिचालन नहीं कर पाएगी. कंपनी के बेड़े में करीब 119 विमान थे. हालांकि, विमान के लीज की किस्तें नहीं चुकाने के कारण कंपनी को हालिया समय में अधिकांश विमान खड़े करने पड़े हैं.

(एजेंसी इनपुट के साथ)