देश की विमानन कंपनियां घाटे से जूझ रही हैं. सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया तो पहले ही कंगाली के दौर से गुजर रही है, अब प्राइवेट कंपनी जेट एयरवेज पर भी आर्थिक संकट मंडराने लगा है. आलम यह है कि कंपनी अपने कर्मचारियों को समय पर वेतन भी नहीं दे पा रही है. वेतन समय पर नहीं मिलने से कर्मचारियों में आक्रोश है. कंपनी जेट एयरवेज वरिष्ठ प्रबंधन समेत विमान चालकों एवं अभियंताओं के वेतन में देरी के बाद सितंबर में अन्य श्रेणियों के कर्मचारियों को भी वेतन देने में असफल रही है.

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कंपनी फिलहाल वित्तीय देनदारियों का भुगतान करने के लिए पैसे जुटाने में संघर्ष कर रही है. उसके समक्ष 16 हजार से अधिक कर्मचारियों के वेतन भुगतान का भी दबाव है.

एक कर्मचारी ने बताया कि सामान्यत: महीने की पहली तारीख को वेतन मिल जाता है. पिछले महीने कंपनी ने वरिष्ठ प्रबंधन, विमानचालकों और अभियंताओं को छोड़ शेष सभी कर्मचारियों को समय पर वेतन दे दिया था. लेकिन, इस महीने (सितंबर) प्रबंधकों तथा कुछ वरिष्ठ पदों पर कार्यरत कर्मचारियों समेत अन्य श्रेणियों के कर्मचारियों को वेतन नहीं मिला है.

75 हजार रुपये प्रति माह के वेतन वाले यानी ए1-ए5, ओ1 और ओ2 श्रेणी के कर्मचारियों का वेतन एक अक्टूबर को आ गया. एम1, एम2, ई1 और अन्य ऊपर की श्रेणियों के कर्मचारियों को अभी तक वेतन नहीं मिला है. 

कंपनी ने छह सितंबर को वरिष्ठ कर्मचारियों से कहा था कि उन्हें नवंबर तक हर महीने वेतन दो खेप में मिलेगी. अगस्त महीने के वेतन की पहली खेप लोगों को 11 सितंबर तक मिलने वाली थी तथा शेष 50 प्रतिशत वेतन 26 सितंबर तक मिलना था. कंपनी आधे वेतन का भुगतान तय समय तक करने में सफल रही थी लेकिन शेष आधे वेतन का भुगतान करने की समयसीमा 26 सितंबर से बढ़ाकर नौ अक्टूबर कर दी गई.