देश के अंतरिक्ष कार्यक्रमों के संगठन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) को बहुप्रतीक्षित चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग को आखिरी घंटे में रोकना पड़ा था. इसको रोके जाने का फैसला चंद्रयान-2 के लॉन्‍च व्‍हीकल सिस्‍टम में तकनीकी खामी पता लगने पर लिया गया था. इसरो की ओर से अब नई जानकारी दी गई है कि चंद्रयान -2 की लांचिंग 22 जुलाई को दोपहर 2:43 बजे (भारतीय समयानुसार) की जाएगी. इसके लिए तैयारियां पूरी की जा रही हैं.

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इस अभियान के ये होंगे फायदे

इसरो का चंद्रयान 2 अभियान 2008 में प्रक्षेपित चंद्रयान-1 की अगली कड़ी है. इसरो के अनुसार अभियान का उद्देश्य चंद्रमा की उत्पत्ति और क्रमिक विकास को समझने के लिये अध्ययन करना है. चंद्रयान-2 सौर मंडल के बारे में कुछ बुनियादी सवालों के सुराग उपलब्ध कराएगा, जो कि चंद्रमा के क्रेटरों, पहाड़ियों और घाटियों में छिपे हैं. चंद्रयान 2 के जरिए प्राप्त आंकड़ों से ब्रह्मांड के रहस्यों को जानने में मदद मिलेगी.

भारत पर पूरी दुनिया की नजर

चंद्रयान 2 अभियान पर पूरी दुनिया की नजर है. यह अभियान सफल होता है तो पूरी दुनिया में भारत अंतरिक्ष क्षेत्र में और मजबूत होगा. चंद्रमा पर यह मिशन अंतरिक्ष में नई खोज के साथ ही इन-सीटू संसाधन उपयोग के लिए आवश्यक प्रौद्योगिकियों को साबित करने का अवसर भी होगा.

इस लांच व्हीकल से लांच होगा चंद्रयान 2  

चंद्रयान-2 को 44 मीटर लंबे और 640 टन वजनी जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल-मार्क 3 (जीएसएलवी-एमके 3) से लॉन्‍च किया जाना था. धरती और चंद्रमा के बीच की दूरी लगभग 3.844 लाख किलोमीटर है. अपनी उड़ान के लगभग 16 मिनट बाद 375 करोड़ रुपये का जीएसएलवी-मार्क 3 रॉकेट 603 करोड़ रुपये के चंद्रयान-2 अंतरिक्ष यान को पृथ्वी पार्किंग में 170 गुणा 40400 किलोमीटर की कक्षा में रखना था. चंद्रयान-2 में लैंडर-विक्रम और रोवर-प्रज्ञान चंद्रमा तक जाएंगे. लैंडर-विक्रम 6 सितंबर को चांद पर पहुंचना था.