Suzuki Motor Corp: भारत ई-व्हीकल के मैन्यूफैक्चरिंग (E Vehicle Manufacturing) का बड़ा हब बनने जा रहा है. जापान की दिग्गज ऑटोमेकर सुजुकी मोटर कॉरपोरेशन (Suzuki Motor Corporation) इलेक्ट्रिक वाहनों और बैटरी के निर्माण के लिए भारत में 104.4 बिलियन रुपए का निवेश करेगी. कंपनी जल्द ही गुजरात में बैटरी बनाने का प्लांट लगाएगी. कुल इन्वेस्टमेंट 150 अरब येन होगा. कंपनी के इस प्लान से भारत के इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण को बढ़ावा मिलेगा. कंपनी ने इसके लिए गुजरात सरकार के साथ करार किया है. कंपनी ने स्टेटमेंट जारी करके कहा Evs की लोकल मैन्युफैक्चरिंग और बैटरीज बनाने के लिए 10, 445 करोड़ रुपए का निवेश किया जाएगा.

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भारत सरकार का पर्यावरण के अनुकूल वाहनों (Electric Vehicles) की मैन्युफैक्चरिंग पर फोकस कर रही है. देश में इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या बढ़ने से होने वाले प्रदूषण में कमी आएगी. इस लिहाज से यह निवेश महत्वपूर्ण है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने भी निवेश पर चर्चा की. 19 मार्च 2022 को आयोजित इंडिया-जापान इकोनॉमिक फोरम में MoU साइन किया गया है. निवेश से रोजगार को बढ़ावा देने में भी मदद मिलेगी.

ऑटोमोटिव इलेक्ट्रॉनिक्स पावर प्राइवेट लिमिटेड और जापान तोशिबा कॉर्पोरेशन ने गुजरात सरकार के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए. समझौते के मुताबिक, अहमदाबाद के हंसलपुर क्षेत्र में एक बड़ी लिथियम आयन बैटरी परियोजना स्थापित की जाएगी. परियोजना के लिए निवेश समझौते पर दो चरणों में हस्ताक्षर किए गए थे. 

गुजरात यूनिट को करेगी EV में डेव्लप

सुजुकी मोटर लोकल डिमांड को पूरा करने के लिए भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए एक बेस के रूप में स्थापित कर सकती है, कंपनी आने वाले समय में इस निवेश को बढ़ा सकती है. मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड (Maruti Suzuki India Limited) के एमडी और सीईओ केनिची आयुकावा (Kenichi Ayukawa) ने पहले सुझाव दिया था कि गुजरात में सुजुकी प्लांट को EV hub के रूप में डेव्लप किया जा सकता है.

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देश में बढ़ेगा रोजगार

जापान भारत में अलग-अलग प्रोजेक्ट्स में निवेश करने का इच्छुक है. इसके हिस्से के रूप में जापानी वाहन निर्माता सुजुकी मोटर कॉर्पोरेशन इलेक्ट्रिक वाहनों और बैटरी के निर्माण के लिए भारत में निवेश करेगी. अगर यह प्रोजेक्ट बन जाता है तो इससे हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा. साथ ही देश में इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या बढ़ने से पेट्रोल-डीजल पर निर्भरता कम होगी और प्रदूषण पर भी अंकुश लगेगा.