लग्जरी और स्पोर्ट्स कार कंपनी पॉर्श ने अब डीजल कारों का उत्पादन बंद करने का फैसला किया है. कंपनी का दावा है कि वह डीजल इंजन छोड़ने वाली जर्मनी की पहली वाहन कंपनी बनेगी. पॉर्श की मूल कंपनी फॉक्सवैगन के उत्सर्जन घोटाले के मद्देनजर कंपनी ने यह कदम उठाया है. पॉर्श के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ओलिवर ब्लूम ने कहा कि भविष्य में पॉर्श के डीजल मॉडल नहीं आएंगे. 

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ओलिवर ब्लूम ने कहा कि इसके बजाय कंपनी अपनी पूरी ताकत पेट्रोल, हाइब्रिड और 2019 से पूर्ण इलेक्ट्रिक वाहनों पर ध्यान केंद्रित करने में लगायेगी. पॉर्श प्रमुख ने स्वीकार किया कि यह कदम फॉक्सवैगन समूह के तीन साल पुराने डीजलगेट घोटाले के लिए उठाया गया है. पॉर्श फॉक्सवैगन समूह का ही हिस्सा है. 

फॉक्सवैगन ने 2015 में नियामकों के समक्ष स्वीकार किया था कि उसने उत्सर्जन परीक्षण को धोखा देने के लिए वैश्विक स्तर पर अपनी 1.1 करोड़ कारों में ‘उपकरण’ लगाए थे.

ब्लूम ने बताया कि दुनियाभर में डीजल कारों की हिस्सेदारी महज 15 फीसदी और हाईब्रिड कारों की हिस्सेदारी 50 फिसदी है. इनमें पेट्रोल कारों की हिस्सेदारी 35 प्रतिशत है. उन्होंने बताया कि अब कंपनी इलेक्ट्रिक और हाईब्रिड कार बनाने पर ज्यादा ध्यान देगी. 

पॉर्श की दो कारें माकन-एस और पैनामेरा-4एस डीजल इंजन में आती हैं और कंपनी इन दोंनो कारों का उत्पादन बंद कर चुकी है. 

डीजलगेट घोटाला

बता दें कि फॉक्सवैगन ने स्वच्छ डीजल इंजन बनाने का दावा किया था, लेकिन जांच में पाया गया था कि उसने एक ऐसे सॉफ़्टवेयर का इस्तेमाल किया था, जो कि उत्सर्जन मानदंडों को धोखा देता था. कंपनी ने इस तरह की करीब 3 मिलियन कार बेची थीं. कंपनी का साफ्टवेयर जो रिजल्ट बताता था, प्रदुषण का स्तर उससे 40 गुना ज्यादा होता था. यानी कंपनी का सॉफ्टवेयर प्रदूषण को 40 फीसदी कम करके बताता था. इस घोटाले को लेकर फॉक्सवेगन पर करोड़ों रुपये का जुर्माना लगा और दोषियों को सजा दी गई थी. 

(इनपुट भाषा से)