राजधानी दिल्ली में आज से सिर्फ RFID टैग वाली कमर्शियल गाड़ियों की एंट्री होगी. क्योंकि 23 अगस्त की रात से RFID टैगिंग की डेडलाइन समाप्त हो गई. आज शनिवार से बिना RFID टैग वाली कोई कमर्शियल गाड़ी दिल्ली में एंट्री करती है, तो उस पर जुर्माना लगया जाएगा. अधिकारियों का दावा है कि इस नए सिस्टम से दिल्ली पर पड़ने वाला गाड़ियों का बोझ कम होगा और प्रदूषण में कमी आएगी.

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दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के अतिरिक्त आयुक्त रंधीर सहाय के मुताबिक, बिना RFID टैग वाली कमर्शियल गाड़ियों को 24 अगस्त से दोगुना पर्यावरण भुगतान देना होगा. उसके बाद के सप्ताह में जुर्माने की राशि चार गुना और फिर तीसरे सप्ताह छह गुना कर दी जाएगी. 

जानकारी के मुताबिक, अब तक लगभग 1.7 कमर्शियल गाड़ियों ने RFID टैग के लिए रजिस्टर करा लिया है. ऐसी गाड़ियों को टोल बूथ पर टैक्स देने के लिए नहीं रुकना होगा. RFID टैग वाली गाड़ी जैसे ही टोल बूथ से गुजरेगी, उस पर लगे टैग टैक्स कट जाएगा.

 

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बता दें कि दिल्ली में रोजना करीब 50 लाख कमर्शियल गाड़ियों की एंट्री होती है, इनमें से ज्यादातर टैक्सी होती हैं. दिल्ली में 13 बॉर्डरों से गाड़ियों की एंट्री होती है. 

हर गाड़ी पर होगी नजर

RFID टैग सिस्टम से टोल टैक्स वसूलने में तो आसानी होगी ही साथ ही, इस सिस्टम से दिल्ली में एंट्री करने वाली हर गाड़ी पर भी नजर रखी जा सकेगी. क्योंकि एंट्री प्लाइंट पर सीसीटीवी कैमरे लगे होंगे. हर लेन में तीन कैमरे लगाए गए हैं. इन कैमरों से गाड़ियों की नंबर प्लेट को भी रिकॉर्ड किया जाएगा. जो भी गाड़ी ड्राइवर ट्रैफिक रूल तोड़ता हुआ रिकॉर्ड हुआ, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी, जैसे चालान भेजना, एफआईआर दर्ज करना और यहां तक कि अगले ट्रिप के लिए ब्लैक लिस्ट कर देना भी इस कार्रवाई में शामिल है.

RFID टैग, एनएचएआई के टोल सिस्टम से अलग हैं. इन टैग में ऐसा सिस्टम लगाया गया है, जिससे गाड़ियों की उम्र का पता टोल पर चलेगा और अगर गाड़ी पुरानी है तो उसके लिए बेरियर नहीं खुलेगा. और इस तरह दिल्ली में प्रदूषण को कम करने में भी मदद मिलेगी. कोई भी ड्राइवर अगर इस सिस्टम के तहत एंट्री करने की कोशिश करेगा तो उसक 15 मिनट पहले उनके ई-वॉलिट में रिचार्ज करना होगा.