उद्योग संगठन सीआईआई ने कहा कि फेम जैसी नीतियों के साथ में वाहनों, बैटरियों तथा कल-पुर्जों के स्थानीय विनिर्माण के भी कदम उठाये जाने चाहिये. इससे 2030 तक इलेक्ट्रिक वाहनों को व्यापक स्तर पर अपनाये जाने को बढ़ावा मिलेगा.

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सीआईआई ने कहा कि 2030 तक इलेक्ट्रिक वाहनों को व्यापक स्तर पर अपनाये जाने को बढ़ावा देने के लिये फेम जैसी नीतियों के समर्थन में बाजार के निर्माण, वाहनों, बैटरियों तथा कल-पुर्जों के स्थानीय विनिर्माण, मुख्य कच्ची सामग्रियों की रणनीतिक उपलब्धता तथा देश में कौशल विकास जैसे कदम उठाये जाने चाहिये.

संगठन ने कहा कि इससे 2022 तक कच्चा तेल आयात 10 प्रतिशत तक कम करने के लक्ष्य को पाने की दिशा में है. इससे 2030 में डीजल एवं पेट्रोल उपभोग में 15.6 करोड़ टन की कमी आएगी तथा मौजूदा कीमत पर 2030 में करीब 60 अरब डॉलर की बचत होगी.

सीआईआई ने कहा कि परिवहन क्षेत्र सबसे अधिक ईंधन की खपत करने वाला क्षेत्र बना हुआ है. पिछले 10 साल में पेट्रोल का इस्तेमाल 5.9 प्रतिशत तथा डीजल का इस्तेमाल 9.9 प्रतिशत बढ़ा है. इसी तरह आयात पर निर्भरता 2014-15 में कुल उपभोग का 78.30 प्रतिशत थी जो 2018-19 के पहले 10 महीने में बढ़कर 83.70 प्रतिशत पर पहुंच गयी.