देश में इलेक्ट्रिक और जीरो-एमिशन (Zero Emission) व्हीकल्स को बढ़ावा देने के लिए ‘Fame II’ जैसी योजनाओं को तब तक जारी रखा जाना चाहिए जब तक कि ऐसे व्हीकल्स की पहुंच बेहतर लेवल के लोकलाइजेशन के साथ एक निश्चित सीमा तक नहीं पहुंच जाता. टाटा मोटर्स के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर गिरीश वाघ (Girish Wagh) ने ये बात कही है. गिरीश वाघ ने कहा कि ‘फेम-2’ स्कीम अगले साल खत्म हो रही है, इसलिए इसके विस्तार पर भी विचार किया जाना चाहिए. इसमें बड़ी इलेक्ट्रिक बसों (Electric Buses) को सब्सिडी का लाभ उठाने के लिए शामिल किया जाना चाहिए.

साल 2019 में मिली थी दूसरे फेस को मंजूरी

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बताते चलें कि देश में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को बढ़ावा देने के लिए भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (Electric Vehicles) के तेज एडोप्शन और मैन्यूफैक्चरिंग के दूसरे फेस (फेम-2) को 2019 में मंजूरी दी गई थी. गिरीश वाघ ने कहा, ‘‘सरकार ने इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EV) या जीरो-एमिशन व्हीकल्स की मांग को बढ़ावा देने के लिए शानदार काम किया है. सरकार ने फेम फेस-1 हो, फेस 2 हो, राज्य स्तर के इन्सेंटिव हों या पीएलआई स्कीम जैसे बहुत सारे नीतिगत उपाय किए हैं.’’

फेम 2 स्कीम को बढ़ाने की मांग

टाटा मोटर्स के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर गिरीश वाघ ने कहा, ‘‘हमारी सरकार से ये उम्मीद है कि इसे तब तक जारी रखा जाए जब तक कि ईवी की पैठ एक खास लिमिट को पार नहीं कर लेती है, जहां लोकलाइजेशन का लेवल भी अच्छा हो.’’ उन्होंने आगे कहा कि सरकार के इन उपायों से बड़े पैमाने पर ग्राहकों की चिंता के मुद्दों का भी समाधान हो जाएगा.

10 हजार करोड़ रुपये की स्कीम को 2024 तक बढ़ा दिया गया है

गिरीश वाघ ने कहा कि सरकार को इंडस्ट्री के साथ स्कीम को लेकर विचार-विमर्श करना चाहिए कि क्या इन गाड़ियों को फेम-2 योजना के तहत सब्सिडी के लिए शामिल करना उचित है. सरकार ने साल 2021 में 10,000 करोड़ रुपये की फेम-2 स्कीम को 31 मार्च, 2024 तक बढ़ा दिया था.

भाषा इनपुट्स के साथ