कंपटीशन कमीशन ऑफ इंडिया (CCI) ने देश की सबसे बड़ी कार बनानेवाली कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड पर प्रतिस्पर्धा विरोधी चलन को अपनाने के आरोपों में 200 करोड़ का जुर्माना लगाया है. आरोपों के मुताबिक कंपनी ने डीलरों पर कारों की बिक्री में छूट देने की स्वतंता पर दबाव बनाया था. ये दंड दरअसल पैसेंजर विहिकल सेगमेंट में डिस्काउंट कंट्रोल पॉलिसी के तहत डीलरों को ग्राहकों को एक तय सीमा से बाहर छूट देने से रोकने के आरोप में लगाया गया है. इसे रिसेल प्राइस मैनेजमेंट के तहत प्रतिस्पर्धा विरोधी आचरणों बताया जा रहा है.

CCI को मिली थी शिकायत

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CCI ने अपनी रिपोर्ट में उन आरोपों का खास उल्लेख किया है जिसमें कंपनी पर ये कहा गया था कि वो एक खास जोन के डीलरों को कार बेचने के दौरान एक तय सीमा से बाहर अपने ग्राहकों को छूट नहीं देने पर दबाव बनाया गया था. कंपनी की ओर से ताकीद ये भी दी गई थी कि अगर किसी डीलर को तय सीमा से बाहर छूट देते पाया गया तो उनके खिलाफ कंपनी कार्रवाई करेगी. इसी तरह का आरोप  ये भी था कि इसी तरह की डिस्काउंट कंट्रोल पॉलिसी को पूरे भारत में लागू किया गया था. ये पॉलिसी ऐसे शहरों में खास तौर से अपनाई जाती थी जहां 5 से ज्यादा डीलर्स हों.  

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2019 में शुरू हुई थी जांच

शिकायत मिलने पर CCI ने  2019 में उन आरोपों की जाच शुरू की थी. इसके बाद 23 अगस्त को आदेश जारी कर मारुति को इस तरह के चलन को बंद करने के लिए कहा था साथ ही ऐसी प्रैक्टिस में शामिल होने से भी मना किया गया था. आदेश में कंपनी को  60 दिनों के भीतर जुर्माना भरने के लिए कहा गया है. 

कंपनी ने किया आरोपो का खंडन

मारुति सुजुकी इंडिया प्रायवेट लिमिटेड की ओर से इन आरोपों को लेकर कहा गया था कि कंज्यूमर्स के संतोष और योजना के बीच बैलेंस बनाए रखने के अलावा, वो डीलरों पर कंट्रोल या सुपरविजन नहीं करता है. साथ ही कंपनी ने कहा कि इसके अलावा, डीलरशिप एग्रीमेंट में ऐसा कोई नियम नहीं है, जिसके तहत तय सीमा से ज्यादा डिस्काउंट देने पर डीलरों पर जुर्माना लगाया जात हो.