त्योहारी सीजन में कर्ज लेकर अपनी मनपसंद टू-व्हीलर या मोटर साइकिल खरीदने की सोच रहे लोग मायूस हो सकते हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि बैंकों ने पहले ही दो पहिया गाड़ियों के लिए लोन देना कर कर दिया है और अब गैर बैंकिंग कंपनियां भी पैसे की किल्लत का सामना कर रही हैं, जिसके चलते वो भी कर्ज देने में कटौती कर सकती हैं. क्रेडिट सुइस की रिपोर्ट में ऐसा अंदेशा जताया गया है.

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गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को निकट भविष्य में म्यूचअल फंड कंपनियों द्वारा लिए गए कमर्शियल पेपर (सीपी) की परिपक्वता की वजह से भारी नकदी संकट का सामना करना पड़ेगा. इससे एनबीएफसी पर वित्तपोषण के लिए निर्भर क्षेत्र प्रभावित होंगे. रिपोर्ट में कहा गया है कि एनबीएफसी के नकदी संकट से विशेषरूप से दोपहिया क्षेत्र पर असर पड़ेगा. 

दोपहिया की फाइनेंसिंग वित्त वर्ष 2013-14 में 30 प्रतिशत थी, जो 2017-18 में बढ़कर 50 प्रतिशत हो गई. इसमें मुख्य योगदान एनबीएफसी का रहा है. क्रेडिट सुइस की रिपोर्ट के अनुसार दोपहिया की फाइनेंसिंग में एनबीएफसी का हिस्सा इस समय करीब 60 प्रतिशत है. रिपोर्ट में कहा गया है कि एनबीएफसी को अगले दो माह में कुछ बड़ी परिपक्वता का भुगतान करना होगा. यह उनके कुल कर्ज का 25 से 40 प्रतिशत है. 

रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि एनबीएफसी की वृद्धि सुस्त पड़ने से विशेषरूप से वे क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हो सकते हैं जो वित्तपोषण के लिए उनपर निर्भर हैं. रिपोर्ट कहती है कि यात्री वाहन, वाणिज्यिक वाहन और ट्रैक्टर आदि के वित्तपोषण में बैंकों का भी अच्छा योगदान है. वहीं दोपहिया खंड में एनबीएफसी का वित्तपोषण सबसे अधिक है. रिपोर्ट के मुताबिक 'कुछ बैंकों ने दोपहिया के लिए कर्ज देना बंद कर दिया है जिससे एनबीएफसी के लिए यह खुल गया था.'

रिपोर्ट में कहा गया है कि एनबीएफसी में नकदी संकट ऐन त्योहारी सीजन के दौरान आया है. दोपहिया वाहन कंपनियों की कुल वार्षिक बिक्री में त्योहारी सीजन का हिस्सा करीब 25 प्रतिशत रहता है.