ऑटोमोबाइल सेक्टर को बजट से काफी उम्मीदें हैं. हालांकि ऑटो एक्सपर्ट का यह भी मानना है कि इस बार का बजट ऑटोमोबाइल कंपनियों के लिए काफी चुनौतीपूर्ण हो सकता है, क्योंकि पिछले कुछ समय से ऑटो सेक्टर ने काफी तरह के नीतिगत सुधार के असर का सामना किया है. इसमें डीजल ऑटोमोटिव पॉलिसी और जीएसटी लागू होने का असर देखा गया है. शुक्रवार को पेश होने वाले अंतरिम बजट से उम्मीद को लेकर हालांकि ऑटो कंपनियों ने खुलकर कुछ कहने से इनकार कर दिया. बावजूद उद्योग से जुड़े लोगों ने सरकार को कुछ सलाह जरूर दी है.

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टैक्स के मामले पर ध्यान दे सरकार

वाहन निर्माता कंपनियों के संगठन सियाम के डिप्टी डायरेक्टर जनरल सुगातो सेन का कहना है कि जहां तक टैक्स का मामला है, केंद्रीय बजट में आज केवल सीमा शुल्क और प्रत्यक्ष कर शामिल हैं क्योंकि उत्पाद शुल्क और सेवा कर को जीएसटी में शामिल किया गया है और इसे जीएसटी परिषद द्वारा नियंत्रित किया गया है. 

सीमा शुल्क के संबंध में सुझाव

सीमा शुल्क के संबंध में, SIAM ने सरकार को सुझाव दिया है कि कारों और दोपहिया वाहनों के CBU के लिए दरें समान स्तर पर बनी रहें. लेकिन, वाणिज्यिक वाहनों के सीबीयू के लिए, दरों को 25% से बढ़ाकर 40% किया जाना चाहिए. हालांकि, 40% की दर CKD और SKD पर लागू नहीं होनी चाहिए. 

आरएंडडी पर खर्च

प्रत्यक्ष कर के मोर्चे पर, SIAM का कहना है कि अनुसंधान और विकास (आरएंडडी) खर्च की भारित कटौती को पहले की तरह 200% पर लाया जाना चाहिए, क्योंकि प्रत्यक्ष कर दरों में कमी नहीं की गई है. ऑटोमोबाइल उद्योग के लिए R & D प्रोत्साहन आज अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि हमें भारत में विभिन्न उत्सर्जन और सुरक्षा सुधारों को पूरा करने के लिए R & D के लिए अगले कुछ वर्षों में महत्वपूर्ण राशि का निवेश करना होगा.

 

 

जीडीपी में खास स्थान

ऑटो सेक्टर का सकल घरेलू उत्पाद में खास स्थान है. यह कुल जीडीपी में सात फीसदी हिस्सेदारी रखता है. साथ ही यह देश में करीब 2.9 करोड़ लोगों को रोजगार मुहैया करा रहा है. ऑटो सेक्टर को बजट से काफी उम्मीद है ताकि उद्योग को आगे बढ़ने में मदद मिले और देश की जरूरत के मुताबिक बजट में उत्पाद लाए जा सकें.