भारत और जापान की GDP से भी कई गुना ज्यादा है इस बैंक की संपत्ति
Bank of Japan की संपत्ति तेजी से उभरते तुर्की, अर्जेंटीना, साउथ अफ्रिका, भारत और इंडोनेशिया के संयुक्त सकल घरेलू उत्पाद से भी ज्यादा है.
जापान का केंद्रीय बैंक की संपत्ति दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी ऐप्पल इंक से 5 गुना अधिक है.
जापान का केंद्रीय बैंक की संपत्ति दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी ऐप्पल इंक से 5 गुना अधिक है.
आपको जानकार हैरानी होगी कि जापान के केंद्रीय बैंक 553.6 ट्रिलियन येन (4.87 ट्रिलियन डॉलर) की संपत्ति का मालिक है. जापान का केंद्रीय बैंक जी-7 देशों में पहला ऐसा बैंक बन गया है जिसकी खुद की संपत्ति जापान की पूरी अर्थव्यवस्था से कहीं अधिक है. बैंक की यह संपत्ति दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी ऐप्पल इंक से 5 गुना अधिक है और खुद जापान की सबसे बड़ी कंपनी टोयोटा मोटर कॉर्प की संपत्ति से 25 गुना अधिक है.
केंद्रीय बैंक द्वारा जारी आंकड़ों दिखाते हैं कि बैंक ऑफ जापान (BOJ) ने मात्रात्मक और गुणात्मक नीति से पिछले साढ़े 5 वर्षों में कितना धन एकत्र किया है. बैंक ऑफ जापान, स्विस नेशनल बैंक के बाद दुनिया का दूसरा केंद्रीय बैंक और 7 देशों (जी 7) के समूह के बीच पहला ऐसा बैंक बन गया है जिसकी खुद की अर्थव्यवस्था उसके देश की अर्थव्यवस्था से बड़ी है. यहां तक कि जापान के इस बैंक की संपत्ति तेजी से उभरते तुर्की, अर्जेंटीना, साउथ अफ्रिका, भारत और इंडोनेशिया के संयुक्त सकल घरेलू उत्पाद से भी ज्यादा है.
बीते अप्रैल-जून के लिए जापान का सकल घरेलू उत्पाद सालाना 552.8207 ट्रिलियन येन था. हालांकि जुलाई-सितंबर के लिए जारी होने वाले डाटा में प्राकृतिक आपदाओं के चलते इसमें कुछ कमी आने के संकेत हैं. हालांकि आर्थिक जगत के विशेषज्ञ दशकों के अपर्याप्त दबावों से अर्थव्यवस्था को उठाने के साथ अनूठी नीतियों को इसका श्रेय देते हैं, लेकिन केंद्रीय बैंक को दो प्रतिशत मुद्रास्फीति लक्ष्य को पूरा करने या घरेलू मांग और विकास को पुनर्जीवित करने में थोड़ी सी सफलता मिली है.
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विशेषज्ञों को नहीं है भरोसा
कुछ निवेशक बैंक ऑफ जापान के मुद्रास्फीति के लक्ष्य को बहुत ही महत्वाकांक्षी मानते हैं, जिस वजह से इसने लोगों को बड़े पैमाने पर बैंक के बॉण्ड और शेयर खरीदने के लिए उत्साहित किया है. हाल के वर्षों में तेजी से असेस्ट्स खरीदने के चलते बैंक के पास जापानी सरकारी बॉण्ड (जेजीबी) बाजार का 45 प्रतिशत हिस्सा है, जो उसे अन्य केंद्रीय बैंकों की भीड़ से अलग करता है.
हालांकि कुछ विशलेषक बैंक की नीतियों को टिकाऊ नहीं मानते हैं. उनका मानना है कि बैंक इन नीतियों के कारण लंबी रेस नहीं चल पाएगा. अगर बैंक अपनी ब्याज दरों में इजाफा करता है तो उसे घाटे का सामना करना पड़ेगा. साथ ही विशेषज्ञों का मानना है कि आपात स्थिति जैसे प्राकृतिक आपदा, युद्ध जैसे हालात में केंद्रीय बैंक सरकारी बॉण्ड को वित्तपोषित नहीं कर पाएगा.
बैंक की मौद्रिक नीतियां
वर्ष 2013 में प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने देश की अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने के लिए नई नीतियां पेश की थीं जिन्हें आबेनोमिक्स कहा गया था. उनकी नीतियों में 3 तीर दिखाए गए थे, जिनका मतलब था आर्थिक सुधार, राजकोषीय खर्च और मौद्रिक सुधार.
06:13 PM IST