74 प्रतिशत भारतीय हॉस्पिटल बिलिंग फॉर्मेट से संतुष्ट नहीं 

हॉस्पिटल में एक बार एडमिट होने के बाद बिल की चिंता होने लगती है.

प्राइवेट हॉस्पिटल में हर दिन एक लाख तक का बिल भी बन जाता है.

देश में 74 प्रतिशत लोग सरकार द्वारा अस्पताल के बिलों में अनिवार्य बीआईएस मानक (भारतीय मानक ब्यूरो) बनाने के पक्ष में हैं.

सोशल कम्युनिटी प्लेटफॉर्म लोकल सर्कल्स के अनुसार, अधिकांश लोग बिलिंग फॉर्मेट और अस्पताल के बिलों में डीटेल्स की कमी से खुश नहीं थे.

रिपोर्ट में भारत के 305 जिलों में स्थित लगभग 23,000 नागरिकों का सर्वे किया गया, जिसमें 67 प्रतिशत पुरुष थे और 33 प्रतिशत महिलाएं थीं.

रिपोर्ट में कहा गया है, "कोरोना वायरस महामारी के तीन सालों में, अस्पतालों में लोगों के सामने कई तरह की समस्याएं आईं.

बिना स्पष्टीकरण के डीटेल्स और इलाज के लास्ट में भारी भरकम बिल ने भारत के निजी अस्पतालों के बारे में खराब धारणा बना दी है

रिपोर्ट में पाया गया कि 47 प्रतिशत लोगों ने कहा कि खाना, सर्विसेज, कंसल्टेशन, फैसिलिटी आदि के लिए शुल्क अलग-अलग दिए गए थे.

लगभग 43 प्रतिशत लोगों का कहना है कि बिल में खाना और सेवाओं के बारे में डीटेल्स नहीं था.

10 प्रतिशत ने कहा कि बिल में कोई डीटेल्स नहीं था, केवल "पैकेज चार्जेज" का उल्लेख था.

बिलिंग में पारदर्शिता से उपभोक्ताओं के साथ-साथ  स्वास्थ्य बीमा कंपनियों, पैकेज देने वाले नियोक्ताओं और सरकार को भी मदद मिलेगी.