Form 16, 16A और 16B– ये तीनों फॉर्म TDS (टैक्स डिडक्शन एट सोर्स) से जुड़े होते हैं.
Form 16– यह सैलरीड एम्प्लॉई को एम्प्लॉयर द्वारा जारी किया जाता है, जिसमें सैलरी और TDS की जानकारी होती है.
Form 16A– यह नॉन-सैलरी इनकम (ब्याज, प्रोफेशनल फीस, कमीशन) पर काटे गए TDS का प्रमाण होता है.
Form 16B– यह प्रॉपर्टी खरीदते समय काटे गए TDS (1%) का प्रमाण होता है, जो खरीदार द्वारा जारी किया जाता है.
TDS क्या होता है?– यह एडवांस टैक्स कटौती है, जिसे भुगतानकर्ता सरकार को जमा करता है.
ITR फाइलिंग में मदद– तीनों फॉर्म इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) भरने के लिए जरूरी होते हैं.
Form 16 के दो पार्ट– Part A में TDS डिडक्शन की जानकारी और Part B में सैलरी ब्रेकअप होता है.
Form 16B कब जरूरी?– जब कोई ₹50 लाख या उससे अधिक की प्रॉपर्टी खरीदी जाती है.
Form 16 न मिलने पर?– अगर सैलरी टैक्सेबल लिमिट से कम हो, तो Form 16 जारी नहीं किया जाता.
Form 16A कौन जारी करता है?– बैंक, कंपनियां या कोई भी संस्था जो भुगतान पर TDS काटती है.
Form 16A कहां से मिलता है?– TRACES पोर्टल से नियोक्ता या भुगतानकर्ता इसे डाउनलोड कर सकता है.
Form 16B में क्या जानकारी होती है?– खरीदार और विक्रेता का PAN, प्रॉपर्टी डील की डिटेल्स और TDS अमाउंट.
Form 26QB क्या है?– यह TDS पेमेंट और चालान से जुड़ा फॉर्म है, जिसे प्रॉपर्टी खरीद के 30 दिन के भीतर भरना जरूरी है.
Form 16A और 16B में अंतर– Form 16A नॉन-सैलरी इनकम पर TDS का प्रमाण है, जबकि Form 16B प्रॉपर्टी खरीद के TDS का.
बैंक लोन में मददगार– Form 16 इनकम प्रूफ के रूप में स्वीकार किया जाता है, जिससे लोन लेना आसान होता है.
ITR फाइलिंग में जरूरी– बिना Form 16 के भी ITR भरा जा सकता है, लेकिन सही आय और TDS जानकारी होनी चाहिए.
(नोट: खबर सामान्य जानकारी पर आधारित है)
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