Oct 14, 2023, 01:58 PM IST
गेहूं की पारंपरिक किस्में मधुमेह, रक्तचाप और हृदय रोग से ग्रसित लोगों के लिए रामबाण है
इनमें रोग प्रतिरोधी क्षमता अधिक होती है. अब ये किस्में विलुप्त हो रही हैं
सरकार अब विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुके गेहूं की पारंपरिक किस्मों की खेती को प्रोत्साहित कर रही है
सोना-मोती, वंशी, टिपुआ गेहूं, इन तीनों किस्मों की खेती जैविक विधि से की जाएगी. ये किस्में कम अवधि और उच्च उत्पादकता वाली हैं.
जलवायु परिवर्तनों के प्रति सहनशील ये किस्में समय के साथ स्थानीय वातावरण और पर्यावरण के अनुकूल है. इसमें कम लागत आती है
जीवाणु और जैविक उपचारों के बिना संरक्षित रूप से उगाई जा सकती है. इस कारण किसानों को भी इसका फायदा होगा
यह प्रोटीन, फाइबर, विटामिन और मिनरल्स का अच्छा स्रोत है. पारंपरिक किस्में कम समय में पकती हैं. इस कारण किसानों को भी इसका फायदा होगा