Aug 28, 2023, 04:45 PM IST
श्री अन्न सांवा खाद्य, पोषण, चारा, फाइबर, स्वास्थ्य और पर्यावरण जैसी कई महत्वपूर्ण सुरक्षा भी प्रदान करता है. इसकी खेती खरीफ और रबी, दोनों सीजन में की जाती है
इसमें अन्य अनाजों की अपेक्षा पोषण क्षमता अधिक होती है. यह प्रोटीन और आयरन से भरपूर, फाइबर युक्त, कैलोरिज में कम और ग्लूटिन फ्री है
खरीफ सीजन में सांवा की बुवाई जून से जुलाई के महीने में की जाती है और फसल सितंबर से अक्टूबर के महीने में तैयार हो जाती है
इस लिस्ट में तीसरे नंबर पर है उत्तर प्रदेश. राज्य से साल 2021-22 में 210.90 टन लहसुन मिला है,जो कुल उत्पादन का 6.57% है.
सांवा की खेती में सिंचाई की जरूरत नहीं पड़ती. जब बारिश लंबे समय तक रुक गई हो, तो फूल आने की स्थिति में एक सिंचाई जरूरी होती है. जलभराव की स्थिति में पानी की निकासी की व्यवस्था होनी चाहिए
पकने पर पौधों की कटाई जड़ से करनी चाहिए. इसका गट्ठर बनाकर खेतों में एक हफ्ते के सूखने के लिए रखने के बाद मड़ाई करें
सांवा की खेती फायदेमंद बिजनेस है. इस फसल से प्रति हेक्टेयर 15 से 20 क्विंटल तक दाना और 20-25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर भूसा मिलता है
धान और गेहूं की तुलना में सांवा की खेती ज्यादा फायदेमंद हैं क्योंकि इसका एमएसपी अधिक है. इसकी खेती से किसानों को मोटा मुनाफा होगा