World Asteroid Day 2023: 'तुंगुस्का विस्फोट' जिसके धमाके से कांप गई थी धरती, जानिए एस्टेरॉयड डे का इस घटना से क्या है संबन्ध?
एस्टेरॉयड डे को मनाने का उद्देश्य लोगों को एस्टेरॉयड से होने वाले खतरों को लेकर जागरुक करना है. इस दिन को तुंगुस्का नदी के पास हुई घटना की वर्षगांठ के प्रतीक के तौर पर मनाया जाता है. यहां जानिए इसके बारे में.
World Asteroid Day हर साल जून के महीने के आखिरी दिन यानी 30 जून को मनाया जाता है. इस दिन को रूस के साइबेरिया में तुंगुस्का नदी के पास हुई घटना की वर्षगांठ के प्रतीक के तौर पर मनाया जाता है और उस घटना को 'तुंगुस्का विस्फोट' के नाम से जाना जाता है. एस्टेरॉयड डे को मनाने का उद्देश्य लोगों को एस्टेरॉयड से होने वाले खतरों को लेकर जागरुक करना है. एस्टेरॉयड को क्षुद्रग्रह कहा जाता है. हम में से तमाम लोग ऐसे हैं जो ये भी नहीं जानते कि आखिर Asteroid होता क्या है और ये धरती पर किस तरह का विनाश ला सकता है. आइए आपको बताते हैं क्या होता है एस्टेरॉयड और क्या है 'तुंगुस्का विस्फोट'.
Asteroid क्या है?
Asteroids छोटे-छोटे चट्टान रूपी पिंड होते हैं जो सूरज के चारों ओर चक्कर लगाते रहते हैं. हमारे सौर मंडल में हजारों एस्टेरॉयड्स मौजूद हैं. आमतौर पर ये एस्टेरॉयड्स मंगल और बृहस्पति गृह के बीच परिक्रमा करते हैं. इसे एस्टेरॉयड बेल्ट कहा जाता है. एस्टेरॉयड की खोज सबसे पहले 1801 में खगोलशास्त्री गुइसेप पियाजी ने की थी. अगर ये एस्टेरॉयड धरती से टकरा जाए, तो बहुत घातक परिणाम सामने आ सकते हैं.
क्या है 'तुंगुस्का विस्फोट'
रूसी साइबेरिया में तुंगुस्का नदी के पास 30 जून, 1908 में एक बहुत बड़ा विस्फोट हुआ था. उस घटना को 'तुंगुस्का विस्फोट' या तुंगुस्का प्रभाव कहा जाता है. इस धमाके में इतनी ताकत थी कि धरती कांप उठी थी. जहां धमाका हुआ वहां से क़रीब 60 किलोमीटर दूर स्थित घरों में खिड़कियों के कांच टूट गए थे. कुछ लोग धमाके से दूर जाकर गिरे थे. ब्लास्ट से आग का जो गोला उठा उसने पल भर में करीब 2000 वर्ग मीटर के इलाके को राख में बदल दिया था. इस धमाके की वजह से करीब 8 करोड़ पेड़ जल गए थे. वैज्ञानिकों का मानना है कि इस धमाके से इतनी ऊर्जा पैदा हुई थी कि ये हिरोशिमा पर गिराए गए एटम बम से 185 गुना ज़्यादा थी.
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तमाम लोगों का मानना है कि ये धमाका किसी धूमकेतू या उल्कापिंड के टकराने के कारण हुआ था. किस्मत से उल्कापिंड साइबेरिया के एक दूरदराज के हिस्से से टकराया लेकिन जमीन पर नहीं पहुंचा. बताया जाता है कि उल्का पिंड में हवा में ही विस्फोट हो गया. हालांकि ये धमाका किस चीज की वजह से हुआ, इसका कोई सटीक प्रमाण नहीं है.
धमाके के दो दशक बाद वैज्ञानिक लियोनिद कुलिक की अगुवाई में एक रूसी टीम तुंगुस्का पहुंची थी. 20 साल बाद भी वहां पहुंचने पर लियोनिद को धमाके के निशान बिखरे हुए मिले. उस समय उन्होंने कहा था कि आसमान से कोई चीज टकराने के कारण धमाका हुआ था. जमीन दलदली होने के कारण इसके निशान नहीं मिले. बाद में रूसी रिसर्चर्स ने कहा कि तुंगुस्का में धरती से एक धूमकेतु टकराया था. हालांकि सटीक बात आज भी प्रमाणित नहीं हो पाई है.
साल 2016 में हुई एस्टेरॉयड डे मनाने की शुरुआत
इस घटना को याद कर एस्टेरॉयड डे को मनाने की शुरुआत की गई. दिसंबर 2016 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 30 जून को विश्व क्षुद्रग्रह दिवस के रूप में घोषित करने का प्रस्ताव अपनाया. ताकि लोगों को एस्टेरॉयड के घातक परिणामों को लेकर जागरुक किया जा सके.
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07:00 AM IST