Published: 1:32 PM, Jan 16, 2025
|Updated: 10:43 AM, Jan 17, 2025
Maha Kumbh 2025: महाकुंभ में चौथे दिन श्रद्धालुओं का उत्साह बरकरार है. देश-दुनिया से लोग यहां आए हुए हैं, जो यहां दैवीय आनंद की अनुभूति प्राप्त कर रहे हैं. इस साल कुंभ मेला अपने आप में अद्भुत है, क्योंकि ये एक पूर्ण महाकुंभ है, जो कि हर 144 साल में एक बार आता है. सरकार भी इस मेले में आए सभी श्रद्धालुओं की सहूलियत के लिए हर संभव उपाय कर रही है. लेकिन क्या आपको पता है कि एक समय कुंभ में स्नान करने के लिए लोगों को टैक्स भी चुकाना पड़ता था और ये टैक्स आपकी कमाई के 10 फीसदी से भी ज्यादा होता था.

1/7
जब भारत में अंग्रेजों का शासन था उस समय लोगों को कुंभ में नहाने के लिए टैक्स देना पड़ता था. यूनाइटेड किंगडम के वेल्स में जन्मीं Fanny Parkes ने बताया कि 1806 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने Pilgrim Tax कलेक्शन खुद लेना शुरू किया था और कुंभ मेले में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या को देखते हुए इसके ऊपर भी टैक्स लगाना शुरू कर दिया है.

2/7
ब्रिटिश सरकार कुंभ में स्नान करने वाले हर श्रद्धालु पर 1 रुपये का टैक्स लगाती थी. Kama Maclean ने अपनी किताब Pilgrimage and Power: The Kumbh Mela in Allahabad, 1765-1954 में इसका जिक्र किया है.

3/7
आपको बता दें कि 1 रुपये की वैल्यू उस समय बहुत ज्यादा होती थी. एक आदमी के एक महीने का गुजारा आराम से एक रुपये में हो जाता था. उस समय 1 रुपये कई लोगों की कमाई के 10 फीसदी हिस्से से ज्यादा ही हुआ करता था. कई बार तो लोगों से 3 रुपये तक का कुंभ टैक्स भी लिया जाता था.

4/7
साल 1806 में ब्रिटिश सरकार ने कंपनी में शामिल सैनिकों को ये टैक्स देने से राहत दे दी थी. दरअसल, ब्रिटिश सरकार अपनी सेना मे स्थानीय लोगों को ज्यादा ईमानदारी से शामिल होने के लिए ये राहत दिया करती थी.

5/7
साल 1840 में अंग्रेजों ने अपनी सरकार की लोकप्रियता को और बढ़ाने के लिए भारतीयों के लिए Pilgrim Tax को हटा दिया था. उस वर्ष माघ मेले में शामिल होने के लिए भारी संख्या में लोग प्रयागराज पहुंचे.

6/7
कुंभ मेला भारत का एक प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव है, जिसे दुनिया का सबसे बड़ा शांतिपूर्ण जनसमूह भी कहा जाता है. यह मेला हिंदू धर्म के सबसे पवित्र आयोजनों में से एक है, जिसमें लाखों-करोड़ों श्रद्धालु, साधु-संत, योगी, और पर्यटक भाग लेते हैं. कुंभ मेले में श्रद्धालु गंगा, यमुना, और अदृश्य सरस्वती नदी के संगम (प्रयागराज), गंगा (हरिद्वार), गोदावरी (नासिक), और क्षिप्रा नदी (उज्जैन) में स्नान करके पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति की कामना करते हैं.

7/7
कुंभ मेला आमतौर पर 4 प्रकार का होता है. पहला अर्ध कुंभ मेला हरिद्वार और प्रयागराज में हर 6 साल बाद आयोजित होता है. दूसरा पूर्ण कुंभ मेला हर 12 साल में एक बार चारों तीर्थ स्थलों में से किसी एक पर आयोजित होता है. तीसरा महा कुंभ मेला जो कि प्रयागराज में हर 144 साल (12 पूर्ण कुंभ मेले) के बाद आयोजित होता है. चौथा सिंहस्थ कुंभ मेला उज्जैन में कुंभ मेला सिंह राशि में सूर्य के प्रवेश के समय आयोजित होता है.