भारत में ज्यादा वजन वाले लोग बनते हैं मजाक का कारण, इस स्टडी ने किया खुलासा
लोगों का मानना है कि भारत में मोटापा एक कलंक की तरह है. मोटापे की वजह से लोगों को अपने वर्क कल्चर और सोशल गैदरिंग में चिढ़ाने का सामना करना पड़ता है. इसलिए इस मुद्दे को लेकर अधिक जागरूकता और संवेदनशीलता की जरूरत है.
2 में से 1 का मानना है कि महामारी के बाद वजन में बढ़ोतरी हुई है, जो जीवनशैली और स्वास्थ्य व्यवहार पर महामारी के संभावित असर को दर्शाता है.
2 में से 1 का मानना है कि महामारी के बाद वजन में बढ़ोतरी हुई है, जो जीवनशैली और स्वास्थ्य व्यवहार पर महामारी के संभावित असर को दर्शाता है.
मोटापे आज एक ऐसा मुद्दा बन चुका है जो पूरी दुनिया भर में गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है. इसका असर भी लोगों के स्वास्थ्य और विकास पर नजर आने लगा है. विश्व मोटापा जागरूकता (World Obesity Awareness) सप्ताह के उपलक्ष्य में, प्रिस्टीन डाटा लैब्स ने भारत में 3,000 से ज्यादा लोगों के विभिन्न नमूनों को शामिल कर एक स्टडी की है. इस स्टडी में एक जरूरी बात सामने आई है, जिससे पता चला है कि मोटापे से जुड़े मुद्दे से निपटने के लिए ज्यादा जागरूकता और ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है.
मोटापा बन रहा है मजाक का विषय
अध्ययन से यह बात पता चली है कि 61 फीसदी लोगों को अपने बॉडी मास इंडेक्स (BMI) के बारे में जानकारी ही नहीं है. इसके अलावा, 2 में से 1 का मनना है कि महामारी के बाद वजन में बढ़ोतरी हुई है, जो जीवनशैली और स्वास्थ्य व्यवहार पर महामारी के संभावित असर को दर्शाता है. अध्ययन के अनुसार, 70 फीसदी लोग मानते हैं कि मोटापे की वजह से लोगों को अपने वर्क कल्चर और सोशल गैदरिंग में चिढ़ाने का सामना करना पड़ता है. इसलिए एक समावेशी और मददगार माहौल को बढ़ावा देने के महत्व पर जोर देना आवश्यक है.
वजन कम के लिए लोग क्या करते हैं?
वजन कंट्रोल करने के बारे में पूछने पर, लगभग 60 फीसदी लोगों ने बताया कि उन्होंने अपना वजन कम करने या नियंत्रित करने के लिए अनेक प्रयास किए हैं. अपने वजन को नियंत्रित करने के लिए 61 फीसदी लोग अपने खानपान और नियमित व्यायाम पर जोर देते हैं. दिलचस्प बात यह है कि एक चौथाई लोग तो मोटापे को नियंत्रित करने के लिए उपवास भी रखते हैं जबकि 6 फीसदी लोग फैट कम करने वाली गोलियों का इस्तेमाल करते हैं.
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भारत में मोटापा एक कलंक
मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर मोटापे के महत्वपूर्ण प्रभाव के बावजूद, अध्ययन से यह संकेत मिलता है कि सिर्फ 27 फीसदी लोगों ने वजन से जुड़े मुद्दों, शरीर की छवि से जुड़ी चिंताओं या खाने की आदतों के लिए पेशेवर सहायता या परामर्श मांगा है, जिससे मोटापे से ग्रस्त लोगों की मदद और संसाधनों तक पहुंच बढ़ाने की जरूरत महसूस हो रही है. 60 फीसदी लोगों का मानना है कि भारत में मोटापा एक कलंक की तरह है. इसलिए इस मुद्दे को लेकर अधिक जागरूकता और संवेदनशीलता की जरूरत है.
मोटापे को बीमारी के रूप में कैटेगराइज
जब इस बारे में पूछा गया कि क्या मोटापे को एक बीमारी के रूप में वर्गीकृत किया जाना चाहिए, तो 60 फीसदी लोगों ने समग्र स्वास्थ्य और कल्याण पर इसके प्रभाव को व्यापक रूप से समझने के महत्व को रेखांकित करते हुए इसके वर्गीकरण की जरूरत बताई है. अध्ययन में पता चला है कि 81 फीसदी लोगों को मधुमेह (डायबिटीज), हृदय रोग और उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) सहित मोटापे से जुड़े संभावित स्वास्थ्य जोखिमों के बारे में जानकारी है.
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