Diwali 2022: बचपन में आपने भी की होगी दिवाली की रात पढ़ाई, जानिए क्यों होता है जरूरी?
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक त्रेता युग में भगवान श्रीराम ने लंकेश यानी रावण का वध कर कार्तिक अमावस्या के दिन माता सीता और छोटे भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौटकर आए थे.
दिवाली का दिन त्योहारी सीजन में सबसे खास होता है. दियों की चमक और पटाखों की धूम-धड़ाके से रात रौनक होती है. इसी के साथ हिंदू नव वर्ष की शुरुआत भी होती है. दिवाली के चमक और पटाखे की शोर के बीच रात में हम में से ज्यादातर लोगों ने अपने बचपन में पढ़ाई की. यह परंपरा देश के ज्यादातर क्षेत्रों में है. माना जाता है कि दिवाली की रात पढ़ाई करने से मां सरस्वती और मां लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है. इससे जीवन में धन-बुद्धी की वृद्धि होती है.
दिवाली के दिन पढ़ाई से होती है उन्नति
पंडित हृदय रंजन शर्मा के मुताबिक हमारी संस्कृति में यानी सनातन धर्म में यह माना जाता है कि दिवाली हो या होली जैसे बड़े त्योहारों के दिन देवी और देवता घर-घर जाते हैं. इस दौरान रात्रि जागरण को देखते हैं. रात्रि जागरण में भजन, संध्या गाना-बजाना, पढ़ना-लिखना, मंत्रोच्यारण शामिल हैं. ऐसे में माना जाता है कि अगर रात्रि में पढ़ाई की जाती है तो इससे जीवन में उन्नति और तरक्की होती है. साथ ही आने वाली बाधाएं स्वयं खत्म हो जाती है.
शुभ कार्यों का मिलता है लाभ
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उन्होंने कहा कि दिवाली की रात अगर आप पढ़ाई करते हैं तो माता लक्ष्मी की असीम कृपा आप पर बनी रहेगी. क्योंकि रात्रि के दौरान माता जब भ्रमण करती हैं तब उस समय अगर आप किसी शुभ या अच्छे कार्य में लगे हुए हैं तो आपको और आपके परिवार को उसका लाभ मिलता है.
नए सम्वत की होगी शुरुआत
इस साल दिवाली सोमवार के दिन यानी 24 अक्टूबर को है. इसी के साथ हिंदू नव वर्ष सम्वत 2079 की शुरुआत होगी. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक त्रेता युग में भगवान श्रीराम ने लंकेश यानी रावण का वध कर कार्तिक अमावस्या के दिन माता सीता और छोटे भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौटकर आए थे. भगवान राम के अयोध्या आगमन की खुशी और उनके स्वागत में दीप जलाकर दिवाली मनाई गई थी.
01:51 PM IST