एक चिप्स का पैकेट घटा सकता है आपकी उम्र, WHO ने जारी की चेतावनी! पढ़ें क्या हैं गाइडलाइंस
देसी घी और मक्खन ट्रांस फैट नहीं है, लेकिन तीन बार से ज्यादा तला जा चुका रिफाइंड आयल ट्रांसफैट बन जाता है. बिस्किट हो या नमकीन इनमें ट्रांस फैट का इस्तेमाल इसीलिए किया जाता है कि वो लंबे समय तक जमी रहे और ट्रांस फैट्स का इस्तेमाल करके उन्हें लंबे समय तक बेचा जा सके और खाया जा सके.
एक चिप्स का पैकेट, एक बिस्किट का पैक या बस एक पैकेट भुजिया...आपको लगता होगा कि आपने खाया ही क्या है, लेकिन इन्हीं पैकेट्स में मौत का खतरा मौजूद है. विश्व स्वास्थय संगठन यानी WHO ने हाल ही में एक स्टेटस रिपोर्ट जारी की है. ये रिपोर्ट ट्रांस फैट्स को लेकर है. रिपोर्ट के मुताबिक सालाना 5 लाख लोगों की मौत ट्रांस फैट्स खाने की वजह से समय से पहले हो रही है.
ट्रांस फैट क्या होता है?
आसान भाषा में समझें तो आपके फेवरेट चिप्स, बर्गर, केक या बिस्कुट या फिर नमकीन के पैकेट तक में ट्रांस फैट्स मौजूद हो सकते हैं. हर वो पैकेट बंद चीज जिसकी उम्र कुछ दिन से लेकर कुछ महीने तक की हो, समझिए उसमें ट्रांस फैट्स मौजूद होंगे.
कैसे तैयार होता है ट्रांस फैट?
किसी भी तेल को जब इंडस्ट्रियल प्रक्रिया से यानी हाइड्रेजिनेशन के जरिए जमाया जाता है और उसे जमे हुए फैट में बदला जाता है, तो वो ट्रांस फैट या ट्रांस फैटी एसिड्स की शक्ल ले लेता है. जैसे वनस्पति से मिलने वाले तेल को केमिकल प्रोसेसिंग से जमा कर ऐसा कर दिया जाए कि वो रुम टेंपरेचर पर जमा रहे, तो वो ट्रांसफैट कहलाएगा. वनस्पति घी ट्रांस फैट का ही एक प्रकार है. कच्ची घानी वाला सरसों का तेल ट्रांस फैट नहीं है, लेकिन वनस्पति घी, या मेयोनिज़ ट्रांस फैट है.
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देसी घी और मक्खन ट्रांस फैट नहीं है, लेकिन तीन बार से ज्यादा तला जा चुका रिफाइंड आयल ट्रांसफैट बन जाता है. बिस्किट हो या नमकीन इनमें ट्रांस फैट का इस्तेमाल इसीलिए किया जाता है कि वो लंबे समय तक जमी रहे और ट्रांस फैट्स का इस्तेमाल करके उन्हें लंबे समय तक बेचा जा सके और खाया जा सके.
ट्रांस फैट कैसे बिगाड़ता है आपकी हेल्थ?
ट्रांस फैट शरीर में बैड कोलेस्ट्रोल को बढ़ाता है. इससे भी खराब बात ये है कि ज्यादा मात्रा में ट्रांस फैट्स लेने से शरीर में मौजूद गुड कोलेस्ट्रोल यानी जरुरी फैट भी बैड कोलेस्ट्रोल में बदलने लगता है. भारतियों को दिल की बीमारी देने में ट्रांस फैट्स का बड़ा रोल है, क्योंकि आपने आज अगर बाजार से कई बार के तेल में तला समोसा खाया है या एक पैकेट चिप्स खाए हैं, वर्ना बर्गर या पिज्जा खाया है तो इन सबके जरिए आप तक ट्रांस फैट पहुंच चुका है.
WHO की रिपोर्ट क्या कहती है?
विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO की लेटेस्ट रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में 5 अरब लोगों का जीवन ट्रांस फैट्स ने घटा दिया है और वो दिल की बीमारी के खतरे पर जी रहे हैं. 2018 में खाने में से ट्रांस फैट्स को घटाने और 2023 तक ट्रांस फैट्स खाद्य पदार्थों से पूरी तरह खत्म किए जाने की कोशिश शुरु हुई थी. हालांकि, अब 43 देश इस मामले में आगे बढ़ गए हैं. 2022 में भारत भी इस लिस्ट में शामिल हो गया.
भारत के अलावा बांग्लादेश, अर्जेंटीना और श्रीलंका ने भी पिछले वर्ष ट्रांस फैट्स की मात्रा काफी कम कर दी. हालांकि, सभी देशों में ट्रांस फैट पर लगाम ही लगी है. पूरी तरह पाबंदी नहीं लग सकी. लेकिन ऐसे देश जहां दिल की बीमारी के मामले ज्यादा पाए जाते हैं. ऐसे 16 में से 9 देशों ने ट्रांस फैट्स घटाने पर अभी भी पूरी तरह अमल नहीं किया है उनमें पाकिस्तान, नेपाल, कोरिया, भूटान, ईरान, इक्वाडोर, इजिप्ट, ऑस्ट्रेलिया, अजरबैजान शामिल हैं.
WHO का क्या है मानक?
WHO के मानको के हिसाब से ट्रांस फैट्स की मात्रा प्रति 100 ग्राम में 2 ग्राम से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. पैकेट वाले खानों में रिफाइंड तेल जिसमें हाइड्रोजन की मात्रा ज्यादा हो उसे बैन किया जाए. भारत में फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथारिटी ने जनवरी 2022 में ये नियम लागू कर दिए हैं. लेकिन बाजार में बिक रहे कितने प्रोडक्ट इन मानकों का पालन करते हैं ये कहा नहीं जा सकता.
ट्रांस फैट पर डॉक्टर्स क्या कहते हैं?
डॉक्टरों के मुताबिक ट्रांस फैट्स की हमारे शरीर को कोई जरुरत ही नहीं है. लिहाजा ये पूरी तरह बैन हो जाए तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा. लेकिन पैकेट बंद चीजों का बाजार इसके बिना चले उसमें एड़ी चोटी का बदलाव करना पड़ेगा. मीट और डेयरी प्रोडक्ट में कुछ मात्रा में नेचुरल ट्रांस फैटी एसिड्स होते हैं लेकिन वो ना के बराबर होते हैं. एक पीस पेस्ट्री या एक पिज्जा बेस में कितना ट्रांस फैट होता है आप हिसाब नहीं लगा पाएंगे.
एक हेल्दी व्यक्ति को पोषक तत्वों की कितनी जरूरत होती है?
हमारे शरीर में पोषक तत्वों की जरुरत के हिसाब से RDA यानी Recommended Dietary Allowance तय किया जाता है. RDA के मुताबिक एक स्वस्थ व्यक्ति के लिए प्रतिदिन नमक 5 ग्राम, फैट 60 ग्राम , ट्रांस फैट 2.2 ग्राम और 300 ग्राम कार्बोहाइड्रेट की मात्रा तय की गई है. ये मात्रा स्वस्थ एडल्ट व्यक्ति के लिए रोजाना 2000 कैलोरी की जरूरत के हिसाब से ली गई है. बच्चों की जरुरत इससे बेहद कम होती है.
एक पैकेट भुजिया में कितना होता है फैट?
2019 में CSI ने ट्रांस फैट्स का एक रिएलिटी टेस्ट किया था, जिसमें कई मशहूर ब्रांड के चिप्स और भुजिया के पैक्टेस में ट्रांस फैट्स का पता लगाने के लिए लैब में एनालिसिस किया गया. इसमें पता चला कि अगर आप 30 ग्राम का चिप्स का एक पैकेट खा गए, तो समझिए कि आपने दिन भर के कुल फैट का लगभग आधा हिस्सा खा लिया है. और वो भी ट्रांस फैट्स की शक्ल में नट क्रैकर, बेक्ड चिप्स और भुजिया इन सबमें जरुरत से ज्यादा फैट पाया गया था.
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