Cheetah in India: नामीबिया से पहले ईरान से लाए जाने थे चीते, फिर क्यों नहीं बन पायी बात ?
आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आठ चीतों में से तीन चीतों को विशेष बाड़ों से आजाद करेंगे. इसके बाद कूनो नेशनल पार्क इनका नया घर बन जाएगा.
नामीबिया से पहले ईरान से लाए जाने थे चीते, फिर क्यों नहीं बन पायी बात (India.com)
नामीबिया से पहले ईरान से लाए जाने थे चीते, फिर क्यों नहीं बन पायी बात (India.com)
साल 1952 में भारत से विलुप्त हो चुका चीता आज एक बार फिर से भारत की सरजमीं पर आ गया है. इन चीतों को नामीबिया से लाकर भारत में बसाया जा रहा है. अब कूनो नेशनल पार्क इनका नया घर होगा. जिन चीतों को भारत लाया गया है उनमें पांच फीमेल और तीन मेल हैं. आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आठ चीतों में से तीन चीतों को विशेष बाड़ों से आजाद करेंगे. इसके बाद कूनो नेशनल पार्क इनका नया घर बन जाएगा. बता दें कि चीतों को भारत में लाने के लिए पहले ईरान से बात चली थी, लेकिन बाद में वहां बात नहीं बन पाई. जानें इसकी वजह क्या है.
ईरान से इसलिए नहीं बन पायी बात
बात 1970 के दशक की है. चीतों के विलुप्त होने के बाद भारत सरकार ने इन्हें पहले ईरान से लाने पर विचार किया था. ईरानी चीतों के जेनेटिक्स अफ्रीकी चीतों जैसे होते हैं. ईरान इसके लिए राजी भी था, लेकिन उसने भारत के सामने एक शर्त रख दी. ईरान ने चीतों के बदले में भारतीय शेर मांगे थे, जिसके चलते भारत ने अपना फैसला बदल दिया.
2009 के बाद फिर तेज हुई चीतों को लाने की कवायद
साल 2009 में वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित एक वर्कशॉप में चीतों को भारत में वापस लाने की मांग की गई. इस पर सरकार की सहमति मिलने के बाद 2009 में चीतों को लाने की कवायद और तेज हो गई. इसके लिए कूनो नेशनल पार्क को चुना गया. चीतों को भारत में लाने के लिए नामीबिया के अलावा केन्या से भी बात की गई थी, लेकिन नामीबिया में चीता फाउंडेशन संस्था द्वारा चीता केयर प्रोटेक्शन पर काफी काम किया गया है. इसलिए भारत काफी समय से नामीबिया से चीते लाने की कोशिश में लगा हुआ था. आखिकार लंबे समय तक बातचीत के बाद आखिर नामीबिया के साथ सहमति बन गई. नामीबिया अगले पांच सालों में 50 चीते भारत भेजने के लिए राजी हो गया है.
कूनो नेशनल पार्क को चीतों का घर चुनने की वजह
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चीतों के रहने के हिसाब से कूनो नेशनल पार्क को बेहतर जगह माने जाने की सबसे बड़ी वजह ये थी, कि यहां के जंगलों में इंसानों की आबादी बेहद कम है. डकैतों के डर से यहां के लोग बाहर की ओर जाकर बसे हैं. इसके अलावा यहां पहले से करीब 200 सांभर, चीतल व अन्य जानवरों को लाकर बसाया गया है. अब इस क्षेत्र में चीतल, सांभर, नीलगाय, जंगली सुअर, चिंकारा, चौसिंघा, ब्लैक बक, ग्रे लंगूर, लाल मुंह वाले बंदर, शाही, भालू, सियार, लकड़बग्घे, ग्रे भेड़िये, गोल्डेन सियार, बिल्लियां, मंगूज जैसे कई जीव मौजूद हैं. चीते इनका आसानी से शिकार कर सकते हैं. उनके लिए यहां खाने-पीने के लिए कोई कमी नहीं होगी और वो आसानी से सर्वाइव कर पाएंगे.
11:31 AM IST