Chandrayaan 3 की लॉन्चिंग से पहले ISRO के वैज्ञानिकों ने तिरुपति मंदिर में की पूजा
ISRO के वैज्ञानिकों की एक टीम ने चंद्रयान-3 के एक मॉडल के साथ पूजा की. हर बड़े मिशन से पहले इसरो के वैज्ञानिक मिशन की सफलता के लिए तिरुपति मंदिर में पूजा-अर्चना करते हैं.
Chandrayaan 3 की लॉन्चिंग से पहले ISRO के वैज्ञानिकों ने तिरुपति मंदिर में की पूजा
Chandrayaan 3 की लॉन्चिंग से पहले ISRO के वैज्ञानिकों ने तिरुपति मंदिर में की पूजा
Chandrayaan 3 की लॉन्चिंग को लेकर काउंटडाउन शुरू हो चुका है. 14 जुलाई शुक्रवार को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर के लॉन्च पैड 2 से दोपहर 2:35 बजे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन चंद्रयान 3 को लॉन्च करेगा. चंद्रमा पर भारत के तीसरे मिशन से पहले इसरो के वैज्ञानिकों ने गुरुवार को इसकी सफलता के लिए तिरुपति मंदिर में पूजा-अर्चना की.
चंद्रयान-3 के मॉडल के साथ की पूजा
इसरो वैज्ञानिकों की एक टीम ने चंद्रयान-3 के एक मॉडल के साथ पूजा की. हर बड़े मिशन से पहले इसरो के वैज्ञानिक मिशन की सफलता के लिए तिरुपति मंदिर में पूजा-अर्चना करते हैं. बता दें कि चंद्रयान-3 का लक्ष्य चंद्रमा की सतह पर धीरे से उतरना और रोवर के साथ इसका पता लगाना है. अगर भारत इस मिशन में सफल हो जाता है तो भारत ये उपलब्धि हासिल करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा. इससे पहले अमेरिका, रूस और चीन सफल लॉन्चिंग कर चुके हैं. बता दें कि इससे पहले साल 2019 में विक्रम लैंडर की हार्ड लैंडिंग की वजह से चंद्रयान 2 मिशन सफल नहीं हो पाया था.
AP: Day ahead of launch, ISRO team visits Tirupathi temple with miniature model of Chandrayaan-3
— ANI Digital (@ani_digital) July 13, 2023
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चंद्रयान 3 के लिए लैंडर के डिजाइन को किया अपग्रेड
इस बार इसरो के वैज्ञानिकों ने कई परीक्षणों के बाद लैंडर के डिजाइन को अपग्रेड किया है, नाकि इस बार मिशन की सफलता को सुनिश्चित किया जा सके. इसके लिए पिछली बार की तुलना में लैंडर को मजबूत बनाया गया है. इसमें बड़े और शक्तिशाली सौर पैनल का इस्तेमाल किया गया है. चंद्रयान 3 की स्पीड को निर्धारित करने के लिए अतिरिक्त सेंसर लगाए गए हैं. कुल मिलाकर इस मिशन में हर गलती की गुंजाइश को खत्म करने का प्रयास किया गया है.
LVM-3 के जरिए लॉन्च होगा चंद्रयान 3
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चंद्रयान-3 को चंद्रमा पर भेजने के लिए LVM-3 लॉन्चर का इस्तेमाल किया जाएगा. LVM-3 एक तीन चरणों वाला रॉकेट है, जिसमें पहले चरण में तरल ईंधन, ठोस ईंधन द्वारा संचालित दो स्ट्रैप-ऑन मोटर, तरल ईंधन द्वारा संचालित दूसरा और क्रायोजेनिक इंजन होता है. ये भारी सैटेलाइट्स को अंतरिक्ष में छोड़ने की क्षमता रखता है. ये रॉकेट करीब 143 फीट ऊंचा है. 642 टन वजनी है.
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01:41 PM IST