अंग्रेज ऑफिसर को गिफ्ट की गई थी चंद्रशेखर आजाद की पिस्तौल, मौत के 42 साल बाद वापस आई भारत
Chandra Shekhar Azad Birth Anniversary: चंद्रशेखर आजाद की आज 117वीं जयंती है. चंद्रशेखर आजाद को अपनी पिस्तौल से काफी प्यार था. आखिरी वक्त तक ये पिस्तौल उनके पास थी. जानिए चंद्रशेखर आजाद की मौत के बाद उनकी पिस्तौल का क्या हुआ?
Chandra Shekhar Azad Birth Anniversary: भारत माता के वीर सपूत चंद्रशेखर आजाद की 23 जुलाई को 117वीं जयंती है. 23 जुलाई 1906 को मध्यप्रदेश के झाबुआ में जन्में चंद्रशेखर आजाद ने महज 24 साल की उम्र में देश के लिए अपने प्राणों की आहूती दे दी. चंद्रशेखर आजाद का असली नाम चंद्रशेखर तिवारी था. असहयोग आंदोलन के दौरान उन्होंने अपने नाम के आगे आजाद जोड़ लिया. चंद्रेशेखर आजाद ने प्रण लिया था कि वह जीते जी अंग्रेजी हुकूमत के हाथों नहीं आएंगे. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि चंद्रशेखर आजाद की मौत के बाद उनकी पिस्तौल का क्या हुआ था.
Chandra Shekhar Azad Birth Anniversary: नॉट बावर को गिफ्ट मिली पिस्तौल
चंद्रशेखर आजाद की पहचान उनकी लंबी-चौड़ी कद-काठी के साथ-साथ उनकी कॉल्ट पिस्तौल भी थी.चंद्रशेखर आजाद ने इसी पिस्तौल से ही अल्फ्रेड पार्क में अंग्रेजों से लोहा लिया था और आखिर में खुद को गोली मारकर शहीद हो गए थे. चंद्रशेखर आजाद के खिलाफ पुलिस के ऑपरेशन का नेतृत्व अंग्रेजी पुलिस ऑफिसर नॉट बावर कर रहे थे. चंद्रशेखर आजाद की जीवनी लिखने वाले उनके साथी विश्वनाथ वैशम्पायन ने लिखा नॉट बावर के रिटायर होने के बाद अंग्रेज सरकार ने आजाद की कोल्ट पिस्तौल उपहार में दी थी.
Chandra Shekhar Azad Birth Anniversary: पिस्तौल इंग्लैंड ले गए नॉट बावर
नॉट बावर चंद्रशेखर आजाद की पिस्तौल को इंग्लैंड लेकर चले गए थे. देश आजाद होने के बाद इलाहाबाद के कमिश्नर मुस्तफी ने नॉट बावर से पिस्तौल लौटाने के लिए चिट्ठी लिखी थी. हालांकि, नॉट बावर ने इसका जवाब नहीं दिया था. मुस्तफी बाद में लखनऊ यूनिवर्सिटी के कुलपति बने थे. लंदन स्थित भारत के हाई कमीशन ने ये पिस्तौली वापस लाने की कोशिश की थी. नॉट बावर ने कहा कि यदि भारत सरकार द्वारा उन्हें लिखित अनुरोध किया जाएगा तो वह ये पिस्तौल वापस लौटा देंगे.
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भारत सरकार ने नॉट बावर की शर्त मान ली थी. साल 1972 में चंद्रशेखर आजाद की कॉल्ट पिस्तौल भारत वापस लौट आई. इसके बाद फरवरी 1973 में इसे लखनऊ स्थित संग्राहलय में रखा गया था. इस समारोह की अध्यक्षता को शचींद्रनाथ बख्शी ने की थी. आगे चलकर इसे इलाहाबाद संग्रहालय में विशेष कक्ष में लाकर रखा गया था.
02:57 PM IST