क्या आप भी बनना चाहेंगे हर चार मिनट में एक हिंदुस्तानी की जान बचाने वाले 'सेवियर्स'?
क्या आपको पता है कि एक्सीडेंट के तुरंत बाद और अस्पताल पहुंचने से पहले कुछ जरूरी उपचार घायल की जान बचाने में बहुत सहायक हैं. इसे 'प्री-हॉस्पिटल फर्स्ट इमरजेंसी रिस्पॉस' कहते हैं.
सेवियर्स कैंपन की वर्कशॉप (फोटो-सेवियर्स)
सेवियर्स कैंपन की वर्कशॉप (फोटो-सेवियर्स)
क्या आप जानते हैं कि भारत में हर चार मिनट में एक व्यक्ति की मौत रोड एक्सीडेंट से होती है. कई बार ऐसा हुआ होगा कि आप सड़क से गुजर रहे होंगे, कहीं भीड़ लगी होगी और पूछने पर पता चला होगा कि कोई एक्सीडेंट हो गया है. कई बात तो ऐसा होता है कि लोग एक्सीडेंट को अनदेखा करके चले जाते हैं. मौके पर जिम्मेदार लोग हैं तो वे घायल को अस्पताल पहुंचाने का प्रबंध करते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि एक्सीडेंट के तुरंत बाद और अस्पताल पहुंचने से पहले कुछ जरूरी उपचार घायल की जान बचाने में बहुत सहायक हैं. इसे 'प्री-हॉस्पिटल फर्स्ट इमरजेंसी रिस्पॉस' कहते हैं और इसके लिए कर्नाटक की एक संस्था 'सेवियर्स' लोगों को प्रशिक्षित करने का काम कर रही है.
एक्सीडेंट के मौके पर ही की गई थोड़ी सी देखभाल मौत को जिंदगी में बदल सकती है. इसके लिए कर्नाटक के कुछ डॉक्टरों ने सेवियर्स कैंपेन शुरू किया है. संस्था की वेबसाइट पर दी जानकारी के मुताबिक इसके लिए कुछ महीने पहले एक 'सेवियर्स ऐप' भी लांच किया गया है. संस्था से डॉ मनीष राय, प्रवीण कैस्टेलिनो और अज़र शेख सहित कई लोग जुड़े हुए हैं. संस्था की वेबसाइट के माध्यम से उससे जुड़ा जा सकता है.
मोबाइल ऐप का इस्तेमाल
डॉ मनीष राय के मुताबिक संस्था का उद्देश्य लोगों को आपातकालीन हेल्थकेयर के बारे में शिक्षित करना है. इसके साथ ही बड़ी संख्या में ऐसे लोगों को तैयार करना है जो अस्पताल पहुंचने से पहले बिना समय गंवाए जरूरी प्राथमिक चिकित्सा में माहिर हों. संस्था एक तीसरे प्वाइंट पर भी काम कर रही है. एक्सीडेंट के मौके पर जल्द से जल्द एंबुलेंस पहुंचे. इसके लिए मोबाइल ऐप का इस्तेमाल करके एंबुलेंस के रिस्पांस टाइम में सुधार किया जा रहा है.
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इस ऐप की मदद से शहर के प्रमुख अस्पतालों की एंबुलेंस को जीपीएस के जरिए ऐप से जोड़ा जाता है. एक्सीडेंट की स्थिति में ऐप के जरिए सबसे नजदीकी एंबुलेंस को एलर्ट भेजा जाता है. इसके साथ ही ऐप यूजर का मोबाइल नंबर और लोकेशन भी एंबुलेंस ड्राइवर तक सिर्फ एक क्लिक में पहुंच जाती है.
बिना लाभ के लिए काम करने वाली ये संस्था अभी अपनी शुरूआती अवस्था में है और जैसे-जैसे लोग जुड़ेंगे इसका विस्तार होगा. सेवियर कैंपेन के तहत अभी तक 400 वालंटियर्स को प्रशिक्षित किया जा चुका है. इनमें से करीब 300 वालंटियर्स को मास्टर ट्रेनर का दर्जा दिया गया है, यानी वो अब दूसरों को प्रशिक्षित कर सकते हैं. ये काम बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत में सड़क दुर्घटना से होने वाली मृत्यु के आंकड़े दुनिया में सबसे अधिक हैं और उम्मीद है कि देश के दूसरे हिस्सों में भी सेवियर से प्रेरणा लेकर ऐसी ही पहल की जाएगी.
02:59 PM IST