स्मार्टफोन की दुनिया में गुम होते टीवी, कैमरे और अलार्म घड़ियां? मोबाइल बना जीवन का हिस्सा
स्मार्टफोन की स्मार्ट होती दुनिया में ऐसी कई चीजें अपने अस्तित्व से जूझ रही हैं जो कभी हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा हुआ करती थीं, जैसे- टेलीवीजन, कैमरे और अलार्म घड़ियां.
बदलती प्रौद्योगिकी के दौर में स्मार्टफोन लोगों की दिनचर्या का अभिन्न हिस्सा बनता जा रहा है.
बदलती प्रौद्योगिकी के दौर में स्मार्टफोन लोगों की दिनचर्या का अभिन्न हिस्सा बनता जा रहा है.
बदलती प्रौद्योगिकी के दौर में स्मार्टफोन लोगों की दिनचर्या का अभिन्न हिस्सा बनता जा रहा है. दिनचर्या का हिस्सा होने के साथ-साथ स्मार्टफोन की एक अलग ही दुनिया बन गई है. इन नई दुनिया का समाज अलग है, लोग अलग हैं और यहां तक कि इसका साजोसामान भी अलग है. स्मार्टफोन की स्मार्ट होती दुनिया में ऐसी कई चीजें अपने अस्तित्व से जूझ रही हैं जो कभी हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा हुआ करती थीं, जैसे- टेलीवीजन, कैमरे और अलार्म घड़ियां.
14 से 40 इंच के टेलीवीजन का मनोरजंन 7 इंच स्मार्टफोन में सिमट गया है. ज्यादातर लोग अब समाचार हो या चित्रहार या फिर किसी मूवी के लिए लोग टीवी का रिमोर्ट तलाशने की बजाए स्मार्टफोन की स्क्रीन से चिपकना पसंद करते हैं. कैमरा तो एक आम आदमी के जीवन से लगभग गायब ही हो चुका है. बस स्मार्टफोन का कैमरा ऑन और फोटोग्राफी शुरू. कुछ यही हाल अलार्म घड़ियां का हो गया है. कभी अलार्म घड़ी की आवाज पर उठने वाले लोगों की आंख मोबाइल फोन के अलार्म की घंटी पर खुलती हैं.
एक रिपोर्ट के अनुसार, मोबाइल डेटा की आसान उपलब्धता और सस्ती दरों के कारण स्मार्टफोन पर लोगों की निर्भरता लगातार बढ़ रही है. बड़े शहरों में स्मार्टफोन ही अब मनोरंजन के प्राथमिक स्रोत बन गये हैं.
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सर्वे में खुलासा
साइबर सुरक्षा संबंधी सेवाएं देने वाली कंपनी नॉर्टन लाइफलॉक इंक की इंडिया डिजिटल वेलनेस रिपोर्ट के दूसरे संस्करण के अनुसार, टिअर-1 शहरों में करीब 91 प्रतिशत लोग मानते हैं कि स्मार्टफोन ने टेलीविजन की जगह ले ली है. इसके अलावा स्मार्टफोन ने 87 प्रतिशत लोगों के अनुसार कैमरे की, 80 प्रतिशत लोगों के अनुसार अलार्म घड़ी की और 72 प्रतिशत लोगों के अनुसार संगीत उपकरणों की जगह ले ली है.
महिलाओं को ज्यादा चिंता
रिपोर्ट में कहा गया है कि मोबाइल फोन खो जाने या छूट जाने की स्थिति में पुरुषों की तुलना में महिलाएं अधिक घबरा जाती हैं. सर्वे में शामिल 73 प्रतिशत महिलाओं ने और 64 प्रतिशत पुरुषों ने माना कि यदि वे घर पर ही स्मार्टफोन भूलकर बाहर निकल जाते हैं, तो वे घबरा जाते हैं. 72 प्रतिशत महिलाओं और 60 प्रतिशत पुरुषों का कहना है कि वे स्मार्टफोन के बिना नहीं रह सकते हैं.
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नॉर्टन लाइफलॉक के निदेशक (भारत) रितेश चोपड़ा ने कहा कि स्मार्टफोन और डेटा के सस्ते होते जाने से हम अपने जीवन की कई चीजों का विकल्प ऑनलाइन तलाशने लग गये हैं. हालांकि उपभोक्ताओं को स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते समय इस बात को लेकर सजग भी रहना चाहिये कि उनकी जानकारियों का दुरुपयोग किया जा सकता है.
08:57 PM IST