AI म्यूजिक बूम! क्या कलाकारों की जेब पर पड़ेगा सीधा असर? फिच रेटिंग्स ने बजाई खतरे की घंटी- पढ़ें रिपोर्ट

इस 'AI म्यूजिक बूम' के साथ एक बड़ी चिंता भी खड़ी हो गई है: क्या ये कलाकारों की रॉयल्टी को कम कर देगा? रेटिंग एजेंसी फिच रेटिंग्स ने इस पर गंभीर चेतावनी जारी की है. पढ़िए पूरी रिपोर्ट.
AI म्यूजिक बूम! क्या कलाकारों की जेब पर पड़ेगा सीधा असर? फिच रेटिंग्स ने बजाई खतरे की घंटी- पढ़ें रिपोर्ट

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का जादू हर सेक्टर में दिख रहा है, और अब ये संगीत की दुनिया में भी तेजी से अपनी पैठ बना रहा है. AI अब ऐसे गाने बना रहा है, जो इंसानों की तरफ से बनाए गए गानों जैसे लगते हैं, और ये ट्रेंड तेजी से बढ़ रहा है. लेकिन, इस 'AI म्यूजिक बूम' के साथ एक बड़ी चिंता भी खड़ी हो गई है: क्या ये कलाकारों की रॉयल्टी को कम कर देगा? रेटिंग एजेंसी फिच रेटिंग्स ने इस पर गंभीर चेतावनी जारी की है.

क्या है फिच रेटिंग्स की चिंता?

फिच रेटिंग्स का कहना है कि AI से बनने वाले संगीत में बढ़ोतरी से धीरे-धीरे कलाकारों की तरफ से बनाए गए कंटेंट की मांग कमजोर पड़ सकती है. इसका सीधा असर म्यूजिक इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी (IP) के आधार पर जारी किए गए एसेट-बैक्ड सिक्योरिटीज (ABS) पर पड़ सकता है, क्योंकि इनकी कमाई रॉयल्टी से ही होती है.

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AI कैसे बदल रहा है संगीत उद्योग?

आजकल AI टूल्स की मदद से यूजर्स रिकॉर्ड-तोड़ गति से संगीत बना और बांट रहे हैं. इससे डिजिटल सर्विस प्रोवाइडर्स (DSPs) जैसे Spotify और Deezer जैसे प्लेटफॉर्म्स पर कंटेंट की बाढ़ आ गई है. जब इतने सारे गाने एक साथ प्लेटफॉर्म पर आते हैं, तो श्रोताओं से मिलने वाले राजस्व के लिए मुकाबला और कड़ा हो जाता है.

फिच का मानना है कि ये चलन अंततः उन रॉयल्टी भुगतानों को कम कर सकता है, जो संगीत IP ABS को सपोर्ट करते हैं. सीधे शब्दों में कहें तो, अगर AI गाने बहुत ज्यादा हो गए और लोग उन्हें सुनना शुरू कर देंगे, तो इंसानों की तरफ से बनाए गए गानों को कम सुना जाएगा, जिससे उनकी रॉयल्टी कम हो जाएगी.

कॉपीराइट की सुरक्षा!

इस बढ़ते AI प्रभाव को देखते हुए, संगीत उद्योग के बड़े हितधारक कॉपीराइट की सुरक्षा के लिए AI पर tighter नियंत्रण की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि कलाकारों की मेहनत और उनके मौलिक काम को बचाना बेहद जरूरी है. फिच रेटिंग्स ने भी इस बात पर जोर दिया है कि DSPs बदलती तकनीक के हिसाब से खुद को ढाल रहे हैं, और प्रमुख उद्योग हितधारक कॉपीराइट धारकों की सुरक्षा के लिए AI पर सख्त नियंत्रण का व्यापक रूप से समर्थन करते हैं.

प्लेटफॉर्म्स क्या कर रहे हैं?

भले ही अभी पूरी तरह से AI-जेनरेटेड ट्रैक कुल स्ट्रीम का एक छोटा हिस्सा हैं, लेकिन प्लेटफॉर्म्स ने पहले से ही नियंत्रण कड़ा करना शुरू कर दिया है:

Deezer: जनवरी से ही Deezer ऐसे कंटेंट को अपनी सिफारिशों (recommendations) और प्लेलिस्ट से हटा रहा है. यानी, अगर गाना AI ने बनाया है, तो शायद वो आपको Deezer की टॉप लिस्ट में नहीं मिलेगा.
Spotify: Spotify भी सख्त anti-impersonation नियमों को लागू कर रहा है और स्पैम, मास अपलोड और डुप्लीकेट ट्रैक का पता लगाने के लिए फिल्टर पेश कर रहा है. इसका मकसद फर्जी कंटेंट को रोकना है.
फिच ने नोट किया कि पारदर्शिता को बढ़ावा देने और कलाकारों की तरफ से बनाए गए कंटेंट को प्राथमिकता देने वाले ये उपाय रॉयल्टी फ्लो की रक्षा करने में मदद कर सकते हैं.

लेकिन, एक और चुनौती भी है...

फिच ने चेतावनी दी है कि कुछ डिजिटल सर्विस प्रोवाइडर्स खुद AI-जेनरेटेड म्यूजिक का निर्माण या स्वामित्व भी चुन सकते हैं. अगर ऐसा होता है, तो वे कंटेंट लागत कम कर सकते हैं और खुद रॉयल्टी अधिकार हासिल कर सकते हैं. ये कलाकारों के लिए एक और बड़ी चुनौती खड़ी करेगा, क्योंकि तब प्लेटफॉर्म ही कलाकार और निर्माता दोनों बन जाएंगे.

क्या है आगे का रास्ता?

फिच रेटिंग्स ने इस बात पर जोर दिया है कि संगीत IP ABS के कैश फ्लो की स्थिरता के लिए शैली (genre), भूगोल, कलाकार और समय के हिसाब से विविधता (diversification) बनाए रखना महत्वपूर्ण है.
कानूनी विकास और लाइसेंसिंग समझौते भी भविष्य के राजस्व स्रोतों को आकार दे सकते हैं. उदाहरण के लिए, ElevenLabs और Kobalt Music के बीच हुआ सौदा एक संभावित नए राजस्व स्ट्रीम का रास्ता दिखाता है. इस डील के तहत, कलाकार अपनी कॉपीराइट वाली म्यूजिक को ElevenLabs के AI मॉडल को प्रशिक्षित करने के लिए इस्तेमाल करने की अनुमति देने के लिए मुआवजा प्राप्त करते हैं. फिच रेटिंग्स ने कहा है कि ऐसे कॉन्ट्रैक्ट्स के तहत रॉयल्टी कैसे वितरित की जाएगी, ये अभी स्पष्ट नहीं है.

पारदर्शिता और कलाकारों का संरक्षण

फिच का कहना है कि AI-जेनरेटेड म्यूजिक पर कड़े नियंत्रण से पारदर्शिता सुनिश्चित करने और कलाकारों की रॉयल्टी की रक्षा करने में मदद मिलेगी. AI ट्रैक को सिफारिशों से हटाकर, AI कंटेंट को लेबल करके और फिल्टर करके, तथा कलाकारों की तरफ से बनाए गए संगीत को बढ़ावा देकर, स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म मानव कलाकारों के लिए उचित भुगतान और दृश्यता को बढ़ावा दे सकते हैं.
ये सिर्फ रॉयल्टी का मामला नहीं है, बल्कि कलात्मक अखंडता और मानव रचनात्मकता के भविष्य का भी सवाल है. ये समझना महत्वपूर्ण है कि AI एक टूल है, और इसका उपयोग कैसे किया जाता है, ये तय करेगा कि ये संगीत उद्योग को कैसे आकार देगा.

हमारे एक्सपर्ट्स का क्या कहना है?

हमने कुछ भारतीय संगीत उद्योग के जानकारों से भी बात की. उनके अनुसार, "AI निश्चित रूप से एक शक्तिशाली उपकरण है, लेकिन मानव स्पर्श और भावनाएं संगीत का मूल हैं. AI संगीत को नया रूप दे सकता है, लेकिन ये कभी भी एक कलाकार के अनुभव और भावनाओं को पूरी तरह से नहीं बदल सकता." एक संगीत निर्माता ने कहा, "ये समय कलाकारों और रिकॉर्ड लेबलों के लिए AI के साथ मिलकर काम करने का है, न कि इसे एक खतरे के रूप में देखने का. हमें स्मार्ट लाइसेंसिंग मॉडल विकसित करने होंगे ताकि AI का उपयोग रचनात्मकता को बढ़ावा दे, न कि उसे दबाए."

AI म्यूजिक बनाम मानव-निर्मित म्यूजिक

विशेषताAI-जेनरेटेड म्यूजिकमानव-निर्मित म्यूजिक
निर्माण गतिबहुत तेज़, मिनटों में कई ट्रैकअपेक्षाकृत धीमी, रचनात्मक प्रक्रिया में समय लगता है
लागतसंभावित रूप से बहुत कम या शून्यकलाकार, निर्माता, स्टूडियो आदि की लागत होती है
भावनात्मक गहराईसीमित, डेटा पैटर्न पर आधारितअसीमित, वास्तविक मानवीय भावनाओं पर आधारित
मौलिकतामौजूदा डेटा से सीखकर नए पैटर्न बनाता हैअनूठी कल्पना और अनुभव से आता है
कॉपीराइट मुद्दाजटिल, स्वामित्व और स्रोत पर सवालस्पष्ट, कलाकार या लेबल का होता है
बाजार प्रभावकंटेंट की बाढ़ ला सकता है, प्रतिस्पर्धा बढ़ाता हैगुणवत्ता और भावनात्मक जुड़ाव पर केंद्रित
रॉयल्टी पर असरसंभावित रूप से कम कर सकता हैसीधा भुगतान, लेकिन AI से प्रतिस्पर्धा बढ़ सकती है

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

Q1: फिच रेटिंग्स ने AI म्यूजिक को लेकर क्या चेतावनी दी है?

A1: फिच रेटिंग्स ने चेतावनी दी है कि AI-जेनरेटेड म्यूजिक की वृद्धि से कलाकारों की तरफ से बनाए गए कंटेंट की मांग कमजोर पड़ सकती है, जिससे उनकी रॉयल्टी और संगीत IP ABS के राजस्व पर नकारात्मक असर पड़ेगा.

Q2: AI म्यूजिक कलाकारों की रॉयल्टी को कैसे प्रभावित कर सकता है?

A2: AI टूल्स से बड़ी संख्या में गाने बन रहे हैं, जिससे स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स पर कंटेंट की बाढ़ आ रही है. इससे मानवीय कलाकारों के गानों के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ जाती है, जिससे उन्हें मिलने वाली रॉयल्टी कम हो सकती है.

Q3: Spotify और Deezer जैसे प्लेटफॉर्म्स AI म्यूजिक को लेकर क्या कदम उठा रहे हैं?

A3: Deezer ने AI कंटेंट को अपनी सिफारिशों और प्लेलिस्ट से हटाना शुरू कर दिया है. Spotify स्पैम, मास अपलोड और डुप्लीकेट ट्रैक का पता लगाने के लिए stricter anti-impersonation नियम और फिल्टर लागू कर रहा है.

Q4: क्या स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स खुद AI-जेनरेटेड म्यूजिक बना सकते हैं?

A4: हां, फिच रेटिंग्स ने आगाह किया है कि कुछ DSPs खुद AI-जेनरेटेड म्यूजिक का निर्माण या स्वामित्व चुन सकते हैं, जिससे उनकी कंटेंट लागत कम हो सकती है और वे रॉयल्टी अधिकार हासिल कर सकते हैं.

Q5: कॉपीराइट धारकों को बचाने के लिए क्या उपाय सुझाए गए हैं?

A5: उद्योग के हितधारक AI पर tighter नियंत्रण की मांग कर रहे हैं. फिच ने पारदर्शिता, AI कंटेंट को लेबल करना, फिल्टर करना और मानव कलाकारों की तरफ से बनाए गए संगीत को प्राथमिकता देने जैसे उपायों का सुझाव दिया है.

Q6: ElevenLabs और Kobalt Music के बीच हुए समझौते का क्या मतलब है?

A6: ये समझौता एक संभावित रास्ता दिखाता है जहां कलाकार अपनी कॉपीराइट वाली म्यूजिक को ElevenLabs के AI मॉडल को प्रशिक्षित करने के लिए इस्तेमाल करने की अनुमति देने के लिए मुआवजा प्राप्त करते हैं. ये नए राजस्व स्रोतों का निर्माण कर सकता है.

Q7: क्या AI म्यूजिक पूरी तरह से मानव कलाकारों को बदल देगा?

A7: ज्यादातर एक्सपर्ट्स का मानना है कि AI पूरी तरह से मानव कलाकारों को नहीं बदल पाएगा, क्योंकि संगीत में मानवीय भावनाएं, अनुभव और मौलिकता महत्वपूर्ण होती हैं. AI एक टूल है जो रचनात्मक प्रक्रिया में सहायता कर सकता है.

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मोहिनी भदौरिया

मोहिनी भदौरिया

Senior Sub Editor - Zee Business

Senior Sub Editor, Tech journalist, Having an experience of more than 8 years. Now with Zeebiz.com (Zee Business) a digital (online)

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