Zomato IPO: ऑनलाइन फूड डिलिवरी ऐप (Food delivery app) जोमैटो (Zomato) ने  अपने बहुप्रतिक्षित आईपीओ जून तक आ सकता है. जोमैटो का आईपीओ के जरिए 8250 करोड़ रुपये जुटाने का प्‍लान है. फूड डिलिवरी ऐप ने  अपने प्रस्तावित IPO के लिए मार्केट रेग्‍युलेटर सेबी में Draft Red Herring Prospectus (DRHP) दाखिल कर दिया है.  डीआरएचपी के मुताबिक, जोमैटो के आईपीओ में फ्रेश इक्विटी शेयर और उसके मौजूदा शेयर धारक इंफो ऐज लिमिटेड का ऑफर फार सेल (OFS) शामिल होगा.  इंफो ऐज लिमिटेड जॉब पोर्टल नौकरी डॉट कॉम की पेरेंट कंपनी है. माना जा रहा है कि जोमैटो का आईपीओ शेयर बाजार में बीते एक साल का सबसे बड़ा आईपीओ हो सकता है. सही मायनों में ये पहला बड़े स्टार्टअप का IPO होगा जो लिस्टिंग के लिए आएगा. 

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जोमैटो का कहना है कि आईपीओ से पहले वह 1500 करोड़ रुपये के प्राइवेट प्‍लेसमेंट पर भी विचार कर ही है. ऐसे में संभव है कि कंपनी के अभी प्रस्‍तावित फ्रेश इश्‍यू का साइज कम हो सकता है. आईपीओ के लिए सेबी का पास जमा कराया जाने वाला DRHP पहला डॉक्यूमेंट होता है. इसमें कंपनी से जुड़ी डिटेल दी जाती है. कंपनी के गठन की तिथि, कंपनी के बिजनेस मॉडल  और उससे जुडे़ रिस्‍क जोखिम की डिटेल होती है. 

कितने बड़े साइज़ का IPO 

इश्यू के ज़रिए कंपनी 8250 करोड़ रुपए तक जुटाएगी. इसमें 7500 करोड़ रुपए फ्रेश इश्यू के ज़रिए जुटाने का प्लान है,  जबकि 750 करोड़ रु ऑफर फॉर सेल से जुटाए जाएंगे. ऑफर फॉर सेल में निवेशक अपना हिस्सा बेचकर निकलते हैं. इन्फोएज ने पहले ही एलान कर दिया है कि वो जोमैटो के इश्यू में अपनी 750 करोड़ रु की हिस्सेदारी बेचेगी. इश्यू का बड़ा साइज होने की एक वजह ये भी है कि लिस्टिंग के बाद पुराने निवेशक बढ़िया कीमत मिलने पर शेयर बेचकर निकलेंगे. ऑफर में आने वाले हर शेयर की फेस वैल्यू 1 रुपये रखी गई है. 

इस IPO में क्या अलग 

आम इश्यू के मुकाबले इसमें ये अलग होगा कि ये घाटे वाली कंपनियों के लिए तय IPO के नियमों के जरिए आएगी. ऐसे IPO में रिटेल निवेशकों का कोटा मुनाफे वाली कंपनियों के रूट के मुकाबले कम होता है. सामान्य IPO में रिटेल निवेशकों के लिए 35 फीसदी शेयरों का तय कोटा होता है. लेकिन, जोमैटो चूंकि घाटे में रहते हुए IPO ला रही है इसलिए 10% ही शेयर रिटेल निवेशकों के लिए होंगे, क्योंकि कंपनी घाटे में रहते हुए IPO ला रही है इसलिए निवेशकों को जोखिम हो सकता है. इसीलिए ऐसी कंपनियों में रिटेल का कोटा सेबी ने जानबूझकर कम रखा है.   

जून तक इश्यू संभव 

आमतौर पर इश्यू की मंजूरी के लिए सेबी की ओर से 21 कामकाजी दिन तय होते हैं. अगर सब कुछ ठीक रहे और कोई बड़ी अड़चन न निकले तो मई अंत तक इश्यू को मंजूरी मिल सकती है. जबकि मार्केट की स्थिति ठीक रहने पर जून तक इश्यू बाजार में आ सकता है.  कंपनी ने पैसे जुटाने के मकसद में लिखा है कि इश्यू से जुटाई रकम का इस्तेमाल ऑर्गेनिक और इनॉर्गनिक ग्रोथ के लिए किया जाएगा. आर्गेनिक ग्रोथ का मतलब मौजूदा कारोबार को बढ़ाकर ग्रोथ हासिल करना होता है. जबकि इनॉर्गनिक ग्रोथ के जरिये दूसरी कंपनियां खरीदकर कारोबार साइज को बढ़ाना होता है. कंपनी ने लिखा है कि IPO की रकम का इस्तेमाल ग्राहकों को जोड़ने के लागत की भरपाई और तकनीकी तौर पर प्लेटफॉर्म को मजबूत बनाने का खर्च शामिल है. 

ग्रोथ के साथ जोखिम कहां 

कंपनी को उम्मीद है कि शहरी आबादी में बढ़ोतरी, कामकाजी परिवारों की बढ़ती संख्या,  इंटरनेट और स्मार्टफोन की बढ़ती पहुंच से कंपनी के कारोबार में तरक्की जारी रहेगी. जबकि जोखिम वाले हिस्से में कंपनी ने कहा है कि कारोबार घाटे में है और ग्रोथ के लिए आगे चलकर ज्यादा निवेश करना पड़ सकता है, जिसमें मुमकिन है कंपनी निवेश और खर्चों के मुकाबले आमदनी नहीं बढ़ा पाई तो घाटे में रह सकती है. इसके अलावा कोरोना संकट या ऐसी दूसरी महामारी आने की स्थिति में भी कंपनी के सामने बड़ी चुनौती खड़ी हो सकती है.

रेस्टोरेंट पार्टनर्स और डिलीवरी पार्टनर्स के हाथ से चले जाने पर भी कंपनी के लिए समस्या खड़ी हो सकती है. इसके अलावा डेटा चोरी होना, सिस्टम फेल होना, नियमों में अचानक बदलाव, निगेटिव मीडिया कवरेज, कंपीटिशन जैसी चीजों को भी रिस्क फैक्टर में शामिल किया गया है. कंपनी ने जानकारी दी है कि उसके डायरेक्टर्स के खिलाफ करीब 276 करोड़ रु की लाइबिलिटी का केस चल रहा है. इसके अलावा टैक्सेशन के भी कुछ मामले कंपनी के खिलाफ चल रहे हैं. 

जोमैटो में  इंफो ऐज, सिकोया कैपिटल, उबर जैसे निवेशक

मैटो में एंट फाइनेंशियल, इंफो ऐज, सिकोया कैपिटल, उबर जैसे निवेशक शामिल हैं. हाल ही में जोमैटो ने खुद को एक प्राइवेट कंपनी से पब्लिक कंपनी के रूप में बदला था. इसके लिए मेमोरंडम ऑफ एसोसिएशन में बदलाव किया गया था. इसे आईपीओ की दिशा में अगला कदम माना जा रहा था. दूसरी ओर, जोमैटो के फांउडर से हाल ही में आईपीओ की खबरों का खंडन भी किया था. हालांकि, जोमैटो के डीआरएचपी से साफ हो गया कि कंपनी आईपीओ की तरफ आगे बढ़ गई है. 

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