लिस्टिंग के बाद Tata Capital पर ब्रोकरेज की पहली रिपोर्ट- क्या आपको शेयर होल्ड करना चाहिए? पढ़ें 3 अहम पॉइंट

Tata Capital Share Price: टाटा कैपिटल एक भरोसेमंद, विविध और मजबूत ग्रुप की NBFC है जिसने पिछले कुछ सालों में तेजी से ग्रोथ दिखाई है. Merger के शुरुआती झटके के बाद अब कंपनी पुनरुद्धार के रास्ते पर है. लंबी अवधि के निवेशक इसे होल्ड रख सकते हैं या धीरे-धीरे जोड़ सकते हैं, लेकिन शॉर्ट टर्म में बड़े रिटर्न की उम्मीद नहीं रखनी चाहिए.
लिस्टिंग के बाद Tata Capital पर ब्रोकरेज की पहली रिपोर्ट- क्या आपको शेयर होल्ड करना चाहिए? पढ़ें 3 अहम पॉइंट

Tata Capital Share Price: साल का सबसे बड़ा आईपीओ टाटा कैपिटल लिमिटेड (Tata Capital Ltd) 13 अक्टूबर को बाजार में लिस्ट हुआ, लिस्टिंग सुस्त रही लेकिन शेयर की चाल पर निवेशकों पर नजर रहेगी. अब ब्रोकरेज फर्म जेएम फाइनेंशियल ने कंपनी पर कवरेज शुरू करते हुए ADD रेटिंग दी है. यह कवरेज निवेशकों के लिए खास इसलिए भी अहम है क्योंकि टाटा ग्रुप जैसी भरोसेमंद पैरेंटेज वाली यह NBFC अब पब्लिक लिस्टेड एंटिटी बन चुकी है. हालांकि, रिपोर्ट में कहा गया है कि फिलहाल वैल्यूएशन में ज्यादा तेजी की संभावना सीमित है.

मजबूत पैरेंटेज और डाइवर्सिफाइड बिजनेस मॉडल

टाटा ग्रुप के अधीन आने वाली टाटा कैपिटल की स्थापना 2007 में हुई थी और यह आज देश की प्रमुख नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी (NBFC) बन चुकी है. कंपनी की लगभग 80% लोन बुक सिक्योर्ड सेगमेंट में है, जिससे जोखिम कम रहता है. इसकी रिटेल फाइनेंसिंग का हिस्सा 61% है, यानी कंपनी की अधिकांश आय पर्सनल लोन, व्हीकल लोन, होम लोन और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स से आती है. पिछले दो वित्त वर्ष (FY22-24) में कंपनी ने औसतन 31% की AUM CAGR और 2.3% RoA / 18% RoE दर्ज की, जो इंडस्ट्री के लिहाज से बेहद मजबूत प्रदर्शन है.

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Tata Motors Finance के मर्जर का असर

हालांकि, हाल ही में Tata Motors Finance (TMFL) के साथ हुए मर्जर का असर FY25 में कंपनी के प्रदर्शन पर दिखा. कंपनी की AUM ग्रोथ घटकर 17% रह गई (TMFL को छोड़कर यह लगभग 23% होती). इसी तरह RoA और RoE क्रमशः 1.6% और 13% तक फिसल गए. JM Financial का मानना है कि यह गिरावट अस्थायी है. आने वाले वर्षों में मर्जर से सिनर्जी बेनेफिट्स दिखेंगे, यानी शाखाओं का विस्तार, ऑपरेटिंग लागत में बचत और बड़े पैमाने पर लोन ग्रोथ की संभावनाएं बनेंगी.

भविष्य की संभावनाएं: ग्रोथ और प्रॉफिट में सुधार

ब्रोकरेज हाउस को उम्मीद है कि FY25 से FY27 के बीच टाटा कैपिटल का AUM 20% CAGR से बढ़ेगा, जबकि PAT में 34% CAGR की तेजी देखने को मिल सकती है. FY26 और FY27 में कंपनी का औसत RoA 1.9% और RoE 13% रहने का अनुमान है. इसका मतलब है कि मर्जर के शुरुआती झटके के बाद अब कंपनी की वित्तीय स्थिति फिर से पटरी पर लौटने की ओर है.

वैल्यूएशन और टारगेट प्राइस

JM Financial ने टाटा कैपिटल के लिए ₹360 का टारगेट प्राइस दिया है और कंपनी को 2.9x FY27E P/BV पर वैल्यू किया है. IPO के अपर प्राइस बैंड ₹326 के मुकाबले यह वैल्यूएशन ~2.7x FY27E P/BV पर आता है.

तुलना के लिए, HDB Financial लगभग 2.5x P/BV पर ट्रेड होती है, जबकि Cholamandalam Investment (CIFC) 3.7x P/BV पर. टाटा कैपिटल इन दोनों के बीच की स्थिति में है, इसलिए ब्रोकरेज ने इसे 2.9x मल्टीपल पर वैल्यू करते हुए ADD रेटिंग दी है, यानी होल्ड करें, क्योंकि लंबे समय में संभावनाएं मौजूद हैं, पर फिलहाल अपसाइड सीमित है.

ऑपरेटिंग लेवरेज और क्रेडिट कॉस्ट

JM Financial का मानना है कि कंपनी का ऑपरेटिंग लेवरेज आने वाले सालों में बेहतर होगा. शाखा विस्तार और टेक्नोलॉजी निवेश से शुरुआत में लागत थोड़ी बढ़ सकती है, लेकिन जैसे-जैसे बिजनेस स्केल बढ़ेगा, लागत अनुपात घटेगा. वहीं, क्रेडिट कॉस्ट (NPA provisioning) अभी हाई रह सकता है, पर FY26 के बाद इसमें सुधार की उम्मीद है.

टाटा कैपिटल के सामने क्या जोखिम हैं? (Downside Risks)

हालांकि, कुछ प्रमुख जोखिम भी हैं जिनपर निवेशकों को नजर रखनी चाहिए, जैसे- आर्थिक सुस्ती से लोन ग्रोथ धीमी हो सकती है, नेट इंटरेस्ट मार्जिन (NIM) बढ़ने में देरी हो सकती है, और अगर क्रेडिट कॉस्ट बढ़ी रही तो मुनाफे पर दबाव आएगा. साथ ही NBFC सेक्टर पर किसी तरह की रेगुलेटरी सख्ती भी रिटर्न पर असर डाल सकती है.

5 FAQs- निवेशकों के सवालों के जवाब.

Q1. टाटा कैपिटल का बिजनेस मॉडल क्या है?
टाटा कैपिटल एक डाइवर्सिफाइड NBFC है जो होम लोन, पर्सनल लोन, व्हीकल फाइनेंस, बिजनेस लोन और इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस जैसे सेगमेंट में काम करती है.

Q2. कंपनी की सबसे बड़ी ताकत क्या है?
टाटा ग्रुप जैसी मजबूत पैरेंटेज, सेफ लोन पोर्टफोलियो (80% secured), और ब्रांड ट्रस्ट इसकी सबसे बड़ी ताकतें हैं.

Q3. अभी टाटा कैपिटल में निवेश करना चाहिए या नहीं?
ब्रोकरेज की ADD रेटिंग बताती है कि निवेशक इसे होल्ड रखें. फिलहाल वैल्यूएशन ऊंचा है, लेकिन लंबी अवधि के लिए यह अच्छा विकल्प हो सकता है.

Q4. टाटा मोटर्स फाइनेंस के मर्जर से क्या फायदा होगा?
मर्जर से ब्रांच नेटवर्क और ग्राहक आधार बढ़ेगा, जिससे स्केल और ऑपरेटिंग मार्जिन में सुधार होगा.

Q5. कंपनी को किन जोखिमों का सामना करना पड़ सकता है?
आर्थिक सुस्ती, बढ़ता NPA, या नियामकीय बदलाव कंपनी की ग्रोथ और मुनाफे पर असर डाल सकते हैं.

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तूलिका कुशवाहा

तूलिका कुशवाहा

Assistant News Editor

Tulika Kushwaha is a business journalist at Zee Business Digital, with over 8 years of experience in the industry. She has previously w

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