
शेयर बाजार में गिरावट का दौर जारी है. बाजार 2025 में अब तक 3 फीसदी के करीब नीचे आ चुका है. इस गिरावट का एक बड़ा कारण विदेशी निवेशकों की जारी बिकवाली है. वह लगातार पिछले 5 महीने से बिकवाली कर रहे हैं. आकड़ों की बात करें तो 24 जनवरी को बाजार बंद होने तक FII ने भारतीय बाजार से 69,080 करोड़ रुपए निकाल लिए हैं, जो 2023 में पूरे साल में हुई टोटल निकासी से 4 गुना अधिक है. अभी 2025 खत्म होने में पूरे 11 महीने बचे हुए हैं. ऐसे में सवाल ये खड़ा हो रहा है कि क्या 2025 FII के बिकवाली के लिहाज से सबसे बुरा साल होने जा रहा है.
भारतीय शेयर बाजार में विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) के प्रवाह का 2020 के बाद से लगातार देखने को मिल रहा है. NSE की वेबसाइट पर मौजूद डेटा के मुताबिक, साल 2020 में भारतीय शेयर बाजार में एफआईआई का नेट फ्लो ₹64,379 करोड़ रहा. महामारी के बावजूद, भारतीय बाजारों ने वैश्विक स्तर पर आकर्षण बनाए रखा. कम ब्याज दरों और लिक्विडिटी में वृद्धि के कारण विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजार का रुख किया.
2021 में एफआईआई का नेट आउटफ्लो ₹92,729.52 करोड़ दर्ज किया गया. यह गिरावट भारतीय बाजार के बढ़ते वैल्यूएशन और वैश्विक आर्थिक अस्थिरता के कारण आई. 2022 में यह स्पीड और तेज हुई, जब एफआईआई ने ₹2,78,429.52 करोड़ की बड़ी निकासी की. फेडरल रिजर्व की ब्याज दरों में बढ़ोतरी और डॉलर की मजबूती ने भारतीय बाजारों से विदेशी निवेशकों को दूर कर दिया.
2023 में एफआईआई ने ₹16,510.59 करोड़ की निकासी की. हालांकि यह 2022 की तुलना में मामूली सुधार था, लेकिन आउटफ्लो जारी रहा. 2024 में स्थिति और बिगड़ी, जब एफआईआई का नेट आउटफ्लो बढ़कर ₹3,02,434.91 करोड़ तक पहुंच गया. वैश्विक मंदी के डर, भारतीय बाजारों का अधिक वैल्यूएशन और भू-राजनीतिक चिंताओं ने निवेशकों की धारणा पर असर डाला है.
एफआईआई के प्रवाह में गिरावट भारतीय बाजारों के लिए एक चुनौतीपूर्ण संकेत है. घरेलू निवेशकों और संस्थानों को अब भारतीय बाजार में स्थिरता बनाए रखने की जिम्मेदारी निभानी होगी. अगर FII जिस स्पीड से जनवरी 2025 में भारतीय बाजार से पैसा निकाल रहे हैं. अगर यह जारी रहती है तो यह साल सबसे अधिक FII निकासी वाला साल बन सकता है. हालांकि यह कहना मुश्किल है कि यह गिरावट कब जाकर थमेगी.