
Pharma Stocks: फार्मा शेयरों में आज जबरदस्त तेजी देखने को मिली. निफ्टी फार्मा इंडेक्स करीब 1% चढ़ा, जबकि हेल्थकेयर इंडेक्स ने भी स्मार्ट गेन दर्ज किए. इस रैली की वजह बनी अमेरिका से आई राहत भरी खबर, जिसमें कहा गया है कि व्हाइट हाउस जेनेरिक दवाओं पर टैरिफ नहीं लगाने पर विचार कर रहा है. इस खबर के बाद भारतीय फार्मा कंपनियों में तेजी की लहर दौड़ गई.
वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी प्रशासन सेक्शन 232 के तहत दवाओं पर टैरिफ लगाने की योजना से पीछे हट सकता है. इसका मतलब यह है कि भारत से अमेरिका को भेजी जाने वाली जेनेरिक दवाओं पर कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लगेगा.
भारत Diabetes, Cholesterol और Blood Pressure जैसी बीमारियों के इलाज के लिए जेनेरिक दवाओं का सबसे बड़ा सप्लायर है. अमेरिकी बाजार में भारत की हिस्सेदारी इन दवाओं के लिए काफी मजबूत है, और यह राहत का फैसला भारतीय कंपनियों के लिए बड़ा वरदान साबित हो सकता है.
भारत अमेरिका के कुल फार्मा इम्पोर्ट्स का 6-7% हिस्सा रखता है. यानी, अमेरिका में बिकने वाली लगभग हर दो में से एक जेनेरिक दवा भारत से बनकर जाती है.
अमेरिका के लिए यह फैसला सिर्फ राजनीतिक नहीं बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी अहम है. जेनेरिक दवाइयों से अमेरिका को सालाना लगभग $400 अरब की बचत होती है. ये दवाइयां ब्रांडेड मेडिसिन्स की तुलना में काफी सस्ती होती हैं, जिससे अमेरिकी उपभोक्ताओं को राहत मिलती है. कंपनियों के लिए इन दवाओं पर मुनाफा (मार्जिन) पहले से ही बहुत कम होता है. अगर टैरिफ लगाया जाता, तो कंपनियां दवा की कीमतें बढ़ा नहीं पातीं, और कई दवा कंपनियां अमेरिका को एक्सपोर्ट बंद या कम कर देतीं. इससे अमेरिका में दवाओं की कमी (drug shortage) की समस्या और बढ़ सकती थी. यही वजह है कि बाइडन प्रशासन ने फिलहाल जेनेरिक दवाओं को टैरिफ के दायरे से बाहर रखने पर विचार किया है.
ऑरोबिंदो फार्मा अमेरिका की सबसे बड़ी जेनेरिक फार्मा कंपनी के तौर पर जानी जाती है. हर 10 में से 1 प्रिस्क्रिप्शन Aurobindo के उत्पाद से पूरा होता है. अमेरिकी बाजार में कंपनी का 10% मार्केट शेयर है. हाल ही में कंपनी के शेयरों में मजबूती आई है और अब यह फैसला इसके लिए और बूस्टर साबित हो सकता है.
डा रेड्डीज़ की अमेरिका के जेनेरिक सेगमेंट में मजबूत उपस्थिति है. कई प्रमुख ब्रांडेड दवाओं के किफायती जेनेरिक वर्ज़न लॉन्च कर चुकी है. डॉलर स्ट्रेंथ और लॉजिस्टिक कॉस्ट में कमी कंपनी की मार्जिन प्रोफाइल को और बेहतर बना सकती है.
सिप्ला अमेरिका में अपनी हेल्थकेयर और रेस्पिरेटरी रेंज के लिए जानी जाती है. जेनेरिक इनहेलर्स और एंटी-वायरल दवाओं में इसका दबदबा है. जेनेरिक टैरिफ से राहत मिलने के बाद Cipla के एक्सपोर्ट वॉल्यूम्स में सुधार की उम्मीद है.
कंपनी अमेरिका और यूरोप दोनों में जेनेरिक दवा सप्लाई करती है. लो-कॉस्ट प्रोडक्शन और एफिशिएंसी के चलते कंपनी को डिमांड में सीधा फायदा मिल सकता है.
फार्मा सेक्टर पहले से ही मजबूत रिकवरी के दौर में है, और अमेरिका से आई यह खबर सेक्टर के लिए अतिरिक्त ट्रिगर बन सकती है. ब्रोकरेज फर्मों का मानना है कि Aurobindo, Cipla, Dr Reddy’s और Marksans जैसे स्टॉक्स में आने वाले सत्रों में तेजी बनी रह सकती है.
निफ्टी फार्मा इंडेक्स के 1% उछाल के साथ यह संकेत मिला है कि बाजार इस पॉजिटिव न्यूज़ को लॉन्ग टर्म ग्रोथ इंडिकेटर के रूप में देख रहा है. अगर अमेरिकी नीति स्थिर रहती है, तो भारतीय फार्मा एक्सपोर्ट्स आने वाले महीनों में नई ऊंचाई छू सकते हैं.