Pharma Stocks: अमेरिका से आई राहत की खबर, उछले फार्मा शेयर, जेनेरिक दवाओं पर नहीं लगेगा टैरिफ!

Pharma Stocks: अमेरिका द्वारा जेनेरिक दवाओं को टैरिफ के दायरे से बाहर रखना भारतीय फार्मा इंडस्ट्री के लिए एक बड़ी राहत है. इस कदम से न सिर्फ भारतीय कंपनियों की रेवेन्यू विजिबिलिटी बढ़ेगी, बल्कि अमेरिका में सस्ती दवाओं की सप्लाई भी बरकरार रहेगी. शॉर्ट टर्म में फार्मा शेयरों में तेजी जारी रहने के आसार हैं, जबकि लॉन्ग टर्म में यह फैसला भारत के लिए फार्मा एक्सपोर्ट बूम का रास्ता खोल सकता है.
Pharma Stocks: अमेरिका से आई राहत की खबर, उछले फार्मा शेयर, जेनेरिक दवाओं पर नहीं लगेगा टैरिफ!

Pharma Stocks: फार्मा शेयरों में आज जबरदस्त तेजी देखने को मिली. निफ्टी फार्मा इंडेक्स करीब 1% चढ़ा, जबकि हेल्थकेयर इंडेक्स ने भी स्मार्ट गेन दर्ज किए. इस रैली की वजह बनी अमेरिका से आई राहत भरी खबर, जिसमें कहा गया है कि व्हाइट हाउस जेनेरिक दवाओं पर टैरिफ नहीं लगाने पर विचार कर रहा है. इस खबर के बाद भारतीय फार्मा कंपनियों में तेजी की लहर दौड़ गई.

अमेरिका का बड़ा फैसला: जेनेरिक दवाओं को राहत

वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी प्रशासन सेक्शन 232 के तहत दवाओं पर टैरिफ लगाने की योजना से पीछे हट सकता है. इसका मतलब यह है कि भारत से अमेरिका को भेजी जाने वाली जेनेरिक दवाओं पर कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लगेगा.

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भारत Diabetes, Cholesterol और Blood Pressure जैसी बीमारियों के इलाज के लिए जेनेरिक दवाओं का सबसे बड़ा सप्लायर है. अमेरिकी बाजार में भारत की हिस्सेदारी इन दवाओं के लिए काफी मजबूत है, और यह राहत का फैसला भारतीय कंपनियों के लिए बड़ा वरदान साबित हो सकता है.

भारत का अमेरिका की फार्मा मार्केट में योगदान

  • Generic- 47%
  • Biosimilar- 15%
  • (Source: IQVIA)

भारत अमेरिका के कुल फार्मा इम्पोर्ट्स का 6-7% हिस्सा रखता है. यानी, अमेरिका में बिकने वाली लगभग हर दो में से एक जेनेरिक दवा भारत से बनकर जाती है.

क्यों नहीं लग रहा जेनेरिक दवाओं पर टैरिफ?

अमेरिका के लिए यह फैसला सिर्फ राजनीतिक नहीं बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी अहम है. जेनेरिक दवाइयों से अमेरिका को सालाना लगभग $400 अरब की बचत होती है. ये दवाइयां ब्रांडेड मेडिसिन्स की तुलना में काफी सस्ती होती हैं, जिससे अमेरिकी उपभोक्ताओं को राहत मिलती है. कंपनियों के लिए इन दवाओं पर मुनाफा (मार्जिन) पहले से ही बहुत कम होता है. अगर टैरिफ लगाया जाता, तो कंपनियां दवा की कीमतें बढ़ा नहीं पातीं, और कई दवा कंपनियां अमेरिका को एक्सपोर्ट बंद या कम कर देतीं. इससे अमेरिका में दवाओं की कमी (drug shortage) की समस्या और बढ़ सकती थी. यही वजह है कि बाइडन प्रशासन ने फिलहाल जेनेरिक दवाओं को टैरिफ के दायरे से बाहर रखने पर विचार किया है.

किन भारतीय कंपनियों को होगा सबसे ज्यादा फायदा?

Aurobindo Pharma

ऑरोबिंदो फार्मा अमेरिका की सबसे बड़ी जेनेरिक फार्मा कंपनी के तौर पर जानी जाती है. हर 10 में से 1 प्रिस्क्रिप्शन Aurobindo के उत्पाद से पूरा होता है. अमेरिकी बाजार में कंपनी का 10% मार्केट शेयर है. हाल ही में कंपनी के शेयरों में मजबूती आई है और अब यह फैसला इसके लिए और बूस्टर साबित हो सकता है.

Dr Reddy’s Laboratories

डा रेड्डीज़ की अमेरिका के जेनेरिक सेगमेंट में मजबूत उपस्थिति है. कई प्रमुख ब्रांडेड दवाओं के किफायती जेनेरिक वर्ज़न लॉन्च कर चुकी है. डॉलर स्ट्रेंथ और लॉजिस्टिक कॉस्ट में कमी कंपनी की मार्जिन प्रोफाइल को और बेहतर बना सकती है.

Cipla

सिप्ला अमेरिका में अपनी हेल्थकेयर और रेस्पिरेटरी रेंज के लिए जानी जाती है. जेनेरिक इनहेलर्स और एंटी-वायरल दवाओं में इसका दबदबा है. जेनेरिक टैरिफ से राहत मिलने के बाद Cipla के एक्सपोर्ट वॉल्यूम्स में सुधार की उम्मीद है.

Marksans Pharma

कंपनी अमेरिका और यूरोप दोनों में जेनेरिक दवा सप्लाई करती है. लो-कॉस्ट प्रोडक्शन और एफिशिएंसी के चलते कंपनी को डिमांड में सीधा फायदा मिल सकता है.

निवेशकों के लिए संकेत

फार्मा सेक्टर पहले से ही मजबूत रिकवरी के दौर में है, और अमेरिका से आई यह खबर सेक्टर के लिए अतिरिक्त ट्रिगर बन सकती है. ब्रोकरेज फर्मों का मानना है कि Aurobindo, Cipla, Dr Reddy’s और Marksans जैसे स्टॉक्स में आने वाले सत्रों में तेजी बनी रह सकती है.

निफ्टी फार्मा इंडेक्स के 1% उछाल के साथ यह संकेत मिला है कि बाजार इस पॉजिटिव न्यूज़ को लॉन्ग टर्म ग्रोथ इंडिकेटर के रूप में देख रहा है. अगर अमेरिकी नीति स्थिर रहती है, तो भारतीय फार्मा एक्सपोर्ट्स आने वाले महीनों में नई ऊंचाई छू सकते हैं.

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तूलिका कुशवाहा

तूलिका कुशवाहा

Assistant News Editor

Tulika Kushwaha is a business journalist at Zee Business Digital, with over 8 years of experience in the industry. She has previously w

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