निवेशकों के पावर ऑफ अटॉर्नी के गलत इस्तेमाल पर लगेगी रोक, SEBI ने जारी किया सर्कुलर
सर्कुलर में सेबी ने कहा कि 18 नवंबर से स्टॉक एक्सचेंज (Stock Exchange) के प्लेटफॉर्म के जरिए म्यूचुअल फंड यूनिट्स की खरीद बिक्री के लिए भी डीमैट डेबिट प्लेज इंस्ट्रक्शन (DDPI) की जरूरत होगी.
निवेशकों के पावर ऑफ अटॉर्नी (PoA) का दुरुपयोग रोकने के लिए सेबी (SEBI) ने डीमैट डेबिट प्लेज इंस्ट्रक्शन स्लिप (Demat Debit Pledge Instruction) का दायरा बढ़ा दिया है. यह एक्सचेंज प्लेटफॉर्म से म्यूचुअल फंड्स यूनिट के सौदों पर भी लागू होगा और एक्सचेंज प्लेटफॉर्म पर ओपन ऑफर टेंडर में शेयर टेंडर भी इसके दायरे में आएंगे. सेबी ने गुरुवार को जारी एक सर्कुलर में यह बात कही.
18 नवंबर से प्रभावी होंगे नियम
सर्कुलर में सेबी ने कहा कि 18 नवंबर से स्टॉक एक्सचेंज (Stock Exchange) के प्लेटफॉर्म के जरिए म्यूचुअल फंड यूनिट्स की खरीद बिक्री के लिए भी डीमैट डेबिट प्लेज इंस्ट्रक्शन (DDPI) की जरूरत होगी. साथ ही अगर कोई एक्सचेंज प्लेटफॉर्म के जरिए ओपन ऑफर टेंडर में शेयर टेंडर करता है, तो उसके लिए भी DDPI जरूरी होगा.
PoA के गलत इस्तेमाल रुकने की उम्मीद
DDPI आने के बाद पावर ऑफ अटार्नी का दुरुपयोग रुकने की उम्मीद है. सेबी ने जुलाई में इसे लागू का आदेश दिया था, लेकिन बाद में थोड़ा और मौका देते हुए इसे सितंबर से लागू करना जरूरी किया था. DDPI में निवेशक, ब्रोकर और डिपॉजिटरी को 2 चीजों में उपयोग के लिए ही अधिकार देता है. जैसे- सौदों के बदले पे इन ऑब्लिगेशन की देनदारियां पूरा करने के लिए और मार्जिन की जरूरत पड़ने पर शेयरों को गिरवी रखने का ही अधिकार है. जबकि पॉवर ऑफ अटार्नी (PoA) में एक तरह से ब्रोकर के पास खाते को चलाने का पूरा अधिकार मिल जाता था. इसी वजह से दुरुपयोग की आशंका भी बढ़ जाती थी.
पावर ऑफ अटॉर्नी कब तक होगा वैध?
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मौजूदा पावर ऑफ अटॉर्नी तब तक वैध रहेंगे, जब तक क्लाइंट इसे रद्द नहीं कर देता. अगर ग्राहक DDPI को लागू करने से इनकार करता है, तो स्टॉकब्रोकर और डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट्स क्लाइट्स को DDPI लागू करने के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से बाध्य नहीं करेंगे या क्लाइंट को सर्विसेस से इनकार नहीं करेंगे. यह पर्याप्त रूप से मुहर लगी होनी चाहिए और ग्राहकों द्वारा डिजिटल रूप से हस्ताक्षरित की जा सकती है.
08:32 AM IST