अमेरिका में आई मंदी तो आपकी होगी चांदी; ब्रोकरेज का दावा- भारतीय शेयर बाजारों में आएगी तेजी; चमकेगा पोर्टफोलियो!
Written By: ज़ीबिज़ वेब टीम
Wed, Mar 26, 2025 04:46 PM IST
Indian Stock Markets: भारतीय शेयर बाजारों ने पिछले पांच महीनों में बड़ा करेक्शन देख लिया है. पिछले 7 दिनों में बाजार ने तेजी का इरादा भी दिखाया है, लेकिन इसके बाद बुधवार को प्रॉफिटबुकिंग से बेंचमार्क इंडेक्स गेन लुटाते भी नजर आए. खैर, बात अब आगे की हो रही है. ये जो करेक्शन आया, उसके पीछे दो अहम वजहें थीं- पहला, भारतीय बाजारों का Overvalued होना, दूसरा- FIIs का यहां से पैसा निकालकर दूसरे बाजारों में लगाना. ग्लोबल बाजारों की अनिश्चितता भी एक फैक्टर था, जोकि अब थोड़ा मद्धम पड़ता दिख रहा है, और ये बाजार में तेजी की वजह भी बन सकता है, ऐसा मानना है कुछ ब्रोकरेज फर्म्स का.
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क्या कह रहे हैं ब्रोकरेज फर्म्स?

वैश्विक अर्थव्यवस्था में जारी सुस्ती के बीच Bernstein की रिपोर्ट का मानना है कि अमेरिका की मंदी भारत के लिए चिंता का विषय नहीं, बल्कि अवसर है. ऐतिहासिक रूप से देखा जाए तो जब भी अमेरिका की अर्थव्यवस्था कमजोर हुई है, भारत ने मजबूत ग्रोथ दर्ज की है. बर्नस्टीन का कहना है कि भारतीय मैक्रोइकॉनॉमिक इंडिकेटर्स में अब ज्यादा गिरावट की संभावना नहीं है और GDP ग्रोथ 6.5% के स्तर पर बनी रहने की उम्मीद है.
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शेयर बाजार में रह सकती है तेजी

Bernstein ने रिपोर्ट में कहा कि विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) अब तक लगातार बिकवाली कर रहे थे, लेकिन अब वे भी थकते नजर आ रहे हैं. दूसरी ओर, घरेलू निवेशक भारतीय बाजार में मजबूत बने हुए हैं, जिससे FII की बिकवाली का प्रभाव काफी हद तक कम हो गया है. यह दिखाता है कि भारतीय बाजार में स्थिरता बनी हुई है और घरेलू निवेशक इसे मजबूती से संभाल रहे हैं.
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FIIs Inflow से चढ़ सकता है बाजार

Emkay Global Finacial Services ने अपनी 'इंडिया स्ट्रैटेजी रिपोर्ट' में कहा, "अमेरिकी प्रशासन की विकसित हो रही राजकोषीय और मौद्रिक नीतियों के कारण वैश्विक आर्थिक गतिशीलता में एक बड़ा बदलाव आया है. यह परिवर्तन निवेश के अवसरों को आकार देगा, जिससे निवेशकों को रणनीतिक दूरदर्शिता के साथ बदलते परिदृश्य में आगे बढ़ने का आग्रह किया जाएगा. " रिपोर्ट में कहा गया है कि जैसे-जैसे 'पूंजी' डॉलर असेट्स से दूर होती जा रही है, भारत के मजबूत आर्थिक बुनियादी ढांचे, सहायक नीतिगत माहौल और आकर्षक मूल्यांकन इसे वैश्विक पूंजी प्रवाह के प्रमुख लाभार्थी के रूप में स्थापित कर रहे हैं. मजबूत विदेशी संस्थागत निवेशक (FIIs) प्रवाह के कारण भारत के बाजारों में 4.5 प्रतिशत की तेजी जारी रहने की संभावना है.
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एक्सपोर्ट इंपोर्ट पर कैसा होगा असर?

रिपोर्ट के मुताबिक, भारत का लगभग आधा निर्यात अमेरिकी मंदी से अप्रभावित रहता है. भारत ने अमेरिका के बड़े डिस्क्रिशनरी बाजार (फैशन, लग्जरी गुड्स, आदि) पर कभी प्रभुत्व स्थापित नहीं किया, बल्कि आईटी, फार्मा, सर्विसेज और ज्वेलरी जैसे स्थिर क्षेत्रों में अपनी पहचान बनाई है. यही कारण है कि अमेरिका की आर्थिक सुस्ती का भारतीय एक्सपोर्ट पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा. वहीं, टैरिफ नीति को लेकर रिपोर्ट का कहना है कि भारत पर टैरिफ का प्रभाव सीमित होगा, जबकि अमेरिका को ज्यादा नुकसान उठाना पड़ सकता है.
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कमोडिटीज़ पर रहेगा प्रेशर

अमेरिका की मंदी का एक बड़ा प्रभाव कच्चे तेल और अन्य कमोडिटीज की कीमतों पर पड़ सकता है. अमेरिका के कमजोर आर्थिक माहौल से क्रूड ऑयल, कॉपर, एल्युमिनियम, स्टील और कोयले जैसी कमोडिटीज की कीमतों पर दबाव रहेगा. इससे भारत का इंपोर्ट बिल कम होगा और महंगाई पर भी काबू पाने में मदद मिलेगी. महंगाई पर नियंत्रण से भारतीय अर्थव्यवस्था को स्थिरता मिलेगी और उपभोक्ताओं को भी राहत मिल सकती है.
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GDP ग्रोथ को लेकर क्या है आउटलुक?
