Mutual Fund में निवेश का रिस्क और रिवॉर्ड कितना, जानें किस फंड में है ज्यादा जोखिम
Mutual Fund: एक्सपर्ट का कहना है कि इक्विटी (Equity) के मुकाबले म्यूचुअल फंड में निवेश करना कम रिस्की है. लंबी अवधि के लिए इक्विटी में निवेश कर सकते हैं.
लार्ज कैप के मुकाबले मिड कैप और स्मॉल कैप में ही ज्यादा रिवॉर्ड होता है. (रॉयटर्स)
लार्ज कैप के मुकाबले मिड कैप और स्मॉल कैप में ही ज्यादा रिवॉर्ड होता है. (रॉयटर्स)
Mutual Fund: निवेश को लेकर रिस्क कम या ज्यादा हो सकती है. निवेश के मामले में इसे समझना बेहद जरूरी है. निवेश में जोखिमों (Investment Risk) को हल्के में नहीं ले सकते. अगर आप म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) में निवेश करना चाहते हैं तो इसे समझना और भी जरूरी है. म्यूचुअल फंड के निवेश में रिस्क और रिवॉर्ड का गणित समझना जरूरी है. हम यहां फाइनेंशियल एक्सपर्ट विकास पुरी से इस बारे में यहां समझने की कोशिश करते हैं. फाइनेंशियल एक्सपर्ट विकास पुरी कहते हैं कि जब भी आप इसमें निवेश करते हैं तो आपको यह देखना होता है कि आप जो निवेश कर रहे हैं, उसमें पैसा निगेटिव जोन में भी जा सकता है. इसकी संभावना कितनी है और वह किस हद तक जा सकता है, इसे समझना होता है.
इसी के आधार पर निवेश (Investment) में यह आगे की स्ट्रैटेजी बना सकते हैं. आप यह समझ सकते हैं कि आपमें रिस्क लेने की कितनी क्षमता है. इसलिए जोखिम क्षमता का आकलन जरूर करें. एक्सपर्ट का कहना है कि म्यूचुअल फंड में निवेश का जोखिम (Risk Factors in Mutual Funds) जीरो नहीं होगा. उनका कहना है कि इक्विटी (Equity) के मुकाबले म्यूचुअल फंड में निवेश करना कम रिस्की है. पुरी का कहना है कि लंबी अवधि के लिए इक्विटी में निवेश कर सकते हैं.
एक बात कही जाती है कि जिसमें ज्यादा रिस्क, उसमें ज्यादा रिटर्न. एक्पर्ट इसपर कहते हैं कि अगर हम बात इक्विटी म्यूचुअल फंड (Equity mutual fund) की बात करें तो इसमें आपके पास लार्ज कैप फंड (Largecap fund), मल्टी कैप फंड (Multicap fund), मिड कैप फंड (Midcap fund) और स्मॉल कैप फंड (Smallcap fund) हैं. लार्ज कैप फंड बड़ी कंपनी में इन्वेस्टेड होता है. हम बोलते हैं कि उसमें भी रिस्क फैक्टर है. हो सकता है इसमें 10-12 प्रतिशत का रिस्क फैक्टर हो. लेकिन अगर आपने मिडकैप फंड या छोटी कंपनी में पैसा निवेश किया है और मार्केट में नीचे की तरफ करेक्शन हो रहा है तो उन कंपनियों के शेयर में बिकवाली काफी तेजी से होती है. यहां बेचने वाले अधिक हैं और लेने वाले कम हैं तो यहां पर लोअर सर्किट लग सकता है. महज तीन-चार सेशन में आपको यह अहसास हो सकता है कि यह शेयर 30-40 प्रतिशत डाउन हो गया.
उनका कहना है कि बड़ी कंपनियों के शेयर में भी करेक्शन होते हैं लेकिन ऐसा नहीं होता कि इनके शेयर एक ही दिन में 20-25 प्रतिशत गिर रहे हैं. अगर आप मार्केट में छोटी कंपनियों को देखेंगे तो वह एक दिन में 10 प्रतिशत गिर सकती हैं. फिर अगले दिन भी गिर सकते हैं. आपका यह भी अहसास होगा कि यह शेयर दो-तीन दिन में 20-30 प्रतिशत करेक्ट हो गया. इसलिए रिस्क फैक्टर की बात करें तो लार्ज कैप के मुकाबले मिड कैप और स्मॉल कैप में अधिक होता है.
#MoneyGuru में देखिए म्यूचुअल फंड Vs ULIP, आपके लिए क्या बेस्ट? https://t.co/lavKT4SPPC
— Zee Business (@ZeeBusiness) February 20, 2020
रिवॉर्ड और शेयर
रिवार्ड (reward) की बात की जाए तो यह भी लार्ज कैप के मुकाबले मिड कैप और स्मॉल कैप में ही ज्यादा होता है. पुरी कहते हैं कि अगर बाजार टर्न होता है और पॉजिटिव जोन में आता है तो वहां पर जाहिर है खरीदने वाले अधिक होंगे और सप्लाई कम होगी. ऐसे में जब छोटी कंपनी के शेयर या मिडकैप कंपनियों के शेयर (stocks) में निवेशकों का रुझान बढ़ गया यानी डिमांड बहुत हाई होगी तो वह शेयर उसी स्पीड से बढ़ेगा. अगर ये शेयर दो-तीन दिनों में 25-30 प्रतिशत गिर सकते हैं तो यही शेयर तीन से चार दिनों में इतना रिटर्न भी दे सकते हैं. पिछले छह महीनों में मिडकैप फंड या छोटी कंपनियों के शेयर का परफॉर्मेंस लार्ज कैप फंड के मुकाबले ज्यादा है.
ज़ी बिज़नेस LIVE TV देखें:
सबसे कम रिस्क वाले फंड को समझना चाहें तो इसमें इंडेक्स फंड लार्ज कैप, फिर लार्ज कैप फंड जो एक्टिव होते हैं. इसके बाद मल्टीकैप, मिडकैप फंड और स्मॉल कैप फंड का नंबर है. यानी स्मॉल कैप फंड सबसे अधिक रिस्क वाली कैटेगरी में आ जाएगा. सबसे अधिक रिस्क वाले फंड में सेक्टोरल फंड भी आते हैं. निवेशकों के लिए पुरी की सलाह है कि पोर्टफोलियो में मल्टी, मिड और स्मॉल कैप तीनों को शामिल रखें.
11:19 AM IST