क्रूड 100 डॉलर करेगा पार! आपके निवेश पर क्या होगा असर? किन सेक्टर पर बढ़ेगा दबाव, कहां बनेंगे मौके
इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल (Crude) के भाव में इस साल अबतक करीब 47 फीसदी और 1 साल में 74 फीसदी तेजी आ चुकी है. क्रूड साल 2018 के बाद पहली बार 76 डॉलर प्रति बैरल के भाव के करीब ट्रेड कर रहा है.
क्रूड साल 2018 के बाद पहली बार 76 डॉलर प्रति बैरल के भाव के करीब ट्रेड कर रहा है. एक्सपर्ट और रिसर्च एजेंसियां इसके और महंगा होने का अनुमान लगा रही है. (reuters)
क्रूड साल 2018 के बाद पहली बार 76 डॉलर प्रति बैरल के भाव के करीब ट्रेड कर रहा है. एक्सपर्ट और रिसर्च एजेंसियां इसके और महंगा होने का अनुमान लगा रही है. (reuters)
Crude Prices Impact on Investment: इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल (Brent Crude) के भाव में इस साल अबतक करीब 47 फीसदी और 1 साल में 74 फीसदी तेजी आ चुकी है. क्रूड साल 2018 के बाद पहली बार 76 डॉलर प्रति बैरल के भाव के करीब ट्रेड कर रहा है. एक्सपर्ट और रिसर्च एजेंसियां इसके और महंगा होने का अनुमान लगा रही है. बैंक ऑफ अमेरिका ग्लोबल रिसर्च ने अगले साल क्रूड के 100 डॉलर प्रति बैरल पहुंचने का अनुमान लगाया है. वहीं एक्सपर्ट भी मान रहे हैं कि क्रूड जल्द ही 80 डॉलर प्रति डॉलर का बैरियर पार कर सकता है. क्रूड महंगा होने से देश की ओवरआल इकोनॉमी पर असर होगा. इससे कई सेक्टर प्रभावित होंगे, जिससे उन सेक्टर में आपके निवेश पर भी असर होगा.
और कितना महंगा होगा क्रूड
बैंक ऑफ अमेरिका ग्लोबल रिसर्च के अनुसार अगले 18 महीनों के दौरान दुनिया भर में तेल की मांग में जो तेजी आएगी, वह प्रोडक्शन ग्रोथ रेट को पीछे छोड़ सकती है. इससे इन्वेंट्री में कमी आएगी, जिसका नतीजा यह होगा कि क्रूड और महंगा हो जाएगा. रिपोर्ट के अनुसार कुछ समय के लिये ब्रेंट 100 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंच सकता है. हालांकि रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि साल 2023 में कीमतें एक बार फिर घटेंगी.
IIFL सिक्योरिटीज के VP (रिसर्च) अनुज गुप्ता का कहना है कि डिमांड बढ़ने से सप्लाई का बैलेंस बिगड़ा है. जिसे तरह से ग्लोबल इकोनॉमी खुलने से क्रूड की डिमांड बढ़ी है, कीमतों को आगे भी सपोर्ट मिलेगा. अभी क्रूड की इन्वेंट्री भी कम हुई हैं. आगे कम से कम 2 महीने क्रूड पर अभी और दबाव दिख रहा है. शॉर्ट टर्म में क्रूड 80 डॉलर का स्तर टच करता दिख रहा है. अब क्रूड की कीमतों में नरमी इस बात पर ज्यादा डिपेंड करेगी कि यूएस में प्रोडक्शन कितना बढ़ता है.
कहां दिखेगा दबाव, कहां बनेंगे मौके
केडिया कमोडिटी के डायरेक्टर अजय केडिया का कहना है कि क्रूड में जिस तरह से तेजी बनी है, यह ओवरआल इकोनॉमी के लिए निगेटिव है. इससे सीधे तौर पर कई सेक्टर भी प्रभावित होंगे. जो कंपनियां प्रोडक्शन में रॉ मटेरियल के रूप में क्रूड का इस्तेमाल करती हैं, उनकी लागत बढ़ सकती है. निगेटिव इंपैक्ट वाले सेक्टर में OMC, एविएशन, पीवीसी पाइप्स बनाने वाली कंपनियां, पेंट कंपनियां, टायर कंपनियां, सीमेंट कंपनियां, लॉजिस्टिक कंपनियां, स्टील कंपनियां और कुछ कंज्यूमर गुड्स बनाने वाली कंपनियां शामिल हैं.
वहीं लॉन्ग टर्म में जो सेक्टर अपने स्ट्रक्चर में बदलाव ला रहे हैं, वहां कुछ मौके बनेंगे. जैसे मारुति और टाटा मोटर्स क फोकस इलेक्ट्रिक व्हीकल्स पर है. बैटरी बनाने वाली कंपनियां जैसे अमारा राजा बैटरी, एथेनॉल पर फोकस बढ़ने से शुगर सेक्टर और सोलार पैनल बनाने वाली कंपनियां.
Zee Business Live TV
03:25 PM IST