जनवरी 2020 से बदल जाएगा सोना खरीदने का नियम, आपके लिए जानना है जरूरी
अगर आप भी अपने लिए ज्वेलरी खरीदने की प्लानिंग कर रहे हैं तो ये खबर आपको खुश कर सकती है. क्योंकि, 2020 से सोने की खरीदारी से जुड़े एक नियम में बड़ा बदलाव होने जा रहा है.
सोने की हॉलमार्किंग का मतलब उसकी शुद्धता का प्रमाण है. (फोटो: bis.gov.in/)
सोने की हॉलमार्किंग का मतलब उसकी शुद्धता का प्रमाण है. (फोटो: bis.gov.in/)
सोना किसी भी त्योहारी सीजन, शादियों के सीजन में खरीदारी के लिए शुभ माना जाता है. खासकर सोना-चांदी की बिक्री भी इन्हीं दिनों में ज्यादा होती है. अगर आप भी अपने लिए ज्वेलरी खरीदने की प्लानिंग कर रहे हैं तो ये खबर आपको खुश कर सकती है. क्योंकि, 2020 से सोने की खरीदारी से जुड़े एक नियम में बड़ा बदलाव होने जा रहा है. लंबे वक्त के बाद सोने की हॉलमार्किंग को अनिवार्य कर दिया गया है. जनवरी 2020 में इसे लेकर नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया जाएगा. हालांकि, पूरे देश में इसे लागू होने में 2021 तक समय लगेगा.
कंज्यूमर अफेयर मिनिस्ट्री ने सोने की ज्वेलरी के लिए बीआईएस हॉलमार्किंग को अनिवार्य बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. यह प्रस्ताव 1 अक्टूबर को पास किया गया था. हालांकि, यह प्रस्ताव अभी WTO के पास भेजा गया है. कंज्यूमर अफेयर मंत्री रामविलास पासवान ने भी कहा है कि प्रस्ताव को मंजूरी देने के बाद नियम को पूरे देश में लागू किया जाएगा. लेकिन, नियम को 15 जनवरी 2021 से ही अनिवार्य किया जाएगा.
जरूरी होगी हॉलमार्किंग
सरकार के मुताबिक, तय प्रक्रिया के तहत अगले 2-3 महीने में ये नियम लागू हो जाएंगे. नियमों के मुताबिक, पहले डब्ल्यूटीओ को इसकी सूचना देनी होती है. इस प्रक्रिया में लगभग दो महीने का समय लगता है. मौजूदा समय में सोने के गहनों पर हॉलमार्किंग करना स्वैच्छिक है. हालांकि, नए नियम के लागू होने के बाद सभी ज्वेलर्स को ज्वेलरी बेचने से पहले हॉलमार्किंग लेना अनिवार्य होगा.
TRENDING NOW
क्यों जरूरी है सोने की हॉलमार्किंग?
बता दें, सोने की हॉलमार्किंग का मतलब उसकी शुद्धता का प्रमाण है. फिलहाल ज्वेलर्स के लिए यह नियम स्वैच्छिक है. लेकिन, WTO से मंजूरी मिलने के बाद इसे अनिवार्य कर दिया जाएगा. नए नियम के आने से ज्वेलरी खरीदने वाले ग्राहकों को इस बात प्रमाण मिलेगा कि उन्हें खरा सोना मिल रहा है.
नए नियम से क्या होगा?
ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (BIS) की तरफ से गोल्ड ज्वेलरी पर हॉलमार्क का निशान दिया जाता है. हॉलमार्क इस बात का प्रमाण होता है कि सोने की शुद्धता की जांच लाइसेंसधारक लैब में की गई है. BIS देश में एकमात्र एजेंसी है, जिसके पास सोने के गहनों की हॉलमार्किंग के लिए मंजूरी मिली हुई है. फिलहाल, देश में करीब 800 हॉलमार्किंग केंद्र हैं और सिर्फ 40 प्रतिशत ज्वेलरी पर हॉलमार्किंग की जाती है. बीआईएस ने तीन ग्रेड- 14 कैरट, 18 कैरट और 22 कैरट के सोने के लिए हॉलमार्किंग के लिए मानक तय किए हैं.
ज़ी बिज़नेस LIVE TV यहां देखें
ग्राहकों को होगा फायदा
देश के ज्यादातर हिस्सों में ग्राहकों को 22 कैरेट के बजाए 21 कैरेट सोना बेचा जाता है. हालांकि, ज्वेलरी का दाम 22 कैरेट या 24 कैरेट के मुताबिक वसूले जाते हैं. हॉलमार्क होने से यह झूठ पकड़ा जा सकेगा. सही हॉलमार्क नहीं होने पर पहले ज्वेलर को नोटिस जारी किया जाएगा. हॉलमार्किंग के लिए ज्वेलर्स को लाइसेंस भी लेना होगा.
03:55 PM IST