ओपन एंडेड Vs क्लोज़्ड एंडेड फंड्स! निवेश में कहां मिलेगा बेहतर रिटर्न, जानें यहां
Open Ended Funds में जब चाहे तब निवेश किया जा सकता है. निवेशक कभी भी इन फंड्स से बाहर निकल सकते हैं. इन फंड्स का नेट एसेट वैल्यू (NAV) रोजाना तय होता है.
क्लोज्ड एंडेड फंड्स में एकमुश्त पैसा निवेश किया जाता है. नौकरी करने वाले के लिए एकमुश्त का विकल्प ठीक नहीं है.
क्लोज्ड एंडेड फंड्स में एकमुश्त पैसा निवेश किया जाता है. नौकरी करने वाले के लिए एकमुश्त का विकल्प ठीक नहीं है.
आप म्यूच्यूअल फंड (Mutual Funds) में निवेश कर रहे हैं या करने की तैयारी कर रहे हैं तो आपको म्यूच्यूअल फंड के ओपन एंडेड फंड (Open Ended Funds) और क्लोज़्ड एंडेड फंड (Closed Ended Funds) स्कीम का पता होना चाहिये. इन दोनों स्कीम की बदौलत आप अपनी ज़रूरत के हिसाब से निवेश कर सकते हैं.
ये ओपन एंडेड और क्लोज़्ड एंडेड फंड्स क्या हैं, और इनमें अपने टारगेट के हिसाब से कैसे निवेश किया जाता है, इन विस्तार से चर्चा कर रहे हैं कंप्लीट सर्किल कंसल्टेंट्स के को-फाउंडर क्षितिज महाजन.
ओपन एंडेड फंड
इन फंड्स में जब चाहे तब निवेश किया जा सकता है. निवेशक कभी भी इन फंड्स से बाहर निकल सकते हैं. इन फंड्स का नेट एसेट वैल्यू (NAV) रोजाना तय होता है और इसी रेट के आधार पर फंड की खरीद-बिक्री होती है.
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क्लोज्ड एंडेड फंड
ये फंड्स न्यू फंड ऑफर (NFO) के जरिये बाजार में लाए जाते हैं. इन स्कीम में निवेश की अवधि तय होती है. मैच्योरिटी से पहले इन फंड्स को बेच नहीं सकते. यूनिट्स स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट की जाती हैं और एक्सचेंज पर ही इन फंड्स को बेचा जा सकता है. यूनिट की कीमत NAV से कम-ज्यादा हो सकती है.
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क्लोज्ड एंडेड फंड्स में एकमुश्त पैसा निवेश किया जाता है. नौकरी करने वाले के लिए एकमुश्त का विकल्प ठीक नहीं है. ये फंड्स मार्केट में उतार-चढ़ाव के दौरान निवेश बनाए रखते हैं. इन पर मार्केट सेंटीमेंट्स का असर नहीं होता है. और इनमें फंड मैनेजर का निवेश को लेकर नजरिया साफ होता है.
ओपन एंडेड फंड्स के फायदे और नुकसान
ओपन एंडेड फंड्स में अच्छी लिक्विडिटी मिलती है. इन फंड्स से जब चाहे बाहर निकल सकते हैं. एक फंड से निकलकर दूसरे में निवेश कर सकते हैं. ओपन एंडेड फंड्स का पुराना प्रदर्शन निकालना आसान होता है. इन फंड्स में SIP के ज़रिए निवेश किया जा सकता है.
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— Zee Business (@ZeeBusiness) November 22, 2019
नुकसान की बात करें तो बाज़ार में उतार-चढ़ाव का इन पर सीधा असर पड़ता है. NAV में उतार-चढ़ाव होता रहता है. फंड हाउस फंड मैनेजर्स को नियुक्त करते हैं और ये फंड मैनेजर तमाम फैसले लेते हैं. इन फैसलों में निवेशको की मर्ज़ी नहीं होती है.
क्लोज्ड एंडेड फंड्स के नुकसान
- फायदा यही कि निवेश लंबे समय के लिए लॉक होता है.
- मार्केट सेंटीमेंट्स का असर नहीं होता है.
- ऐसे में इन स्कीम में निवेश का खास फायदा नहीं.
- लंबे समय में निवेश करने पर खास रिटर्न नहीं.
- ओपन एंडेड फंड के मुकाबले प्रदर्शन खासा नहीं.
- ओपन एंडेड फंड्स से बेहतर प्रदर्शन का डाटा मौजूद नहीं
कौन सी स्कीम सबसे बेहतर
- निवेश का सबसे अच्छा तरीका होता है लिक्विडिटी.
- ओपन एंडेड फंड्स में अच्छी लिक्विडिटी मिलती है.
- ओपन एंडेड फंड्स से जब चाहें बाहर निकल सकते हैं.
- एक फंड्स से निकलकर दूसरे में निवेश कर सकते हैं.
- क्लोज्ड एंडेड फंड्स में ऐसा कर पाना संभव नहीं है.
- सभी मापदंडों पर ओपन एंडेड फंड्स बेहतर हैं.
- पोर्टफोलियो में 80-90% ओपन एंडेड फंड्स में रखना बेहतर होते हैं.
क्लोज्ड एंडेड फंड्स क्यों हैं बेहतर
- मार्केट में उतार-चढ़ाव देखकर निकल जाते हैं.
- ऐसे में आपके लिए क्लोज्ड एंडेड फंड्स सही होते हैं.
- इससे निवेश मैच्योरिटी तक बना रहता है.
- फिक्स मैच्योरिटी वाले डेट इंस्ट्रूमेंट्स Fixed Maturity Plans में रखते हैं.
- इससे बाजार के उतार-चढ़ाव का असर कम होता है.
- इसके लिए भी क्लोज्ड एंडेड फंड्स बेहतर होते हैं.
07:53 PM IST