जब Shark Tank पहुंचा Kashmir का ये Startup, फाउंडर को बच्चा समझ रहे थे सब, पैसे लगाने को मंच बना 'सब्जी मंडी'
इन दिनों पहलगाम आतंकी हमले (Pahalgam Terror Attack) के चलते हर तरफ लोग कश्मीर की बात कर रहे हैं. कश्मीर सिर्फ घूमने-फिरने के लिए या वहां के केसर के लिए ही फेमस नहीं है, बल्कि अब वहां कमाल के स्टार्टअप्स भी शुरू हो गए हैं. ऐसा ही एक स्टार्टअप है Tramboo Sports, जो शार्क टैंक इंडिया-3 (Shark Tank India-3) में जा चुका है.
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05:44 PM IST
इन दिनों पहलगाम आतंकी हमले (Pahalgam Terror Attack) के चलते हर तरफ लोग कश्मीर की बात कर रहे हैं. कश्मीर सिर्फ घूमने-फिरने के लिए या वहां के केसर के लिए ही फेमस नहीं है, बल्कि अब वहां कमाल के स्टार्टअप्स भी शुरू हो गए हैं. ऐसा ही एक स्टार्टअप है Tramboo Sports, जो शार्क टैंक इंडिया-3 (Shark Tank India-3) में जा चुका है. उस वक्त कंपनी के स्टार्टअप के फाउंडर्स की उम्र महज 20 साल के करीब थी, जिसके चलते सभी उन्हें बच्चा समझ रहे थे. हालांकि, जब इन फाउंडर्स ने अपनी कमाई बताई तो सबसे मुंह खुले के खुले रह गए. फिर एक के बाद एक उन शार्क के बीच इस स्टार्टअप में निवेश करने को लेकर जंग सी छिड़ गई. विनीता सिंह ने तो ये सब देखकर उस माहौल को सब्जी मंडी तक कह दिया.
त्रंबू स्पोर्ट्स (Tramboo Sports) की शुरुआत की है 18 साल के हमाद त्रंबू (Hamaad Tramboo) और 20 साल के साद त्रंबू (Saad Tramboo) ने. यह स्टार्टअप कश्मीर विलो लकड़ी के बैट बनाता है. बता दें कि कश्मीर विलो लकड़ी कश्मीर के अलावा कहीं नहीं मिलती है और यह लकड़ी कच्चे माल की तरह कश्मीर से बाहर नहीं ले जाई जा सकती है. यह स्टार्टअप लैदर और टेनिस बॉल से खेलने वाले बैट बनाता है. हमाद कहते हैं कि वह खुद भी क्रिकेट खेलते हैं, इसलिए उन्हें समझ आया कि इंगलिश विलो बैट की तुलना में कश्मीर विलो बैट थोड़ा भारी होता है और इसी प्रॉब्लम को इस स्टार्टअप ने सॉल्व किया है.
कैसे बनता है ये कश्मीर विलो बैट?
कश्मीर विलो बैट बनाने के लिए पहले कश्मीर विलो की लकड़ी को काटा जाता है. इसके बाद वह लकड़ी सीजनिंग के लिए जाती है, जिसमें 7 दिन का वक्त लगता है. बता दें कि आम तौर पर लकड़ी की सीजनिंग में 1 साल से 18 महीने तक का समय लगता है. इसे सिर्फ 7 दिन में यह स्टार्टअप अपने खास सीजनिंग प्लांट के जरिए करता है, जो स्टीम बेस प्लांट है. इसमें 40-50 डिग्री का तापमान होता है, जिससे लकड़ी जल्दी सूख जाती है. इस तरीके से बने बैट का रिजल्ट परंपरागत तरीकों से बन रहे बैट से अच्छा होता है.
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बैट जब सीजन हो जाते हैं तो वह मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी पहुंचते हैं, जहां उन्हें हार्ड प्रेस किया जाता है. इससे बैट का स्ट्रोक और मजबूती बढ़ती है. उसके बाद सिंगापुर केन हैंडल लगाए जाते हैं, जो बैट पर आने वाले सारे झटकों को खिलाड़ी के हाथ तक पहुंचने रोकने का काम करते हैं. पूरे कश्मीर में सिर्फ एक ही सीजनिंग प्लांट हैं, जो इस स्टार्टअप फाउंडर के दादा जी का है. इस तरह के प्लांट को लगाने की लागत 8-9 करोड़ रुपये आती है और अगर जमीन भी खरीदनी पड़ गई तो यह कीमत और भी ज्यादा हो जाती है.
क्या है इन बैट की कीमत?
स्टार्टअप फाउंडर्स ने शो में बताया था कि कश्मीर विलो लकड़ी से बने टेनिस बॉल बैट की कीमत 1800 रुपये से शुरू होती है. वहीं इस लकड़ी से बने सीजन बैट की कीमत 3000 रुपये से शुरू होती है. अगर बात इंगलिश विलो की लकड़ी से बने बैट की करें तो उसकी कीमत 6-7 हजार रुपये से शुरू होती है, वो भी ग्रेड-4 क्वालिटी वाले. अगर आप ग्रेड-1 वाला बैट खरीदेंगे तब तो उसकी कीमत 40 हजार रुपये तक जाएगी.
फाउंडर्स का दावा था कि सिर्फ यही स्टार्टअप है जो इतने किफायदी दाम पर इस क्वालिटी का कश्मीर विलो बैट बना पा रहा है. उस वक्त फाउंडर्स ने कहा था कि हर महीने वह करीब 1000 बैट बेचते हैं. कंपनी को सिर्फ इंस्टाग्राम से ही 70 फीसदी ऑर्डर आते थे. आंकड़े बताते हुए फाउंडर्स ने कहा था कि टेनिस बैट पर कपंनी को करीब 25 फीसदी का मुनाफा हो रहा है, जबकि सीजन बैट पर 35-40 फीसदी का मुनाफा हो रहा है. उस वक्त हर महीने कंपनी को करीब 5-6 लाख रुपये का नेट प्रॉफिट हो रहा था. 2023-24 में कंपनी करीब 6-7 करोड़ रुपये के रेवेन्यू तक पहुंचने का अनुमान लगा रही थी.
पैसे लगाने के लिए सब्जी मंडी बना शार्क टैंक
अपने स्टार्टअप के लिए हमाद और साद ने 3 फीसदी इक्विटी के बदले 30 लाख रुपये का निवेश मांगा था. सबसे पहले विनीता सिंह ने उन्हें 30 लाख रुपये 10 फीसदी इक्विटी के बदले देने का ऑफर दिया, जिसमें बाद में अनुपम मित्तल भी जुड़ गए. अमन गुप्ता ने 6 फीसदी के बदले 30 लाख रुपये का निवेश करने का ऑफर किया. वहीं रितेश अग्रवाल ने 4 फीसदी इक्विटी के बदले 30 लाख रुपये का निवेश ऑफर किया. वहीं पीयूष बंसल ने पूरा गेम ही बदल दिया और फाउंडर्स ने जो मांगा था यानी 30 लाख रुपये 3 फीसदी के बदले देने का ऑफर दिया. विनीता सिंह ने तो वहां शार्क फाइट देखते हुए उस माहौल को सब्जी मंडी तक कह दिया. अंत में स्टार्टअप फाउंडर्स ने अमन गुप्ता और पीयूष बंसल दोनों को 4 फीसदी (2-2 फीसदी) इक्विटी देकर 30 लाख रुपये का निवेश हासिल किया.
जब इस स्टार्टअप को मिला लीगल नोटिस
शार्क टैंक इंडिया पर इस स्टार्टअप के आने के बाद कश्मीर क्रिकेट बैट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ने सोनी, शार्क टैंक इंडिया और इस स्टार्टअप को लीगल नोटिस भेजा था. उन्होंने इस स्टार्टअप की तरफ से कश्मीर विलो क्रिकेट बैट के खास प्रोडक्शन के दावे को गलत बताया. उन्होंने कहा कि स्टार्टअप की इस तरह की बातों से एसोसिएशन के बिजनेस को नुकसान पहुंचा है. उन्होंने सोनी और शार्क टैंक को भी इस तरह के गलत दावे का शो दिखाने के लिए जिम्मेदार ठहराया. बता दें कि कश्मीर क्रिकेट बैट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन का लीगल नोटिस 100 करोड़ रुपये का था. साथ ही स्टार्टअप से ऑन-एयर माफी भी मांगने को कहा गया था.
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