खेती के लिए हाथ से चलने वाला वाटर पंप, बिजली या डीजल की जरूरत नहीं
खेती की बढ़ती लागत, खासतौर से सिंचाई की लागत से किसान परेशान हैं. वाटर पंप के लिए डीजल या बिजली के बिल के रूप में काफी पैसा खर्च करना पड़ता है.
शक्तिमैन्थन पंप को चलाने के लिए सिर्फ एक व्यक्ति की जरूरत है (फोटो- nif.org.in).
शक्तिमैन्थन पंप को चलाने के लिए सिर्फ एक व्यक्ति की जरूरत है (फोटो- nif.org.in).
खेती की बढ़ती लागत, खासतौर से सिंचाई की लागत से किसान परेशान हैं. वाटर पंप के लिए डीजल या बिजली के बिल के रूप में काफी पैसा खर्च करना पड़ता है. ये पंप भी महंगे होते हैं. ऐसे में अगर सिंचाई का किफायती विकल्प मिल जाए, तो छोटो किसानों को बड़ी राहत मिल सकती है. इस बात को ध्यान में रखकर तमिलनाडु के एन शक्तिमैन्थन ने हाथ से चलने वाले वाटर पंप 'शक्तिमैन्थन पंप' का आविष्कार किया है. भारत सरकार के नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन ने इस वाटर पंप को इनोवेशन एवार्ड दिया है और फाउंडेशन द्वारा अब इसे लोकप्रिय बनाने के प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है. इस इंजीनियरिंग टेक्नालॉजी को ग्रासरूट टेक्नालॉजी इनोवेशन एक्विजिशन फंड (GTIAF) के तहत अधिग्रहित किया गया है.
इस पंप का डिजाइन बेहद सरल है और परंपरागत हैंड पंप, मैनुअल बकेट पंप या बाईसिकिल पंप के मुकाबले ये बेहद कम लागत में ज्यादा पानी देता है. इसका इस्तेमाल नहर से खेत तक या एक खेत से दूसरे खेत तक पानी पहुंचाने के लिए किया जा सकता है. इसकी मदद से आसपास के किसी तालब या गड्ढ़ों से खेत तक पानी आसानी से पहुंचा जा सकता है. इसके अलावा फ्लैट के बेसमेंट में भरे पानी को निकालने के लिए भी इसका उपयोग किया जा सकता है.
शक्तिमैन्थन पंप को चलाने के लिए सिर्फ एक व्यक्ति की जरूरत है और इसकी मदद से प्रति घंटे 14000 से 20000 लीटर पानी निकाला जा सकता है. इस पंप डिवाइस में जो चैन सेट और स्प्राकेट हैं, जो इंपेलर द्वारा जुड़े हुए हैं. नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन अधिक से अधिक लोगों को इस तरह के पंप बनाने के लिए प्रेरित कर रहा है.
इसके एक टेक्नालॉजी मैनुअल तैयार किया गया है. इस मैनुअल का नाम - डू इट योरसेल्फ है. इसमें शक्तिमैन्थन पंप बनाने की पूरी विधि को विस्तार से समझाया गया है, ताकि इंजीनियरिंग की थोड़ी सी समझ रखने वाले लोग इसे खुद बना सकें. टेक्नालॉजी मैनुअल - डू इट योरसेल्फ को यहां क्लिक करके डाउनलोड किया जा सकता है.
04:11 PM IST