जॉब में काम नहीं आती पढ़ाई..? इस गैप को खत्म कर रहा ये Startup, ट्रेनिंग देकर बढ़ा देता है प्लेसमेंट का चांस
आपने अक्सर लोगों को ये कहते सुना होगा कि खूब पढ़-लिख लोगे तो अच्छी नौकरी मिलेगी. वहीं नौकरी करने वाले खूब पढ़े-लिखे लोग भी आपको ये कहते मिल जाते होंगे कि स्कूल-कॉलेज का पढ़ा-लिखा नौकरी में तो कहीं काम आ नहीं रहा. कॉलेज की नॉलेज और कॉरपोरेट की प्रोफेशनल स्किल्स के बीच के इस गैप को समझा नोएडा के सुमित शुक्ला ने और 2016 में शुरू किया Scholars Merit.
)
आपने अक्सर लोगों को ये कहते सुना होगा कि खूब पढ़-लिख लोगे तो अच्छी नौकरी मिलेगी. वहीं नौकरी करने वाले खूब पढ़े-लिखे लोग भी आपको ये कहते मिल जाते होंगे कि स्कूल-कॉलेज का पढ़ा-लिखा नौकरी में तो कहीं काम आ नहीं रहा. कॉलेज की नॉलेज और कॉरपोरेट की प्रोफेशनल स्किल्स के बीच के इस गैप को समझा नोएडा के सुमित शुक्ला ने और 2016 में शुरू किया Scholars Merit.
अपने करीब 25 साल के करियर में सुमित शुक्ला ने देखा कि तमाम स्कॉलर्स को प्रोफेशल वर्ल्ड में जाने में काफी दिक्कत होती है. ऐसे में सुमित ने स्कॉलर्स मेरिट के जरिए कॉलेज में ही स्टूडेंट्स को एंप्लॉयमेंट के लेवल की ट्रेनिंग देनी शुरू की. सुमित बताते हैं कि वह अपने पूरे करियर में 1000 से भी अधिक लोगों को नौकरी दिला चुके हैं.
1 करोड़ से भी ज्यादा पैकेज वाली जॉब छोड़ी
सुमित के पास इंडस्ट्री में काम का एक लंबा अनुभव है. उन्होंने 2001 में नौकरी शुरू की थी. नौकरी के दौरान वह दुनिया में कई जगह घूमे, फिर इन्वेस्टमेंट बैंकिंग में चले गए. इन्वेस्टमेंट बैंकिंग में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है. पीएचडी भी की है. जब सुमित ने नौकरी छोड़ी उस वक्त उनका पैकेज 1 करोड़ से भी ज्यादा का था.
TRENDING NOW
सुमित ने 2007 में पहला स्टार्टअप शुरू किया. उसे तेजी से आगे बढ़ाया और 2014 में उसे बेच दिया. फिर 2016 में स्कॉलर मेरिट की शुरुआत की. सुमित की कुछ और कंपनियां है, जिसके चलते पर शुरुआती दौर में स्कॉलर मेरिट पर ज्यादा काम नहीं कर रहे थे. 2023 में उन्होंने स्कॉलर्स मेरिट पर तेजी से काम शुरू किया और 2024 में पूरा फोकस इसी बिजनेस पर लगा दिया. यह स्टार्टअप अभी नॉर्दर्न और वेस्टर्न रीजन में अपनी सर्विस देता है. बता दें कि कंपनी का टर्नओवर अभी 1 करोड़ रुपये से भी अधिक का हो चुका है.
स्टूडेंट्स और कॉरपोरेट.. दोनों को होता है फायदा
इस स्टार्टअप की ट्रेनिंग से स्टूडेंट्स को ये फायदा होता है कि उन्हें नौकरी शुरू करने से पहले ही यह पता होता है कि कंपनी में उन्हें किस तरह का काम करना है और कैसे करना है. वहीं कंपनियों को ये फायदा होता है कि उन्हें आसानी से ऐसे लोग मिल पाते हैं, जिन्हें पहले से ही कंपनी में किस तरह से काम होता है, ये पता होता है. इससे कंपनियों की तरफ से उन्हें ट्रेनिंग देने में कम पैसे और वक्त लगता है.
2-3 टीयर कॉलेजों पर है फोकस
इस स्टार्टअप का अधिक फोकस 2-3 टीयर कॉलेज पर होता है, क्योंकि टीयर-1 कॉलेज के स्टूडेंट्स को तो मौके आसानी से मिल ही जाते हैं. इस तरह स्कॉलर्स मेरिट की मदद से 2-3 टीयर कॉलेज भी टीयर-1 कॉलेज से के साथ कॉम्पटीशन कर पाते हैं. इस स्टार्टअप में बच्चों को टेक्नोलॉजी कसंल्टिंग भी दी जाती है.
3 महीने से लेकर 2 साल तक के कोर्स देती है कंपनी
सुमित कहते हैं कि देश में करीब 15 हजार इंजीनियरिंग कॉलेज हैं, जिनमें हर साल लगभग 35 लाख बच्चे जाते हैं. बच्चों को कॉलेज में थ्योरी की नॉलेज दी जाती है, वहीं इंडस्ट्री में प्रैक्टिकल नॉलेज की जरूरत होती है. स्कॉलर्स मेरिट के पास ऐसे लोग हैं, जिन्हें इंडस्ट्री का अच्छा अनुभव है. उन्हीं की मदद से बच्चों के लिए इंडस्ट्री के बारे में सिखाने वाले कोर्स बनाए गए हैं. कंपनी 3 महीने से लेकर 2 साल तक के कोर्स ऑफर करती है.
यह स्टार्टअप कॉलेजों से बात करता है और कम से कम 100 स्टूडेंट होने पर वहां एक इनोवेशन सेंटर बनाता है. इसके बाद स्टूडेंट्स को इंडस्ट्री लेवल की ट्रेनिंग दी जाती है, जिसकी फीस भी स्टूडेंट्स खुद ही देते हैं. बता दें कि 3 महीने के कोर्स के लिए इनोवेशन सेंटर बनाने की जरूरत नहीं होती है, लेकिन उससे बड़े कोर्स के लिए इनोवेशन सेंटर बनाना जरूरी होता है.
बढ़ जाता है प्लेसमेंट का चांस
कंपनी अभी ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ही तरीकों से ऑपरेट कर रही है, लेकिन ज्यादा फोकस ऑफलाइन पर है. कंपनी बी2बी अप्रोच पर ज्यादा काम करती है. इसके तहत कॉलेज से बात कर के वहां इनोवेशन सेंटर बनाया जाता है और बच्चों को ऐसी ट्रेनिंग दी जाती है, जिससे बच्चों के प्लेसमेंट का चांस बढ़ जाता है. बता दें कि इस इनोवेशन सेंटर की फीस खुद बच्चों की तरफ से दी जाती है, ना कि कॉलेज की तरफ से.
इंडस्ट्री के 100 से भी अधिक एक्सपर्ट जुड़े हैं कंपनी से
यह स्टार्टअप ट्रेनिंग ऑन डिमांड के मॉडल पर काम करता है. जब किसी तरह की ट्रेनिंग के लिए एक्सपर्ट की जरूरत होती है तो वह उस इंडस्ट्री के दिग्गज को कुछ दिन के लिए बुला लेते हैं. कंपनी के साथ इस तरह के 100 से भी अधिक दिग्गज जुड़े हुए हैं. ट्रेनिंग का सारा मटीरियल तो कंपनी का ही होता है, लेकिन उसे बच्चों को समझाने का काम दिग्गजों की मदद से किया जाता है.
कॉलेज के कोर्स बच्चों की जानकारी बढ़ाने के लिए डिजाइन होते हैं, लेकिन कॉलेज इंडस्ट्री के काम करने के तेजी से बदलते तरीकों को ट्रैक नहीं कर पाती है. वहीं दूसरी ओर स्कॉलर्स मेरिट के साथ इंडस्ट्री के दिग्गज जुड़े हैं, इसलिए वहां किस तरह के बदलाव आ रहे हैं और इंडस्ट्री को किस तरह के लोगों की जरूरत है, यह सब कंपनी को पता चलता रहता है.
मौजूदा वक्त में यह स्टार्टअप सिर्फ आईटी इंडस्ट्री में काम कर रहा है, लेकिन आने वाले वक्त में बाकी इंडस्ट्री तक भी अपना बिजनेस ले जा सकता है. कंपनी जल्द ही एक इंटर्नशिप मॉडल भी लाने की प्लानिंग कर रही है.
200 से ज्यादा कंपनियां जुड़ी हैं इस स्टार्टअप से
करीब 200 से ज्यादा कंपनियां स्कॉलर्स मेरिट के साथ जुड़ी हुई हैं. सुमित कहते हैं कि उनका स्टार्टअप किसी प्लेसमेंट कंपनी की तरह काम नहीं करता है. यह स्टार्टअप अपने फीचर्स को तमाम कंपनियों को बताता है और फिर कंपनियों की तरफ से ही डिमांड आती है कि उन्हें किस तरह के लोगों की जरूरत है. ऐसे में स्कॉलर मेरिट की तरफ से जरूरत के हिसाब से ट्रेनिंग मुहैया कर के लोगों को वहां पहुंचाया जाता है.
यह स्टार्टअप अभी सिर्फ प्राइवेट स्कूल-कॉलेज के साथ मिलकर ही काम कर रहा है. आने वाले वक्त में सरकारी शिक्षण संस्थानों के साथ मिलकर भी काम करने की योजना है. कंपनी ने दो राज्यों के साथ एमओयू भी साइन किया, लेकिन कभी सरकारें बदलने तो कभी पॉलिसी बदलने की वजह से सरकारी स्कूल-कॉलेजों के साथ यह बिजनेस आगे नहीं बढ़ सका.
03:27 PM IST