प्लास्टिक पर Indian Railways के उपाय आपको हैरान कर देंगे, देखिये तस्वीरें
Written By: ज़ीबिज़ वेब टीम
Wed, Oct 02, 2019 12:26 PM IST
भारतीय रेलवे (Indian Railways) स्टेशनों और ट्रेनों में सिंगल यूज प्लास्टिक का प्रयोग बंद करने के लिए कई तरह से प्रयास कर रहा है. इसी प्रयास के तहत रेलवे ने सभी स्टेशनों पर वैंडर्स को निर्देश दिए हैं कि वे खाने- पीने का सामान बेचने के लिए पॉलीथीन बैग का इस्तेमाल न करें. वहीं पश्चिम रेलवे ने चर्चगेट रेलवे स्टेशन पर रीसाइकिल प्लास्टिक से बनी हुई 3 बेंच लगाई हैं.
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पश्चिम रेलवे ने चर्चगेट रेलवे स्टेशन पर रीसाइकिल प्लास्टिक से बनी हुई 3 बेंच लगाई हैं
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ट्रेनों में सफर के दौरान इन खास प्लेटों में मिलेगा खाना
प्लास्टिक के खिलाफ अभियान में एक कदम आगे बढ़ते हुये रेलवे अब ट्रेनों में मिलने वाले खाने की पैकेजिंग में एल्युमिनियम फॉयल का इस्तेमाल भी बंद करने जा रहा है. रेलवे ने इसकी शुरुआत भी कर दी है. नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के बेस किचन में एल्युमिनियम फॉयल के बजाय खाने की पैकैजिंग के लिये गन्ने के वेस्ट से बनी प्लेटों का इस्तेमाल किया जा रहा है जो पूरी तरह से इकोफ्रेंडली और बायोडीग्रेडेबल है. इन प्लेटों का इस्तेमाल फिलहाल कुछ राजधानी और दूरंतो ट्रेनों में किया जा रहा है.
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प्लास्टिक का इस्तेमाल न करने का संदेश दे रहा "Avatar"
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नम्बर 16 पर रविवार शाम को एक सेल्फी प्वाइंट बनाया गया है. यहां अवतार "Avatar" फिल्म का एक कैरेक्टर बनाया गया है जो सिंगल यूज प्लास्टक प्रयोग न करने के बात कहते हुए लोगों को जागरूक कर रहा है. यात्री इस कटआउट को काफी पसंद कर रहो हैं. काफी मुसाफिर यहां खड़े हो कर सेल्फी ले रहे हैं. इस थीम को तैयार करने वाले दिल्ली मंडल के सीनियर डीसीएम सुनील बेनिवाल ने बताया कि 02 अक्टूबर से दिल्ली के स्टेशनों पर सिंगल यूज प्लास्टिक पूरी तरह से बैन होगा. इसके लिए स्टेशन पर काम करने वाले कर्मचारियों को आदेश दिए गए हैं वहीं यात्रियों को भी जागरूक किया जा रहा है.
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पत्ते से बने दोनों में बिक रहा सामान
वेस्टर्न रेलवे के रतलाम मंडल में कुछ स्टेशनों जैसे कालाकुंड, जावरा और मंदसौर पर प्लास्टिक के विकल्प के तौर पर वेंडर्स ने पत्तों के बने दोनों में खाने- पीने का सामान बेचना शुरू किया है. वहीं उन्होंने अपने स्टॉल के साथ कूडेदान भी रखा है जिसमें ये पत्ते के बने दोने इक्कट्ठा कर इन्हें बाद में फेंका जा रहा है. ये पत्ते से बने दोने पूरी तरह से बायो डिग्रेडेबेल हैं.
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