'राम भक्तों' को तोहफा: 1964 में तबाह हो चुकी रेल लाइन को फिर बनाएगी मोदी सरकार
मोदी सरकार ने देशभर के श्रद्धालुओं को नए साल का तोहफा दिया है. 1964 के समुद्री तूफान में बह चुकी धनुषकोडी रेल लाइन को फिर से निर्माण करने की मंजूरी दे दी है.
राम सेतु को एडम्स ब्रिज के नाम से भी जाना जाता है.
राम सेतु को एडम्स ब्रिज के नाम से भी जाना जाता है.
मोदी सरकार ने देशभर के श्रद्धालुओं को नए साल का तोहफा दिया है. 1964 के समुद्री तूफान में बह चुकी धनुषकोडी रेल लाइन को फिर से निर्माण करने की मंजूरी दे दी है. इस तूफान में एक ट्रेन भी बह गई थी और सैंकड़ों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी. हालांकि धनुषकोटी रेलवे स्टेशन अब भी मौजूद है. यह रेल लाइन रामेश्वरम से धनुषकोडी तक 18 किलोमीटर तक फैली हुई थी. राम सेतु को एडम्स ब्रिज के नाम से भी जाना जाता है.
भारतीय रेलवे ने तय किया है कि रामसेतु तक रामभक्त पहुंच सकें, इसलिए 18 किलोमीटर के हिस्से में नई रेल बनाने के प्रस्ताव को मंजूर दी गई है. रेलवे अधिकारियों का कहना है कि धनुषकोटी से ही रामसेतु शुरू हो जाता है और उसके आगे श्री लंका के तलाई मन्नार का क्षेत्र है. लगभग 208 करोड़ रुपये की लागत वाले इस प्रॉजेक्ट को रेलमंत्री पीयूष गोयल ने भी अपनी हरी झंडी दिखा दी है. इस प्रॉजेक्ट की लागत चूंकि बेहद कम है इसलिए इसे कैबिनेट में भेजने की जरूरत नहीं होगी. रेलवे जल्द ही इसका निर्माण शुरू कर देगा. इस रेल लाइन को बनाने के लिए डीपीआर की प्रक्रिया अगले महीने ही शुरू हो जाएगी.
बनेगा एक और पुल
केंद्र सरकार ने इसी रूट पर 104 साल पूरे कर चुके पम्बन ब्रिज के समानांतर ही एक और ब्रिज बनाने के प्रस्ताव को भी स्वीकार कर लिया है. इस ब्रिज को बनाने में 250 करोड़ रुपये का खर्चा आएगा. यह ब्रिज रामसेतु तक जाने के लिए रास्ते में आता है. मौजूदा पम्बन ब्रिज 24 फरवरी 1914 को शुरू हुआ था और अब यह 100 से ज्यादा पुराना हो चुका है. इस ब्रिज की लंबाई लगभग दो किलोमीटर होगी. इस ब्रिज के बनने से रामसेतु तक आना जाना और आसान हो जाएगा. इस ब्रिज के निर्माण में यूरोप की तकनीक का उपयोग किया जाएगा.
नया पुल होगा 3 मीटर ज्यादा ऊंचा
सूत्रों के मुताबिक, नए ब्रिज को पुराने ब्रिज से 3 मीटर ज्यादा ऊंचाई पर बनाया जाएगा ताकि ज्वार-भाटा के समय इस पर पानी न आ सके. ब्रिज पर स्टेनलेस स्टील की पटरियां भी बिछाई जाएंगीं ताकि उन्हें जंग से बचाया जा सके. यह भारत में पहली बार होगा. पुराने पुल से अलग नए पुल में बीच का हिस्सा लिफ्ट की भांति सीधा ऊपर-नीचे होगा ताकि ऊंचे जहाज भी आसानी से गुजर सकें. पुराने पुल को खोलने-बंद करने की प्रक्रिया मैन्युअल है जबकि नए पुल का संचालन पूर्णत: ऑटोमैटिक होगा. साथ ही इसमें भविष्य के लिए दो रेल लाइन और इलेक्ट्रिफिकेशन को ध्यान में रखा जाएगा.
01:14 PM IST